Move to Jagran APP

वह दुनिया में 36 घंटे के लिए आया और जाते-जाते दो की जिंदगी कर गया राेशन

शिवा 36 घंटे के लिए इस दुनिया में आया और उसके बाद चला बया। लेकिन, उसकी मौत के बाद परिजनों ने बड़ा दिल दिखाया और उसकी आंखें दान कर दी।

By Kamlesh BhattEdited By: Published: Mon, 27 Aug 2018 08:16 PM (IST)Updated: Wed, 29 Aug 2018 12:42 PM (IST)
वह दुनिया में 36 घंटे के लिए आया और जाते-जाते दो की जिंदगी कर गया राेशन
वह दुनिया में 36 घंटे के लिए आया और जाते-जाते दो की जिंदगी कर गया राेशन

करनाल [मनोज ठाकुर]। वो 36 घंटे के लिए दुनिया में आया था। ... और ऐसा कर गया कि फरिश्ता बन गया। उसे मौत के क्रूर पंजे ने दबोच लिया। नन्हे फरिश्ते के परिजनों ने मौत को यूं मात दी कि जिंदगी भी मुस्कुराने को मजबूर हो गई। उसे तो बेनाम ही दुनिया से विदा किया जा रहा था। पर उन्हें यह कतई मंजूर नहीं था। श्मशान घाट में नामकरण हुआ। शिवा! यही नाम रखा गया। दफनाने से पहले शिवा की आंखें दान कर दी गईं।

loksabha election banner

इस तरह शिवा ने न सिर्फ मौत को पीछे धकेल दिया बल्कि उन दो लोगों को भी रोशनी दे दी, जो अभी तक दुनिया नहीं देख पा रहे थे। अब वे देखेंगे। शिवा की नजर से। शिवा इसी माह की 22 तारीख को पैदा हुआ था मनोज के परिवार में। 22 अगस्त को 1:00 बजे के करीब बच्चे ने जन्म लिया। उसे इन्फेक्शन था।

गंभीर हालत को देखते हुए उसे चंडीगढ़ रेफर कर दिया। वहां इलाज के दौरान उसकी मौत हो गई। इस भागदौड़ में बच्चे का नाम भी नहीं रखा। मनोज ने बताया कि कैसे नाम सोच लेते, वे तो बस लगे हुए थे कि किसी तरह से नवजात की जान बच जाए, लेकिन मात्र 35- 36 घंटे के दौरान ही उसकी मौत हो गई।

दफनाने आए थे, यहां पलटा मन

परिजन दफनाने के लिए अर्जुन गेट स्थित श्मशान घाट पहुंच गए थे। वहीं पर जन सेवा दल, माधव नेत्र बैंक, अपना आशियाना आश्रम के सेवादार सेवा का कार्य कर रहे थे। संस्था के अध्यक्ष कर्मजीत बाली ने बताया कि सेवादारों ने परिवार से बातचीत की। उन्हें समझाया कि नेत्रदान करना चाहिए। उनके घर का चिराग बेशक बुझ गया है, लेकिन दो नेत्रहीनों को रोशनी मिल सकती है। परिजनों ने उनकी बात मान ली। इस तरह से श्मशानघाट में नामकरण किया गया। इसके बाद नेत्रदान की प्रक्रिया पूरी कर शिवा को दफनाया गया।

इसके लिए चाहिए बड़ा दिल

मैक्स सुपर स्पेशलिटी अस्पताल शालीमारबाग दिल्ली के मुख्य कंसल्टेंट यूरोलॉजिस्ट एवं गुर्दा प्रत्यारोपण सर्जन डॉ. वाहिद जमान, और नेफ्रोलॉजी के कंसल्टेंट डॉ. योगेश छाबड़ा ने कहा कि यह बहुत बड़ी मिसाल है। ऐसे निर्णय के लिए बहुत बड़ा जिगर चाहिए। शिव के अभिभावकों ने उदाहरण पेश किया है। निश्चित ही यह दूसरों को भी प्रेरित करेगा। नेत्रदान के प्रति बहुत ज्यादा जागरूकता की जरूरत है। लोगों के मन में इसे लेकर काफी भ्रम है। इस तरह के उदाहरण भ्रम और धारणा को तोडऩे में मील का पत्थर साबित होते हैं।

हरियाणा की ताजा खबरें पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें

पंजाब की ताजा खबरें पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.