निगदू की पुत्रवधु डा. भारती पांडे को इंटरनेशनल अवार्ड
परिश्रम करने के बाद फल अवश्य मिलता है। इसके लिए इंसान को अपने जीवन में समय का इंतजार भी करना पड जाता है लेकिन सफलता का फल उसे एक ना एक दिन जरूर प्राप्त होता है। खोज करने के बाद नेशनल अवार्ड प्राप्त करना मतलब अपने लक्ष्य की ओर कदम बढ़ाना। परिश्रमी ऐसी ही एक महिला जिसका जन्म उत्तरप्रदेष के बनारस में 15 जुलाई 19
संजीव गुप्ता, निगदू
सफलता पाने के लिए कठिन परिश्रम करना पड़ता है लेकिन जब यह समय आता है, तो हर तकलीफ दूर हो जाती है। जिले के निगदू निवासी मनबीर सिंह की पत्नी डॉ. भारती ने कुछ यही साबित करते हुए पूरे क्षेत्र का नाम रोशन किया है। उन्हें एक अमेरिकन एनजीओ की ओर से गेहूं अनुसंधान में उत्कृष्ट कार्य करने पर अंतरराष्ट्रीय पुरस्कार मिला है। विश्व में चयनित छह वैज्ञानिकों में डॉ. भारती एकमात्र भारतीय हैं। इस उपलब्धि पर उन्हें क्षेत्र के गणमान्य व्यक्तियों ने बधाई दी है। निगदू कस्बे के मनबीर सिंह की शादी 23 नवम्बर 2019 को डॉ. भारती पांडे से हुई थी। मनबीर सिंह वर्तमान में पीजीआई चंडीगढ़ में कार्यरत हैं और पीएचडी कर रहे हैं। जबकि उनकी पत्नी डॉ. भारती मुंबई के भाभा परमाणु अनुसंधान केंद्र में वैज्ञानिक अधिकारी के पद पर कार्यरत हैं। वैज्ञानिक खोज व अनुसंधान को लेकर उनके बीस से अधिक शोध पत्र अंतरराष्ट्रीय और राष्ट्रीय पत्रिकाओं में प्रकाशित हो चुके हैं। पुत्रवधु को इंटरनेशनल अवार्ड मिलने पर ससुराल पक्ष के लोग बेहद खुश हैं। उन्होंने व क्षेत्र के अन्य गणमान्य लोगों ने इस उपलब्धि पर पूरे परिवार को हार्दिक बधाई दी है। रतुए पर किया अनुसंधान
वैज्ञानिक अधिकारी डॉ. पांडे ने बताया कि इस उपलब्धि के लिए अपने परिवार के साथ वह पूर्व प्रधान वैज्ञानिक डॉ. रवीश चतरथ सहित आइआइडब्ल्यूबीआर के निदेशक डॉ. ज्ञानेंद्र प्रताप सिंह का आभार व्यक्त करती हैं। उल्लेखनीय है कि तीन अलग-अलग प्रकार के रतुआ फंगस में शामिल पीला रतुआ, काला रतुआ और तने का रतुआ पर उन्होंने अनुसंधान किया। इन्होंने इस रतुए की पहचान और विश्लेषण करके वैश्विक स्तर पर गेहूं जीनोमिक्स अनुसंधान में अहम योगदान दिया, जिसके आधार पर उन्हें इस पुरस्कार के लिए चुना गया।