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नहीं रुक रही प्रवासी कामगारों की पैदल घर वापसी

प्रदेश के अलग-अलग जिलों से कामगारों की घर वापसी रुक नहीं रही है। आवाजाही का साधन न मिलने के बावजूद अमृतसर से मध्यप्रदेश उत्तर प्रदेश बिहार के लिए महिलाओं व बच्चों सहित कामगार गर्मी में पैदल सफर को निकल पड़े हैं। कुछ लोग मोटरसाइकिल साइकिल से निकल रहे हैं जबकि कुछ पैदल ही हजारों किलोमीटर का सफर तय करने को मजबूर हो रहे हैं। अंबाला से दिल्ली जाते समय करनाल सेंटर प्वाइंट होने के कारण अधिकतर कामगार अपना डेरा यहीं पर बनाए हुए हैं। कामगारों का कहना है कि तालाबंदी खुलने का समय तय न होने के कारण रोजगार छिन गया है और खाने के लाले पड़े हुए हैं। किसी तरह घर पहुंचने की इच्छा लेकर निकल पड़े हैं। ऐसे में कहीं न जागरूकता की कमी होना भी है क्योंकि सरकार की तरफ से निर्माण कार्य व औद्योगिक इकाइयों को चालू करने की छूट दे दी गई है।

By JagranEdited By: Published: Mon, 11 May 2020 07:44 PM (IST)Updated: Tue, 12 May 2020 06:21 AM (IST)
नहीं रुक रही प्रवासी कामगारों की पैदल घर वापसी
नहीं रुक रही प्रवासी कामगारों की पैदल घर वापसी

जागरण संवाददाता, करनाल : प्रदेश के अलग-अलग जिलों से कामगारों की घर वापसी रुक नहीं रही है। आवाजाही का साधन न मिलने के बावजूद अमृतसर से मध्यप्रदेश, उत्तर प्रदेश, बिहार के लिए महिलाओं व बच्चों सहित कामगार गर्मी में पैदल सफर को निकल पड़े हैं। कुछ लोग मोटरसाइकिल, साइकिल से निकल रहे हैं, जबकि कुछ पैदल ही हजारों किलोमीटर का सफर तय करने को मजबूर हो रहे हैं। अंबाला से दिल्ली जाते समय करनाल सेंटर प्वाइंट होने के कारण अधिकतर कामगार अपना डेरा यहीं पर बनाए हुए हैं। कामगारों का कहना है कि तालाबंदी खुलने का समय तय न होने के कारण रोजगार छिन गया है और खाने के लाले पड़े हुए हैं। किसी तरह घर पहुंचने की इच्छा लेकर निकल पड़े हैं। ऐसे में कहीं न जागरूकता की कमी होना भी है, क्योंकि सरकार की तरफ से निर्माण कार्य व औद्योगिक इकाइयों को चालू करने की छूट दे दी गई है। कामगारों का सेंटर प्वाइंट बना करनाल

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हिसार, फतेहबाद, जींद से शामली-मेरठ पहुंचने के लिए कामगार कैथल मार्ग से करनाल पहुंच रहे हैं। इसी तरह पटियाला से पेहवा, कुरुक्षेत्र से दिल्ली के लिए जाने वाले कामगार भी यहां विश्राम के लिए रुक रहे हैं। लॉकडाउन की घोषणा के 15 दिन बाद शहर में कामगारों की भीड़ जुटनी शुरू हो गई है। कामगारों का कहना है कि स्थाई ठिकाना न होने के कारण करनाल बेहतर स्थान है और यहां खान-पान सहित रहने में भी परेशानी नहीं है। मुख्यमंत्री का शहर होने के कारण यहां के अधिकारी उनकी सुनवाई भी करते हैं, जिसके चलते यहां से रोडवेज बस मिलने की उम्मीद है। घर वापसी का रजिस्ट्रेशन खुलने पर अधिकतर अन्य जिलों से पहुंचे कामगारों ने हुडा कार्यालय में रजिस्ट्रेशन करवाया है। अमृतसर से झांसी व खरड़ से मध्यप्रदेश की पैदल यात्रा

फोटो 35 विष्णु

झांसी के स्थाई निवासी विष्णु ने बताया कि वे अमृतसर में धागा फैक्ट्री में काम करते थे और लॉकडाउन की घोषणा होने के बाद काम बंद हो गया था। खाने के लाले पड़ने के कारण वे अपने साथियों के साथ झांसी पहुंचने के लिए पैदल ही निकल पड़े। करनाल में बेहतर सुविधाओं की जानकारी मिलने पर अब एक सप्ताह से यहीं रुके हुए हैं और घर वापसी के लिए रजिस्ट्रेशन भी करवाया है। करनाल बलड़ी बाइपास के पास परिवार सहित पैदल जा रहे रामनिवास ने बताया कि लॉकडाउन के 40 दिन बाद भी जब काम नहीं मिला तो सारा सामान सिर पर उठाकर पैदल ही मध्य प्रदेश के लिए निकल पड़े हैं। खरड़ में मजदूरी करके गुजारा करते थे और अब जमा पूंजी भी खत्म हो चुकी है। आवाजाही का साधन न मिलने के कारण महिलाओं व बच्चे के साथ घर के लिए पैदल जा रहे हैं। धार्मिक संस्थाओं का सहयोग सराहनीय

पुरानी सब्जी मंडी, अनाज मंडी, सेक्टर-12, नई अनाज मंडी में सहित अन्य स्थानों पर धार्मिक संस्थाओं की तरफ से तकरीबन 24 हजार से अधिक लोगों के लिए तीनों समय लंगर की व्यवस्था की गई है। लॉकडाउन से पहले धार्मिक संस्थाओं द्वारा 10-12 हजार लोगों को भोजन सेवा दी जा रही थी, जोकि अब संख्या बढ़ कर अधिक हो गई है। धार्मिक संस्था के प्रतिनिधि ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि सेवा मन से होती है और इसकी संख्या का आकलन नहीं करना चाहिए। समाजसेवियों के सहयोग से ही लॉकडाउन के दौरान शहर में किसी को भूखा नहीं सोने दिया जा रहा है। संयम से काम लें प्रवासी कामगार : उपायुक्त

उपायुक्त निशांत कुमार ने बताया कि प्रदेश सरकार के प्रयास से लॉकडाउन के दौरान प्रवासी कामगारों को घर वापसी न करने के लिए प्रेरित किया जा रहा है। प्रशासन व समाजसेवियों के सहयोग से जरूरतमंदों को खाने की सुविधा उपलब्ध करवाई जा रही है। लॉकडाउन में ढील के बाद औद्योगिक इकाइयों व निर्माण कार्यों को चालू कर दिया गया है। कामगारों को परेशान न होकर काम पर लौटने की आवश्यकता है। कामगारों की चिता को देखते हुए ऑनलाइन पोर्टल पर घर वापसी के लिए रजिस्ट्रेशन किया जा रहा है। बावजूद प्रशासन की तरफ से सभी को अपने-अपने काम पर लौटने की अपील की जा रही है।


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