अब स्कूल कैंटीन में जंक फूड मिला तो जिम्मेदार होगा मुखिया, अभिभावक भी रखे ध्यान
स्कूल कैंटीन में जंक फूड पर रोक लगाने के लिए शिक्षा विभाग कुछ और सख्त हो गया है। जंक फूड पर पूरी तरह से प्रतिबंध तो लगा ही दिया, अब मुखिया को भी जिम्मेदारी दी है कि वह कैंटीन में इस सामान की बिक्री रोकें। इतना ही नहीं स्कूल के आसपास की दुकानों पर भी खाने पीने का यह सामान नहीं बिकना चाहिए। यदि कोई वेंडर ऐसा कर रहा है तो स्कूल मुखिया अपने स्तर पर रोकेगा, यदि फिर भी कोई नहीं रुकता तो हेल्थ विभाग के सहयोग से इस पर रोक लगाई जाए।
गगन तलवार, करनाल
स्कूल कैंटीन में जंक फूड पर रोक लगाने के लिए शिक्षा विभाग कुछ और सख्त हो गया है। जंक फूड पर पूरी तरह से प्रतिबंध तो लगा ही दिया, अब मुखिया को भी जिम्मेदारी दी है कि वह कैंटीन में इस सामान की बिक्री रोकें। इतना ही नहीं स्कूल के आसपास की दुकानों पर भी खाने पीने का यह सामान नहीं बिकना चाहिए। यदि कोई वेंडर ऐसा कर रहा है तो स्कूल मुखिया अपने स्तर पर रोकेगा, यदि फिर भी कोई नहीं रुकता तो हेल्थ विभाग के सहयोग से इस पर रोक लगाई जाए।
इस संबंध में शिक्षा निदेशालय की ओर से आदेश जारी किया गया है। अभिभावकों से भी आग्रह किया कि वे भी अपने स्तर पर कैंटीन और स्कूल के आसपास नजर रखें। इसके लिए जिला शिक्षा अधिकारियों को नोडल ऑफिसर बनाया गया है। उनकी जिम्मेदारी है कि पहले चरण में सभी स्कूल प्रबंधन को इस बारे में जागरूक करें। इसके बाद नियमित तौर पर निरीक्षण किया जाए। यह भी देखा जाए कि कौन-कौन से स्कूल में आदेश की पालना हो रही और कौन इसे नहीं मान रहा है। इसकी जानकारी निदेशालय और हेल्थ विभाग को भेजी जाए।
इन चीजों की बिक्री पर है रोक
स्कूल कैंटीन में समोसे, ब्रेड पकोड़ा, चाउमिन, बर्गर के अलावा कोल्ड ¨ड्रक और चिप्स की बिक्री पर भी रोक लगाई गई है।
यह आदेश तो पहले हैं, अब इसमें नया क्या?
शिक्षा विभाग लगभग पांच साल से जंक फूड पर रोक लगाने की कोशिश कर रहा है। हर बार यह आदेश फाइलों में ही दब कर रह जाते हैं। यहीं वजह है कि इस बार स्कूल मुखिया को इसके लिए सीधे जिम्मेदार ठहराया गया है। जिला शिक्षा अधिकारी नोडल ऑफिसर होंगे। अभिभावक भी इसकी शिकायत शिक्षा निदेशालय, जिला शिक्षा अधिकारी व हेल्थ विभाग में दे सकते हैं। विभाग की डिप्टी डायरेक्टर सरोज बाला गुर ने बताया कि इस बार आदेश सख्ती से लागू होगा। इसके लिए निदेशालय से भी औचक निरीक्षण किया जाएगा।
क्योंकि सवाल हमारे बच्चों की सेहत का है
अभिभावकों की न सिर्फ जिम्मेदारी है बल्कि उनका कर्तव्य भी है कि अपने बच्चों की सेहत के लिए वे स्कूल कैंटीन और स्कूल परिसर के आसपास नजर रखें। उनकी एक छोटी सी कोशिश शिक्षा निदेशालय के प्रयास को मजबूत करने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम साबित होगी।
निदेशालय की ओर से कहा गया कि भले ही वे अपनी पहचान गुप्त रखते हुए शिकायत करें लेकिन इस दिशा में कदम जरूरी उठाए। कोशिश करें कि इसकी फोटो खींच लें, जिससे कार्यवाही करना आसान होगा।
इसलिए सख्ती के लिए उठाया कदम
शिक्षा निदेशालय की ओर से बताया गया कि छोटे बच्चों में 45 प्रतिशत को पेट की समस्या है। 30 प्रतिशत बच्चे मोटे पाए गए हैं। खून की कमी और इसी तरह की कई अन्य बीमारियां भी बच्चों में मिली है। इसकी बड़ी वजह यह मानी गई है कि बच्चे घर का पोषक खाना खाने के बजाय कैंटीन से जंक फूड खा रहे हैं।
औसतन 2.80 लाख बच्चे रेसिस में खाते हैं जंक फूड
करनाल जिले में 778 सरकारी स्कूल हैं। जहां इस सत्र में 1 लाख 80 हजार बच्चे कक्षा पहली से बारहवीं तक पढ़ रहे हैं। वहीं जिले के 92 सीबीएसई स्कूलों में भी इन कक्षाओं पढ़ने वाले बच्चों का आंकड़ा भी एक लाख के आस-पास है। लगभग सभी स्कूलों में कैंटीन भी है। जहां जंक फूड भी बिकता ही है। इसके अलावा हर स्कूल के बाहर छुट्टी व रेसिस के समय भी रेहड़ियों का जमावड़ा लग जाता है।
जिला शिक्षा अधिकारी बैठक कर सौंपेंगे रिपोर्ट
विभाग द्वारा जारी आदेशों को सभी जिलों में लागू करवाने के लिए एक सप्ताह का समय दिया गया है। इसके अनुसार सभी जिला शिक्षा अधिकारियों को सभी स्कूल हेड के साथ बैठक कर इन आदेशों से अवगत कराना होगा। ताकि सख्ती से पालना हो सके। वहीं इसकी रिपोर्ट को उन्हें विभाग को ई-मेल करके अवगत कराना होगा।
अवहेलना पर होगी कार्रवाई
बच्चों की सेहत और सुरक्षा को ध्यान में रख कर यह फैसला लिया गया है। अभिभावकों को भी बच्चों को जागरूक करना चाहिए कि जंक फूड का सेवन उनके लिए कितना खतरनाक है। स्कूल कैंटीन में और इसके इर्द-गिर्द जंक फूड की बिक्री बैन करने के लिए सभी जिला शिक्षा अधिकारियों को पत्र जारी कर दिया है। आदेशों की अवहेलना करने वाले स्कूलों के खिलाफ भी कार्रवाई अमल में लाई जाएगी।
सरोज बाला गुर, डिप्टी डायरेक्टर, शिक्षा विभाग हरियाणा।