शिवानी की मौत के बावजूद अधिकारी बोले- कोई बोरवेल खुला नहीं
हरिसिंहपुरा गांव में बोरवेल में गिरने से एक बच्ची ने दम तोड़ दिया।
जागरण संवाददाता, करनाल
हरिसिंहपुरा गांव में बोरवेल में गिरने से एक बच्ची ने दम तोड़ दिया। जबकि कृषि विभाग का मानना है कि जिले में कोई भी बोरवेल खुला नहीं है। करीब 12 साल पहले सभी बोरवेल बंद करने का काम प्रशासन के निर्देश पर हुआ था। इस हादसे ने विभाग की कार्यप्रणाली पर भी सवाल खड़े कर दिए हैं। यदि बोरवेल बंद कराने पर गंभीरता दिखाई जाती तो हादसा नहीं होता। ग्राम पंचायतों से बोरवेल की स्थिति पर रिपोर्ट तलब
जिला विकास और पंचायत विभाग भी बोरवेल में फंसने से शिवानी की मौत के बाद हरकत में आ गया है। सभी संबंधित अधिकारियों के माध्यम से ग्राम पंचायतों से बोरवेल की स्थिति पर रिपोर्ट देने के आदेश दिए गए हैं। डीडीपीओ राजबीर सिंह ने दावा किया कि ग्राम पंचायत के अधीन वर्तमान समय में कोई भी बोरवेल खुला नहीं है। इसके बावजूद विभाग गंभीर है। ग्राम पंचायत स्तर पर रिपोर्ट मांगी गई है। यही नहीं जो भी बोरवेल खुले हैं उन्हें तत्काल बंद करने के निर्देश दिए गए हैं। विभाग की ओर से हल्दाहेड़ी में वर्ष 2006 में प्रिस के बोरवेल में गिरने की घटना के बाद से ही संबंधित अधिकारियों और ग्राम पंचायतों को निर्देश दे चुके हैं। वहीं जिला कृषि अधिकारी आदित्य डबास का कहना है कि उनके पास कहीं कोई बोरवेल खुला होने की रिपोर्ट नहीं है। जबकि उन्होंने अपने अधिकारियों और कर्मचारियों को इस संबंध में जानकारी अपडेट करने के निर्देश दिए है। कई जगह बंद, कुछ अब भी खुले
बच्चों के बोरवेल में गिरने की घटनाएं सामने आने के बाद प्रशासन ने बंद पड़े कुओं पर जाल और बोरवेलों को ढकने के निर्देश दिए थे। इस पर अमल भी हुआ। क्षेत्र में लगभग सभी गांवों में ग्राम पंचायतों की ओर से कुओं पर जाल डाले हैं। अब गांवों में रेन वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम लगाने के लिए ग्राम पंचायतों की ओर से बोरवेल किए जा रहे हैं। जहां किए जा चुके हैं, उनको ढकने के लिए दीवारों का निर्माण किया जा रहा है।
प्रशासन ने जारी कर दी हिदायत : डीसी
डीसी विनय प्रताप सिंह ने कहा कि प्रशासन की ओर से समय-समय पर बोरवेल को ढकने की हिदायत जारी की जाती रही है। इस हादसे में यह बात सामने आई कि एक बोरवेल निजी जमीन पर था। इसके चलते अब आदेश दिए हैं यदि किसी की निजी जगह पर बोरवेल है तो जमीन का मालिक उसे बंद कराए। यदि सरकारी संपत्ति में बोरवेल है तो उसे संबंधित विभाग बंद कराए।