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मिड डे मील वर्कर ने सरकार के खिलाफ किया प्रदर्शन

केंद्रीय बजट में मिड-डे-मील वर्करों के मानदेय में बढ़ोत्तरी नहीं करने से नाराज वर्करों ने सरकार के खिलाफ जोरदार प्रदर्शन किया। मिड-डे-मील वर्कर जो सरकारी स्कूलों में बच्चों के लिए मिड डे मील बनाने के काम में लगी हुई हैं को 2009 से केंद्र सरकार केवल 1000 रुपये मानदेय दे रही है। वह भी साल में 10 महीने। वर्कर्स को उम्मीद थी कि भाजपा सरकार अपने अंतिम बजट में वर्कर्स के मानदेय में बढ़ोतरी करेगी परंतु सरकार ने ऐसा नहीं किया। इसके विरोध में शुक्रवार को मिड-डे-मील वर्कर्स फेडरेशन, सीटू के आह्वान पर देश भर में बड़े पैमाने पर विरोध कार्यवाहियां हो रही हैं।

By JagranEdited By: Published: Sat, 09 Feb 2019 08:57 AM (IST)Updated: Sat, 09 Feb 2019 08:57 AM (IST)
मिड डे मील वर्कर ने सरकार के खिलाफ किया प्रदर्शन
मिड डे मील वर्कर ने सरकार के खिलाफ किया प्रदर्शन

जागरण संवाददात, करनाल : केंद्रीय बजट में मिड-डे-मील वर्करों के मानदेय में बढ़ोत्तरी नहीं करने से नाराज वर्करों ने सरकार के खिलाफ जोरदार प्रदर्शन किया। मिड-डे-मील वर्कर जो सरकारी स्कूलों में बच्चों के लिए मिड डे मील बनाने के काम में लगी हुई हैं को 2009 से केंद्र सरकार केवल 1000 रुपये मानदेय दे रही है। वह भी साल में 10 महीने। वर्कर्स को उम्मीद थी कि भाजपा सरकार अपने अंतिम बजट में वर्कर्स के मानदेय में बढ़ोतरी करेगी परंतु सरकार ने ऐसा नहीं किया। इसके विरोध में शुक्रवार को मिड-डे-मील वर्कर्स फेडरेशन, सीटू के आह्वान पर देश भर में बड़े पैमाने पर विरोध कार्यवाहियां हो रही हैं। फव्वारा पार्क में एकत्रित हुई वर्करों की मी¨टग की अध्यक्षता शिमला देवी ने की व संचालन कमलेश ने किया।

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प्रदर्शन के दौरान कृष्ण शर्मा, जगपाल राणा, हरीश बागी, शीशपाल, ओमप्रकाश माटा, रोशन गुप्ता, अशोक पांचाल, सुनीता, अनीता, संतोष व मूर्ती ने कहा कि मिड-डे-मील वर्कर्स पिछले लंबे समय से न्यूनतम वेतन, मानदेय में बढ़ोतरी, सामाजिक सुरक्षा की गारंटी व मिड डे मील योजना को मजबूत बनाने की मांग को लेकर लगातार आंनदोलनरत हैं। परन्तु भाजपा सरकार मिड- डे -मील वर्कर्स को लगातार नजरअंदाज करती रही है। यहां तक कि सितंबर 2018 में प्रधानमंत्री द्वारा आंगनवाड़ी कर्मियों और आशा वर्कर्स के मानदेय में बढ़ोतरी की घोषणा की गई, लेकिन उस समय भी मिड-डे-मील वर्कर्स को बिलकुल नजरअंदाज किया गया व अवहेलना की गई। राष्ट्रीय फेडरेशनों ने 19 नवंबर 2018 को दिल्ली में संसद के सामने प्रदर्शन किया था। उस समय वित्त मंत्री अरूण जेटली ने कहा था कि हमसे मिड-डे-मील वर्कर्स छूट गए हैं व इनके मानदेय में बढ़ोतरी करने का एजेंडा हमारी सरकार प्राथमिकता पर रखेगी। परन्तु अभी भी बजट में उन्हें छोड़ दिया गया।

ज्ञापन में इन मांगों का है जिक्र

मिड-डे-मील वर्कर्स के मानदेय में तुरंत बढ़ोत्तरी की जाए व अंतरिम बजट में इसके लिए प्रावधान किया जाए। 45वें श्रम सम्मेलन की सिफारिशों को लागू करते हुए मिड डे मील वर्कर्स को मजदूर का दर्जा मिले। न्यूनतम वेतन व पेंशन सहित सामाजिक सुरक्षा की गारंटी प्रदान की जाए।

मिड-डे-मील योजना के लिए पर्याप्त बजट आवंटित किया जाए। मिड-डे-मील योजना को एजीओज को देने व किसी भी रूप में इसके निजीकरण पर रोक लगे। छंटनीग्रस्त मिड-डे-मील वर्कर्स की काम पर बहाली हो। बिहार में महीने भर से जारी हड़ताल की मांगों का तुरंत निपटारा हो व दमन-उत्पीड़न की कार्यवाही पर रोक लगे।


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