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ई-ट्रेडिग के विरोध मेंआढ़ती लामबंद, गेहूं खरीद बंद कर अनिश्चितकालीन हड़ताल पर गए

सरकार की ई-ट्रेडिग पॉलिसी के विरोध में आढ़ती अनिश्चितकालीन हड़ताल पर चले गए हैं। गेहूं की सरकारी व प्राइवेट खरीद बंद कर दी गई है।

By JagranEdited By: Published: Thu, 11 Apr 2019 09:13 AM (IST)Updated: Thu, 11 Apr 2019 09:13 AM (IST)
ई-ट्रेडिग के विरोध मेंआढ़ती लामबंद, गेहूं खरीद बंद कर अनिश्चितकालीन हड़ताल पर गए
ई-ट्रेडिग के विरोध मेंआढ़ती लामबंद, गेहूं खरीद बंद कर अनिश्चितकालीन हड़ताल पर गए

जागरण संवाददाता, करनाल : सरकार की ई-ट्रेडिग पॉलिसी के विरोध में आढ़ती अनिश्चितकालीन हड़ताल पर चले गए हैं। गेहूं की सरकारी व प्राइवेट खरीद बंद कर दी गई है। मंडी में जो गेहूं पहुंचा है, वह ऐसे ही पड़ा है। आढ़तियों ने 15 अप्रैल को प्रदेशस्तरीय रैली करने का फैसला लिया है। बुधवार की हड़ताल का असर जिले की सभी 23 अनाज मंडियों में पड़ा। आढ़तियों ने मार्केट कमेटी से बारदाना लेने से मना कर दिया है। गेहूं की खरीद बंद होने से किसानों की समस्याएं बढ़ गई हैं।

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चौरा के किसान जगदीश ने कहा कि सरकार ने दावा किया था कि एक अप्रैल से गेहूं की खरीद होगी, लेकिन उनकी फसल नहीं खरीदी गई है। दो दिन से मंडी में हैं, बड़े परेशान हैं। गेहूं कटाई का सीजन है, मौसम भी गड़बड़ा रहा है, ऐसे में यदि फसल जल्दी न कटी तो नुकसान हो सकता है। क्या है ई-ट्रेडिग : ऐसे समझें किसान

सबसे पहले किसान अनाज मंडी में जब गेहूं लेकर आएगा तो एंट्री प्वाइंट पर उसे गेट पास कटवाना होगा। यहां पर उसका वजन चेक होगा और किसान का नाम दर्ज होगा। इसके बाद किसान आढ़ती के पास गेहूं लेकर जाएगा। आढ़ती का यूजर नेम ओर पासवर्ड मार्केटिग बोर्ड द्वारा जनरेट किया होता है। जिसको ओपन कर वह किसान का नाम, पता व फसल की पूरी डिटेल की एंट्री करेंगे। इससे ऑनलाइन जे फार्म जनरेट होगा। इसके बाद आइ फार्म लॉगिन से निकाला जाएगा। जिसको संबंधित खरीद एजेंसी का इंस्पेक्टर वेरीफाई करेगा। इस प्रोसेस में मंडी में दिनभर में कितनी खरीद हुई है, उसकी डिटेल बनाकर हेड ऑफिस भेजी जाएगी। ट्रेजरी के पास इसकी डिटेल आएगी। पेमेंट को डीएफएससी पास करेंगे, इसके बाद आढ़तियों के खाते में बैंकों के माध्यम से पेमेंट आएगी। यह पेमेंट आढ़तियों को एक सप्ताह के अंदर किसानों को देनी होगी। सरकार क्यों लागू करना चाहती है यह सिस्टम

प्रदेश में धान और गेहूं की सरकारी खरीद है। यानी सरकार फसल का समर्थन मूल्य तय करती है। अब यदि यह फसल निजी खरीदार नहीं खरीद पाते तो सरकार इसे तय मूल्य पर खरीद लेती है। अब होता यह है कि कुछ मंडियों में गेहूं और धान की फर्जी खरीद कागजों में दिखा दी जाती है। क्योंकि ऐसा सिस्टम ही नहीं है जो इस पर रोक लगा सके। कई बार दूसरे राज्यों सस्ती फसल लाकर यहां सरकारी खरीद में महंगे दाम पर बेच देते हैं। आढ़तियों का तर्क क्या?

नई अनाज मंडी आढ़ती एसोसिएशन के चेयरमैन रजनीश चौधरी व न्यू पंचायत अनाज मंडी के प्रधान बेअंत सिंह बब्बू ने कहा कि किसान भी चाहते हैं कि उनकी फसल को मैनुअल तरीके से ही खरीदा जाए, इससे किसानों की भी दिक्कतें बढ़ी हैं। जब किसानों को ही दिक्कत नहीं है तो सरकार क्यों ई-ट्रेडिग को लागू करने पर तुली हुई है। वह इसका पूर्ण रूप से विरोध करते हैं। मुद्दा एक, मंडी एक, विरोध अलग-अलग

करनाल की नई अनाज मंडी में बुधवार को ई-ट्रेडिग के विरोध में उतरे आढ़ती दोफाड़ नजर आए। मुद्दा एक था। मंडी भी एक। लेकिन विरोध अलग-अलग कर रहे थे। नई अनाज मंडी आढ़ती एसोसिएशन के बैनर तले चेयरमैन रजनीश चौधरी की अध्यक्षता में आढ़ती शेड के नीचे सरकार की नीतियों का विरोध करते नजर आए, तो दूसरी तरफ मार्केट कमेटी कार्यालय के बाहर सरकार की इसी पॉलिसी का विरोध करने न्यू पंचायत अनाज मंडी के प्रधान बेअंत सिंह बब्बू की अध्यक्षता में सचिव को ज्ञापन सौंपकर विरोध जताया।


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