पानी-सीवर के तीन करोड़ की जगह 10 लाख रुपये जुटा पाया नगर निगम
करोड़ों रुपये खर्च कर शहर को स्मार्ट बनाने का जिम्मा उठाने वाला नगर निगम अभी तक पानी बिल की वेबसाइट डेवलप नहीं करवा पाया है।
जागरण संवाददाता, करनाल : करोड़ों रुपये खर्च कर शहर को स्मार्ट बनाने का जिम्मा उठाने वाला नगर निगम अभी तक पानी बिल की वेबसाइट डेवलप नहीं करवा पाया है। कोई उपभोक्ता निगम कार्यालय में पानी का बिल भरने जा रहा है तो उसे खाली हाथ वापस लौटना पड़ रहा है। सरकार ने पायलट प्रोजेक्ट के तहत करनाल और सोनीपत में जनस्वास्थ्य विभाग को नगर निगम में सात माह पहले मर्ज कर दिया था। बिना तैयारी के किया गया सरकार का फैसला जनता पर भारी पड़ता नजर आ रहा है। पुराने आंकड़े के अनुसार सालभर में शहर के उपभोक्ता तकरीबन तीन करोड़ रुपये का रेवन्यू सरकार को दे रहे थे, लेकिन ताजा आंकड़ों में नगर निगम में केवल दस लाख रुपये ही जमा हो पाए हैं। दूसरी तरफ, पानी-सीवर के बिल में भी सरकार बढ़ोतरी करने जा रही है।
सितंबर 2018 को मर्ज हुआ था विभाग
पायलट प्रोजेक्ट के तहत करनाल और सोनीपत में जनस्वास्थ्य विभाग को 16 सितंबर 2018 को नगर निगम में मर्ज कर दिया गया था। मर्ज होने के बाद से ही पानी-सीवर जनस्वास्थ्य विभाग की वेबसाइट बिल जमा नहीं कर रही थी। शहर के लगभग 40 हजार उपभोक्ताओं को कभी निगम तो कभी जनस्वास्थ्य विभाग में चक्कर काटने पड़ रहे हैं। अब नगर निगम में डेस्क तो बिठा दी गई, लेकिन पानी-सीवर बिल कलेक्शन की नई वेबसाइट चालू नहीं हो पाई है।
यहां ध्यान देने वाली बात है कि उपभोक्ता पर सात माह के पानी-सीवर बिल का बोझ तो पड़ा ही है, नगर निगम अधिकारी भी मामले में आंख मूंद मीटिग तक ही खुद को व्यस्त दिखाते रहे। सरकार के इस फैसले से रेवन्यू तो रुका ही है और उपभोक्ताओं को अब बिल अदा के लिए भी परेशानी का सामना करना पड़ेगा।
पेयजल सैंपल बता रहे अधिकारियों की सतर्कता
विशेषज्ञों की सलाह है कि पानी उबाल कर छान कर पीएं। यहीं एक मात्र उपाय आम आदमी अपने घर में कर सकता है। जिम्मेदारों को क्या फर्क पड़ता है भुगतता तो आम आदमी है। सरकार के पायलट प्रोजेक्ट की तैयारी का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि पेयजल में टिनऑक्साइड का मिश्रण पर भी सवाल खड़े हो रहे हैं। स्वास्थ्य विभाग ने जून 2018 में 136 सैंपल पानी के लिए। इसमें से 31 फेल आए। यानी जिले में 22.79 प्रतिशत पानी दूषित सप्लाई हो रहा है। पूरे साल में अभी तक 1720 पानी के सैंपल लिए गए। इनमें से 90 आर्थोल्यूडिन टेस्ट में फेल पाए गए। 91 सैंपल बैक्ट्रोलॉजिकल टेस्ट में फेल हो गए। यही नहीं 105 सैंपल हाइपर क्लोरिड के सामने आए हैं। इन आंकड़ों के बावजूद शहर के लोगों की किसी अधिकारी को चिता नहीं है।
शहरवासी बिल बढ़ोतरी के लिए भी रहें तैयार
विभागीय अधिकारियों के मुताबिक वॉटर मीटर का इस्तेमाल करने वाले उपभोक्ताओं को प्रति यूनिट के हिसाब से बिल अदा करना होगा। 10 किलो लीटर के लिए 2.5 रुपये, 20 किलो लीटर तक 5, 80 किलो लीटर तक 8 तथा 30 किलो लीटर से अधिक पर 10 रुपये के हिसाब से बिल जमा करवाना होगा। इसके अलावा वेस्ट वॉटर चार्ज 20 प्रतिशत जोड़ा जाएगा। घरेलू कनेक्शन का वाणिज्यक, औद्योगिक, संस्थागत रूप में दुरुपयोग पाए जाने पर बिना मीटर कनेक्शन धारक को एक हजार रुपये तक चार्ज देना होगा। वहीं जिन उपभोक्ताओं ने सीवरेज कनेक्शन लिया हुआ है उन घरेलू उपभोक्ताओं को 100 रुपये प्रति माह, जबकि इंडस्ट्रियल, कमर्शियल व इंस्टीट्यूशनल को 500 रुपये प्रति माह देना होगा।
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एक्सईएन सत्यप्रकाश जोशी ने बताया कि बिल कलेक्शन के लिए वेबसाइट को लेकर अधिकारियों के साथ मीटिग की गई है। एक सप्ताह में इसे चालू कर दिया जाएगा। नए पानी-सीवर बिल चार्ज अभी लागू नहीं किए जा रहे हैं।