प्रदर्शनी में थर्मोकोल और प्लास्टिक के मॉडल नहीं होंगे शामिल
0 सिर्फ लकड़ी और कागज के बने मॉडल ही होंगे मान्य, एससीईआरटी ने सर्कुलर जारी कर दिए
0 सिर्फ लकड़ी और कागज के बने मॉडल ही होंगे मान्य, एससीईआरटी ने सर्कुलर जारी कर दिए निर्देश जागरण संवाददाता, करनाल
शिक्षा विभाग ने प्रदूषण के खिलाफ जागरूकता फैलाने के लिए इस बार कड़ा निर्णय लिया है। विज्ञान प्रदर्शनी में अब थर्मोकोल और प्लास्टिक से बने मॉडल पूर्ण रूप से प्रतिबंधित कर दिया है। केवल लकड़ी और कागज से बने मॉडल ही विद्यार्थी पेश कर सकेंगे। बढ़ते प्रदूषण को देखते हुए एससीईआरटी ने सभी स्कूलों को सर्कुलर जारी कर ये निर्देश दिए हैं। ये निर्देश राज्य स्तरीय जवाहर लाल नेहरू विज्ञान प्रदर्शनी से ही लागू होंगे। इसलिए लिया फैसला
विज्ञान प्रदर्शनी के माध्यम से बच्चों को भविष्य या विज्ञान से जुड़ी चीजों की परिकल्पना करने को कहा जाता है। इसमें बच्चे ज्यादातर थर्माकोल और प्लास्टिक का इस्तेमाल करते हैं। जबकि प्रदूषण का सबसे बड़ा कारण भी यहीं है, क्योंकि इनका निस्तारण नहीं किया जा सकता। इसलिए एससीईआरटी के अधिकारियों ने इस विषय पर चर्चा करते हुए विज्ञान प्रदर्शनी में इसे प्रतिबंधित करने का निर्णय लिया है। 21 जनवरी को है राज्य स्तरीय प्रदर्शनी
राज्य शैक्षिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद (एससीईआरटी) गुरुग्राम में 21 जनवरी को राज्य स्तरीय जवाहर लाल नेहरू विज्ञान प्रदर्शनी का आयोजन किया जा रहा है। इस प्रदर्शनी में थर्मोकोल और प्लास्टिक से बनाए मॉडल को शामिल नहीं किया जाएगा। अब बच्चों को विज्ञान के मॉडलों में लकड़ी और कागज का ही इस्तेमाल होगा। तीन दिन तक चलने वाली प्रदर्शनी में प्रतिभागी विज्ञान, गणित और पर्यावरण के मॉडल प्रस्तुत करेंगे। दूसरों को जागरूक कर की जाती थी खानापूर्ति
प्रदूषण के खिलाफ शिक्षा विभाग ने कई अभियान चला रखे हैं। इसमें होता यूं है कि रैली, नुक्कड़ नाटक, गोष्ठी और सेमिनार का आयोजन कर हमेशा दूसरों को जागरूक किया जाता है, लेकिन शिक्षा विभाग की गतिविधियों में भी प्लास्टिक इत्यादि के यूज से पर्यावरण को प्रदूषित किया जा रहा था। ऐसे में खुद जागरूक न होकर दूसरों को जागरूक करने वाले अभियान महज खानापूर्ति बनकर ही रह जाते थे। लेकिन अब ऐसा न हो, इसी क्रम में ही विज्ञान प्रदर्शनी से इसकी शुरूआत की गई है। वर्जन-
एससीईआरटी के अनुसार राज्य स्तरीय प्रदर्शनी में वही प्रतिभागी भाग ले सकेंगे। जिन्होंने जिला स्तरीय प्रदर्शनी के 6 विषयों में पहला और दूसरा स्थान प्राप्त किया हो। एक विषय के मॉडल के लिए एक छात्र और अध्यापक भाग ले सकता है। पर्यावरण बचाने की दिशा में शिक्षा विभाग ने यह कदम उठाया है।
-डॉ. सुशील, जिला विज्ञान विशेषज्ञ करनाल।