अब इरान में फंसे बासमती निर्यातकों के एक हजार करोड़ रुपये, ना इन्कार हो रहा ना भुगतान
इरान को निर्यात किए गए बासमती चावल की पेमेंट अभी तक निर्यातकों को नहीं मिली। निर्यातकों की दिक्कत यह है कि उन्हें न तो इरान सरकार इन्कार कर रही है न ही राशि जारी की जा रही है।
मनोज ठाकुर, करनाल
इरान को निर्यात किए गए बासमती चावल की पेमेंट अभी तक निर्यातकों को नहीं मिली। निर्यातकों की दिक्कत यह है कि उन्हें न तो इरान सरकार इन्कार कर रही है न ही राशि जारी की जा रही है। इस वजह से असंमजस की स्थिति बनी हुई है। बताया जा रहा है कि करनाल, पंजाब, उत्तर प्रदेश और दिल्ली के कई बड़े निर्यातकों का करीब एक हजार करोड़ रुपया इरान में फंस गया है। क्योंकि मामला इरान और भारत सरकार के बीच का है। इसलिए निर्यातक सिर्फ देखो और इंतजार करने की स्थिति में हैं। रकम फंसी देखते हुए अब निर्यातकों के सामने यह भी संकट आ गया कि वह नए आर्डर का क्या करें। ऑल इंडिया राइस निर्यातक एसोसिएशन के उपप्रधान सुशील जैन ने मांग की कि इस स्थिति को जल्दी ही स्पष्ट करना चाहिए। क्योंकि यदि ऐसा न हुआ तो निर्यातकों को भारी आर्थिक नुकसान हो सकता है। इससे पहले दुबई में भारतीय निर्यातकों के साथ धोखाधड़ी हो चुकी है। ऐसे में अब निर्यातकों के सामने समस्या यह है कि वह अपने माल के भुगतान की गारंटी कैसे सुनिश्चित करें।
इसलिए फंस गया पैसा
इरान पर अमेरिका ने आर्थिक प्रतिबंध लगा दिया। इससे पहले वहां से चावल का भुगतान डालर में होता था। लेकिन अब डालर का वहां संकट आ गया है। इसका रास्ता इस तरह से निकाला गया कि भारत वहां से जो तेल मंगाता है, इसकी एवज में जो भुगतान होता है, इसमें से चावल निर्यातकों को भुगतान कर दिया जाता था। यह सिस्टम कुछ समय तो ठीक चला। लेकिन दो माह से इसमें दिक्कत आ गई है। वजह यह है कि इरान की ओर से इस बारे में स्पष्ट नहीं किया जा रहा है। हालांकि इरान की रकम भारतीय बैंकों में जमा है। बस उन्हें इसे निर्यातकों को देने की इजाजत भर देनी है। लेकिन इसमें ही देरी हो रही है।
करीब सात सौ करोड़ का चावल भी फंस गया
यह संकट अचानक आया। क्योंकि कुछ समय से ऐसा चल रहा था कि निर्यातक किए गए चावल का भुगतान यहां के बैंक आइडीबीआइ और यूको बैंक के माध्यम से हो जाता था। दो माह से संकट आया, लेकिन तब तक यहां के निर्यातकों ने करीब सात सौ करोड़ का चावल भी आर्डर के लिए तैयार कर लिया था। ऐसे में अब यह आर्डर भी फंस गया है। इस तरह से निर्यातकों के सामने दोहरा संकट आ गया है। सुशील जैन ने बताया कि इरान में करीब 35 प्रतिशत बासमती चावल निर्यात होता है।