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अब पशुओं के भी बनेंगे जन्म प्रमाणपत्र, 27 से पशु गणना के साथ शुरू होगा काम

मानव के साथ अब पशुओं की भी अपनी यूनिक आइडी होगी, ताकि उनकी भी अपनी पहचान दर्ज हो सके। यह पहचान भी ऐसी जो पशु की उम्र के अलावा उसके प्रसव जैसी जानकारी भी उपलब्ध कराएगी।

By JagranEdited By: Published: Fri, 18 Jan 2019 01:48 AM (IST)Updated: Fri, 18 Jan 2019 01:48 AM (IST)
अब पशुओं के भी बनेंगे जन्म प्रमाणपत्र, 27 से पशु गणना के साथ शुरू होगा काम
अब पशुओं के भी बनेंगे जन्म प्रमाणपत्र, 27 से पशु गणना के साथ शुरू होगा काम

अनिल भार्गव, नि¨सग

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मानव के साथ अब पशुओं की भी अपनी यूनिक आइडी होगी, ताकि उनकी भी अपनी पहचान दर्ज हो सके। यह पहचान भी ऐसी जो पशु की उम्र के अलावा उसके प्रसव जैसी जानकारी भी उपलब्ध कराएगी। सरकार प्रदेश में पशुओं के जन्म प्रमाणपत्र बनाने जा रही है। 27 जनवरी को पशु गणना के साथ यह कार्य शुरू होगा, जो 31 मार्च तक चलेगा। जन्म प्रमाण पत्र जैसी इस आइडी में पशु की उम्र, नस्ल, दूध देने की क्षमता, फोटो और पशुपालक के नाम, पता, मोबाइल नंबर आदि जैसी पूरी जानकारी दर्ज होगी। इससे विभाग के अधिकारियों को भी यह फायदा होगा कि वे पशु का पूरा डाटा होने से उसके पालक को सरकार की योजनाओं की जानकारी आसानी दे सकेंगे। उसमें समय समय पर विभाग की ओर से पशुओं में आने वाली मुंह खुर और गलघोटू सहित अन्य बीमारियों की रोकथाम के लिए किया जाने वाला टीकाकरण भी शामिल है। केंद्र सरकार के पास भी यह रिकार्ड जाएगा।

गाय और भैंस के साथ मछलियों का भी होगा सर्टीफिकेट

वीएस डॉ. तरसेम राणा के अनुसार गणना में गाय, भैंस, बकरी, भेड़, घोड़ा, गधा, मुर्गी, कुत्ता, ऊंट, हाथी और मछलियों को शामिल है। इन सभी के जन्म प्रमाणपत्र बनेंगे।

ऑनलाइन देख सकेंगे किस गांव में कितने दुधारू पशु

पशुपालन एवं डायरी विभाग के अधिकारियों के अनुसार जन्म प्रमाणपत्र जैसे रिकॉर्ड से यह भी पता चल सकेगा कि किस गांव में कितनी तरह के पशु हैं? इनमें दुधारू कितने, व्यस्क और बच्चे कितने? इसके अतिरिक्त मेल और फीमेल पशुओं का भी आसानी से पता चल सकेगा। यह सारा डाटा ऑनलाइन फीड होगा।

प्रति व्यक्ति दूध की जरूरत का होगा बोध

अधिकारियों का कहना है कि इस रिकॉर्ड से सरकार को पशुपालकों के हित में नई योजनाओं के बनाने में भी आसानी होगी। सबसे बड़ा लाभ यह होगा कि पशुओं की संख्या के आधार पर चिकित्सालयों की जरूरत, कर्मचारियों की नियुक्ति, बीमारी रोधक टीकाकरण से पूर्व दवा के इंतजाम आदि की व्यवस्था भी आसानी से हो सकेगी। डॉ. तरसेम राणा के अनुसार दुधारू पशुओं का आंकड़ा होने से जनसंख्या और दुग्ध उत्पादन के हिसाब से प्रति व्यक्ति दूध की आवश्यकता का भी बोध होगा। उसके आधार पर उत्पादन को बढ़ावा देने संबंधी नीतियां भी तैयार की जा सकेगी।

डाटा ऑनलाइन करने के लिए कर्मचारियों को दी ट्रे¨नग

पशुपालक एवं डायरी विभाग के डिप्टी डायरेक्टर विक्रम हुड्डा ने बताया कि पशु गणना को लेकर विभाग के कर्मचारियों को स्पेशल ट्रे¨नग दी गई है। उसमें तीन जिलों के अधिकारी और कर्मचारी शामिल थे। विभाग के वीएस, वीएलडीए और अन्य कर्मचारी टैब पर एप के माध्यम से गणना को ऑनलाइन कर सरकार को भेजेंगे। उन्होंने पशुपालकों को अपने पशुओं के बारे में सही जानकारी देने और गणनाकर्मियों का सहयोग करने की अपील भी की।


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