हेल्थ सेंटरों पर स्टाफ पूरा करने का रहेगा प्रयास, चिकित्सा सुविधाएं भी बेहतर होंगी : डॉ. रमेश
जले के सभी हेल्थ सेंटरों की विजिट की जा रही है। ज्यादातर में हालात ऐसे हैं कि 24 घंटे स्टाफ की जरूरत होती है वहां पर एक भी डॉक्टर नहीं है। इस प्रकार की स्थिति बेहद चिताजनक है। ऐसी हेल्थ सेंटरों को चिन्हित किया जा रहा है।
जागरण संवाददाता, करनाल: जिले के सभी हेल्थ सेंटरों की विजिट की जा रही है। ज्यादातर में हालात ऐसे हैं कि 24 घंटे स्टाफ की जरूरत होती है वहां पर एक भी डॉक्टर नहीं है। इस प्रकार की स्थिति बेहद चिताजनक है। ऐसी हेल्थ सेंटरों को चिन्हित किया जा रहा है। सरकार से टाइअप कर मैनपावर को बढ़ाने का प्रयास किया जाएगा। यह बात नवनियुक्त सिविल सर्जन डॉ. रमेश कुमार ने दैनिक जागरण से सप्ताह के साक्षात्कार के दौरान बातचीत में कही। उन्होंने कहा कि घरौंडा कस्बा जीटी रोड पर है। सबसे महत्वपूर्ण जगह है, लेकिन यहां पर डॉक्टरों की कमी है। इसको दूर करने के लिए प्रयास शुरू कर दिए हैं। हमारी प्राथमिकता यह है कि जो प्रोग्राम पीछे चल रहे हैं उनको मुख्य धारा में लाया जाए। पूरे स्टाफ के साथ एकजुट होकर काम किया जाएगा। डॉ. रमेश कुमार से बातचीत के पेश हैं कुछ अंश: सवाल : सरकारी स्वास्थ्य सेवाओं पर लोगों का विश्वास कम क्यों हैं, आप इसे किस प्रकार देखते हैं?
जवाब : ऐसा नहीं है यदि सरकारी स्वास्थ्य सेवाओं पर लोगों का विश्वास कम होता तो आज ओपीडी इतनी नहीं होती। सीमित सुविधाएं हैं, लेकिन फिर भी 1200 के पार नागरिक अस्पताल में ओपीडी हो रही हैं। निर्देश दिए हैं कि अस्पताल में मरीजों को कोई दिक्कत न हो। सवाल : जिले का लिगानुपात तो बढ़ा है, लेकिन और सुधार की जरूरत है, उसके लिए क्या योजना है?
जवाब : लिगानुपात का आंकड़ा जिले में सम्मानजनक है। पिछले साल के मुकाबले इस साल करनाल ने अच्छी परफारमेंस है। एक हजार लड़कों के पीछे 936 हमारा लिगानुपात है। हमारा लक्ष्य है कि एक हजार लड़कियां हों। लोगों को लगातार बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ के बारे में जागरूक किया जा रहा है। अगर किसी भ्रूण जांच की कोई सूचना है तो वह बिना देरी के हमें सूचित करें। सूचना सही मिलने पर ईनाम भी दिया जाएगा। सवाल : स्वास्थ्य से जुड़े कई प्रोग्राम ऐसे हैं जो धीमी गति से चल रहे हैं, उसको पटरी पर लाना चुनौती है कैसे संभव हो पाएगा, मैनपावर भी सीमित है?
जवाब : यह ठीक है कि मैन पावर कम है, लेकिन सरकार के जो प्रोग्राम कम स्पीड से चल रहे हैं उनको गति देने के लिए विशेष योजना बनाई जाएगी। सभी डिप्टी सिविल सर्जन की बैठक ली है। उसमें हमने चर्चा भी की है कि कैसे फैमिली प्लानिग, जन्म-मृत्यु प्रमाण-पत्र सरलीकरण, आयुष्मान योजना का लाभ कैसे लाभार्थी को मिले। हमारे पास अनुभवी स्टाफ है उसका फायदा मिलेगा। पूरी टीम एकजुट होकर काम करेगी। इसलिए मै समझता हूं कि कोई काम कठिन नहीं है। सवाल : आयुष्मान योजना का लाभ कैसे मिले लोग समझ नहीं पा रहे हैं?
जवाब: इसके लिए जागरूकता अभियान स्वास्थ्य विभाग की तरफ से जारी है। आयुष्मान योजना का लाभ हर लाभार्थी के पास बिना परेशानी के मिले यह हमारी प्राथमिकता है। योजना के संबंध में कोई परेशानी है तो वह आयुष्मान सेंटर से जानकारी ले सकता है। कल्पना चावला राजकीय मेडिकल कॉलेज व नागरिक अस्पताल में सेंटर बनाए हुए हैं। इसके बाद भी कोई दिक्कत है तो सिविल सर्जन कार्यालय में भी पूछताछ कर सकता है। संक्षिप्त परिचय
डॉ. रमेश कुमार जन्म आठ अक्टूबर 1961 को अंबाला के हसनपुर गांव में हुआ। उनकी प्राथमिक शिक्षा अंबाला में ही हुई। रोहतक से उन्होंने एमबीबीएस की पढ़ाई पूरी की। कुछ समय तक एडहॉक पर काम किया। उसके बाद फतेहाबाद के मेहमदपुर से वह सरकारी सेवा में आए। यहां पर पांच साल सेवाएं देने के बाद 1991 में जगाधरी स्थित ईएसआइ में रहे। 2008 में सीनियर मेडिकल ऑफिसर के तौर पर पदोन्नत होकर पंचकूला में सेवाएं दी। इसके बाद बिलासपुर में भी एसएमओ रहे। नवंबर 2019 में सिविल सर्जन बने। सिविल सर्जन के तौर पर करनाल में पहली पोस्टिग मिली है।