एक साल पहले की योजना, अभी तक नहीं बने पराली खरीद केंद्र
- किसानों की बढ़ सकती हैं दिक्कतें
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- अभियान- पराली नहीं जलाएंगे - किसानों की बढ़ सकती हैं दिक्कतें, पराली नहीं जलाने को लेकर सरकार का दबाव, लेकिन अभी तक नहीं नहीं दिया गया मजबूत विकल्प
जागरण संवाददाता, करनाल :
जिले में किसानों की पराली की समस्या का समाधान करने के लिए 20 पराली खरीद केंद्र बनाए जाने थे, लेकिन अभी तक उनकी स्थापना नहीं हो पाई है। एक तरफ किसानों पर पराली नहीं जलाने का दबाव है, दूसरी तरफ यह खरीद केंद्र क्रियान्वयन में नहीं आने के कारण किसानों की दिक्कतें बढ़ सकती हैं।
पराली नहीं जलाने के इस अभियान को गति देने के लिए हालांकि अन्य वैकल्पिक रास्ते किसानों को देने का प्रयास किया जा रहा है, लेकिन स्वाभाविक रूप से ये नाकाफी हैं। धान के अवशेषों को जलाने के बजाय उनका सदुपयोग करने के लिए प्रशासन की ओर से जिले में अब तक 249 सीएचसी स्थापित किए गए हैं। इस वर्ष 92 सीएचसी स्थापित करने का लक्ष्य रखा गया है, जिसमें 80 सीएचसी सामान्य वर्ग के किसानों के लिए तथा 12 सीएचसी एससी वर्ग के लिए आरक्षित हैं। उन्होंने यह भी बताया कि 95 सीएचसी ग्राम पंचायतों में स्थापित की गई हैं, इन सभी के माध्यम से न्यूनतम किराए पर किसानों को फसल अवशेष प्रबंधन से संबंधित उपकरण उपलब्ध करवाए जाते हैं। इसके अलावा जिला में 20 पराली खरीद केंद्र की भी स्थापना जल्द की जाएगी। लेकिन अभी वह स्थापित नहीं हो पाए। जिले के 13 गांव रेड जोन में, 52 येलो जोन में
कृषि विभाग के अधिकारियों द्वारा स्थान निर्धारित कर दिए गए हैं पराली में आग लगने की घटना के अनुसार जिले के 13 गांव रेड जोन में तथा 52 गांव येलो जोन में आते हैं। इन गांवों में प्राथमिकता के आधार पर कस्टम हायरिंग सेंटर स्थापित करने के लिए ऑफलाइन आवेदन कृषि विभाग ने आमंत्रित किए हैं। फोटो---18 नंबर है। पराली जलाने के बजाय करें सदुपयोग
कृषि विभाग के पूर्व तकनीकी अधिकारी डा. एसपी तोमर ने किसानों से आग्रह किया है कि पराली जलाने के बजाय उसका सदुपयोग करें। पराली जलाने से भूमि की उर्वरा शक्ति क्षीण होती है। उसमें कार्बन कंटेट नष्ट हो जाते हैं। मित्र कीट भी आग की लपटों में झुलस जाते हैं। पराली ना जलाकर उसका सदुपयोग करने के कई विकल्प हमारे सामने हैं, जिससे किसान आने वाले समय में हमारी भूमि को बंजर होने से बचा सकता है।