कृषि क्षेत्र की चुनौतियों को पार करने के लिए दूसरी हरित क्रांति की जरूरत : डॉ. पीके घोष
केंद्रीय मृदा लवणता अनुसंधान संस्थान में फसल सुधार के लिए 10 दिवसीय पाठ्यक्रम का शुभांरभ हुआ। भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद द्वारा प्रायोजित कार्यशाला 29 अगस्त तक चलेगा। जिसमें हरियाणा, पंजाब, उत्तर प्रदेश व बिहार के 20 वैज्ञानिक भाग ले रहे हैं। कार्यक्रम मेंडॉ. पीके घोष ने मुख्यातिथि के रूप में शिरकत की। उन्होंने पाठ्यक्रम का महत्व बताया और प्रतिभागियों को नई तकनीकों से क्षेत्र में उपयोग करने की बात कही। जिससे किसानों को अधिक से अधिक लाभ होगा।
जागरण संवाददाता, करनाल :
केंद्रीय मृदा लवणता अनुसंधान संस्थान में फसल सुधार के लिए 10 दिवसीय पाठ्यक्रम का शुभांरभ हुआ। भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद द्वारा प्रायोजित कार्यशाला 29 अगस्त तक चलेगा। जिसमें हरियाणा, पंजाब, उत्तर प्रदेश व बिहार के 20 वैज्ञानिक भाग ले रहे हैं। कार्यक्रम मेंडॉ. पीके घोष ने मुख्यातिथि के रूप में शिरकत की। उन्होंने पाठ्यक्रम का महत्व बताया और प्रतिभागियों को नई तकनीकों से क्षेत्र में उपयोग करने की बात कही। जिससे किसानों को अधिक से अधिक लाभ होगा।
उन्होंने कृषि क्षेत्र में आ रही चुनौतियों के बारे में बताया कि इस समय कृषि योग्य भूमि कम हो रही है और फसल अवशेष व्यर्थ में नष्ट हो रहे हैं। मृदा का संरक्षण नहीं हो रहा है। इसके अलावा मृदा में पोषक तत्वों की कमी हो रही है और भूमि की लवणता भी बढ़ रही है। आज देश को दूसरी हरित क्रांति की आवश्यकता है। इसके लिए नई तकनीक का उपयोग बहुत जरूरी है। इस मौके पर संस्थान के निदेशक डॉ. प्रबोध चंद्र शर्मा, डॉ. अनीता मान व डॉ. एसके सनवाल मौजूद रहे।