करनाल सुपर मॉम्स की पहल : पुस्तकें दान कीजिए, जरूरतमंद बच्चों को फ्री में देंगे
जागरण संवाददाता, करनाल नई और उम्दा सोच। बड़े बदलाव की। महिलाओं को एक मंच पर लाकर सशक्त बनाने की। घर की चारदीवारी से बाहर सम्मान और रुतबे के साथ जी सके। इसी सोच के साथ गुंजन और ऋचा आगे बढ़ी।
एक महीना पहले सेक्टर-14 की महिलाओं ने बनाया था वाट्सएप ग्रुप,
राहगीरी से की शुरुआत, स्टाल लगाकर लोगों को किया जागरूक जागरण संवाददाता, करनाल
नई और उम्दा सोच। बड़े बदलाव की। महिलाओं को एक मंच पर लाकर सशक्त बनाने की। घर की चारदीवारी से बाहर सम्मान और रुतबे के साथ जी सके। इसी सोच के साथ गुंजन और ऋचा आगे बढ़ी। वाट्सएप ग्रुप बनाकर प्रयास किया। जो अब रंग लाने लगा है। दोनों ने मिलकर एक महीना पहले करनाल सुपर मॉम्स नाम से वाट्सएप ग्रुप बनाया था। महिलाओं को इसके साथ जोड़ा। ग्रुप में अब 400 सदस्य हैं। एक दूसरे की समस्याओं को मिलकर हल करती हैं। हर सुख-दुख में साथ देती हैं। ग्रुप की मेंबर यदि घर पर अपना काम शुरू कर रही है तो मिलकर उसका प्रचार भी करती हैं। महिलाओं के इस दल ने अब समाजसेवा की दिशा में कदम बढ़ाया है। गुंजन व ऋचा का मानना है कि महिलाएं करना तो बहुत कुछ चाहती हैं, लेकिन उन्हें सही मंच नहीं मिल पाता। यह कदम उन्हें उचित मंच प्रदान करने का प्रयास है। मुहिम देगी बच्चों के सपनों को उड़ान
करनाल सुपर मॉम्स ग्रुप ने राहगीरी से पहल की है। इसे नाम दिया उड़ान। मकसद है बच्चों को निश्शुल्क किताबें मुहैया कराना, जिससेउनके सपनों को नई उड़ान मिल सके। वे पढ़ सकें और आगे बढ़ सकें। इसमें केवल स्कूली किताबें ही नहीं होंगी, बल्कि स्टेशनरी भी होगी। ज्ञानवर्द्धक पुस्तकें और महापुरुषों की जीवनियों पर आधारित बुक्स भी लोग जमा करा सकते हैं। नई सोच के साथ राहीगीरी में आई सुपर मॉम्स का यह आइडिया राहगीरों को काफी पसंद आया। सेक्टर-12 में सचिवालय के सामने आयोजित राहगीरी कार्यक्रम में पहली बार इसका स्टाल लगा। पहला दिन था। इसलिए राहगीरों ने बड़ी ही उत्सुकता से इसके बारे में जाना। अधिकतर ने ग्रुप की महिलाओं की इस योजना को सराहा। गुंजन, ऋचा, लविशा, पारुल व रुक्मिणी ने उड़ान के बारे में बताया। साल में दो बार जरूरमंदों को देंगे पुस्तकें
गुंचन व रिचा ने बताया कि उनके ग्रुप की यह पहली शुरुआत है। शुरुआत में अधिक से अधिक किताबें व स्टेशनरी इकट्ठा करेंगे। सेक्टर-14 की मुख्य मार्केट की 32 नंबर दुकान में लोग पुरानी पुस्तकें दान कर सकते हैं। काफी संख्या में पुस्तकें इकट्ठा होने पर महिलाएं जरूरतमंद बच्चों को चिह्नित करेंगी। साल में दो बार इन्हें आवंटित किया जाएगा।