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फसल के श्रृंगार के इंतजार में पंचायत भूमि

अपना पानी अपनी विरासत किसानों के धान प्रेम की भेंट चढ़ती नजर आ रही है। जल संकट को देखते हुए सरकार द्वारा असंध जोन में शामिल किया गया है। नतीजन खंड की सभी पंचायती जमीन की किसान बोली नहीं दे रहे हैं। सरकारी अदेशोनुसार पूर्व की बोली से पांच फीसद बढ़ाकर पुराने बोलीदाताओं को भूमि देने के आदेश के बावजूद किसानों ने राशि जमा नहीं करवाई।

By JagranEdited By: Published: Mon, 01 Jun 2020 09:30 AM (IST)Updated: Mon, 01 Jun 2020 09:30 AM (IST)
फसल के श्रृंगार के इंतजार में पंचायत भूमि
फसल के श्रृंगार के इंतजार में पंचायत भूमि

मोती लाल चौहान, जलमाना

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अपना पानी अपनी विरासत किसानों के धान प्रेम की भेंट चढ़ती नजर आ रही है। जल संकट को देखते हुए सरकार द्वारा असंध जोन में शामिल किया गया है। नतीजन खंड की सभी पंचायती जमीन की किसान बोली नहीं दे रहे हैं। सरकारी अदेशोनुसार पूर्व की बोली से पांच फीसद बढ़ाकर पुराने बोलीदाताओं को भूमि देने के आदेश के बावजूद किसानों ने राशि जमा नहीं करवाई। दूसरी, तीसरी और चौथी खुली बोली पर भी किसान सरकार की धान न लगाने देने की शर्त पर नहीं पहुंचे। ग्राम सचिव प्रेम सिंह जागलान ने बताया कि चौथी बार बोली की प्रक्रिया में धान न लगाने की शर्त पर बोलीदाता नहीं आया। ग्राम सचिव रामधन भारद्वाज का कहना है कि चौथी बार भी बोली न देने आने की सूरत में बोली को रद किया गया। उपलानी, रंगरूटीखेड़ा, राहड़ा सहित उपलाना गांव में बोली न देने की दिशा में लगभग 139 एकड़ का उपजाऊ भूमि का रकबा अबकी बार फसल के श्रृंगार से वंचित रहता नजर आ रहा है।

100 एकड़ का रकबा है बाढ़ग्रस्त

ग्राम सचिव राजेंद्र कुमार ने बताया कि ठरी, दुपेड़ी, कबुलपुरखेड़ा सहित कई गांवों की बोली तीन बार जमानत राशि जमा करवा करवाई गई जो कि उचित मूल्य न देने के चलते रद की गई। धान न लगाने की शर्त पर बोलीदाता जमीन पर मूल्य लगाने से कतराते नजर आए। कम मूल्य लगने से विभाग ने जमीन की बोली रद कर दी। उपलाना रकबा मानसून के दौरान बाढ़ग्रस्त रहता है और इसकी सूचना उपायुक्त को दी जा चुकी है। किसान सातीश कुमार उपलाना ने बताया कि उपलाना का रकबा अधिकतर बाढ़ग्रस्त रहता है और ऐसे में धान के अलावा अन्य फसल की बिजाई नहीं की जा सकती है। किसान सुरजीत सिंह का कहना है कि चकमुरीदीका सहित कई गांव में धान की फसल मानसून के दौरान पानी से तबाह हो जाती है। इसलिए किसान मक्का, ज्वार व बाजरे जैसी कच्ची फसल बारे सोच भी नहीं सकते हैं। खंड विकास एवं पंचायत अधिकारी असंध कंचनलता का कहना है कि ग्राम सचिवों ने समय-समय पर बोली से जुड़ी सारी स्थिति से अवगत करवाया हुआ है। खंड में बने हालातों की जानकारी उपायुक्त को दी गई है।


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