धान घोटाला : नए राइस मिलर्स से लेनी थी पांच फीसद बैंक गारंटी, डीएफएससी बोले, ऑर्डर बाद में आए
जागरण संवाददाता करनाल मिलर्स पर खाद्य आपूर्ति विभाग के अधिकारी कितने मेहरबान है। इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि नए व लीज पर चल रहे राइस मिलर्स को दिए जाने वाले कुल धान की कीमत का पांच प्रतिशत बैंक गारंटी के तौर पर देना था।
जागरण संवाददाता करनाल
मिलर्स पर खाद्य आपूर्ति विभाग के अधिकारी कितने मेहरबान है। इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि नए व लीज पर चल रहे राइस मिलर्स को दिए जाने वाले कुल धान की कीमत का पांच प्रतिशत बैंक गारंटी के तौर पर देना था। यह व्यवस्था इसलिए की गई थी कि कोई भी मिलर्स यदि सरकारी चावल वापस नहीं करता तो बैंक गारंटी से इसकी वसूली की जा सके, लेकिन अधिकारियों ने इस ओर ध्यान ही नहीं दिया। इसका परिणाम यह निकला कि किसी भी राइस मिलर्स से अभी तक यह गारंटी नहीं ली गई है।
धान में गड़बड़ी के लिए पूरा गिरोह काम कर रहा है। यही वजह है कि इस पर रोक नहीं लग रही है। इसमें कुछ सरकारी अधिकारी भी सीधे मिले हुए हैं। इसके चलते धान खरीद की जो पॉलिसी तैयार होती है, उसे ही लागू नहीं किया जा रहा है। करनाल जिले में 80 राइस मिलर्स को यह गारंटी देनी थी। हालांकि मिलर्स इसका शुरू से ही विरोध कर रहे हैं। बड़ी गड़बड़ी है, अधिकारियों की लापरवाही नहीं मिलीभगत है
क्योंकि जब सरकारी प्रावधान है तो इसकी अनदेखी कैसे हुई? यूथ फॉर चेंज के प्रदेशाध्यक्ष और पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट के एडवोकेट राकेश ढुल ने बताया कि कोई भी अधिकारी सरकार से बड़ा कैसे हो सकता है? जब नियम है तो फिर क्यों इसे पूरा नहीं किया गया? इससे खाद्य आपूर्ति विभाग के अधिकारियों की कार्यप्रणाली पर सवाल उठ रहा है। ढुल ने कहा कि इस मामले की जांच होनी चाहिए। आखिर कैसे इतनी बड़ी गड़बड़ी हो गई। उन्होंने यह भी कहा कि अब यदि इन राइस मिलर्स ने गारंटी नहीं दी तो विभाग क्या करेगा? क्या उनसे धान वापस लिया जाएगा। यदि ऐसा हुआ तो वहां से उठाया गया धान किसे चावल बनाने के लिए दिया जाएगा। देरी से आर्डर आए थे, अब प्रक्रिया अंतिम चरण में
इधर डीएफएससी कुशल बूरा ने बताया कि यह आर्डर इस माह की 18 तारीख को आए थे। तब धान खरीद का काम जोरों पर चल रहा था। इसलिए गारंटी लेने के काम में देरी हो गई। अब इस पर काम चल रहा है। इसके जल्दी ही पूरा कर लिया जाएगा।