गीता है जीवन का सार, गीता की महिमा अपरंपार : मनोहर लाल
जागरण संवाददाता, करनाल : मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने कहा कि गीता संपूर्ण जीवन का सार है। इसक
जागरण संवाददाता, करनाल : मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने कहा कि गीता संपूर्ण जीवन का सार है। इसकी महिमा अपरंपार है। गीता का अध्ययन करने से व्यक्ति कभी विचलित नहीं हो सकता। गीता अजर है-अमर है, भगवान श्रीकृष्ण ने मोहग्रस्त अर्जुन से समस्त मानव जाति की भलाई के लिए आज से 51 सौ वर्ष पूर्व गीता का जो संदेश दिया था, वे आज भी प्रासंगिक है। वह रविवार को सेक्टर-12 करनाल हुडा ग्राउंड में आयोजित विराट गीता प्रेरणा महोत्सव में बोल रहे थे।
उन्होंने कहा कि 1990 से गीता मनीषी स्वामी ज्ञानानंद की देखरेख में कुरुक्षेत्र में गीता जयंती को जिला स्तर पर मनाया जाता था, परंतु तीन वर्षो से संत-महात्माओं के मार्गदर्शन में गीता जयंती कुरुक्षेत्र में अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मनाई जा रही है। इतना ही नहीं हरियाणा सरकार गीता जयंती 28 से 30 नवंबर तक प्रदेश के प्रत्येक जिले में मनाएगी। मुख्यमंत्री ने कहा कि संत सतपाल ¨सह ने इच्छा जाहिर की है कि अमेरिका में भी अगले वर्ष गीता जयंती मनाई जाए। इसके लिए हरियाणा सरकार तैयार है। हरियाणा सरकार का उद्देश्य है कि गीता जयंती को विश्वव्यापी बनाया जाए। उन्होंने कहा कि गीता के केवल आधे श्लोकों ने जीवन को कर्म करने की शिक्षा देकर उनके जीवन को बदल दिया। यदि सात सौ श्लोकों का अध्ययन किया जाए, तो जीवन में कितना बड़ा बदलाव होगा।
ज्ञान-विज्ञान ही गीता : शर्मा
शिक्षा मंत्री रामविलास शर्मा ने कहा कि ज्ञान, विज्ञान और जिज्ञासा ही गीता है। जीवन की हर समस्या का समाधान ही गीता है, इसलिए सरकार ने गीता को पाठयक्रम में शामिल करने का निर्णय लिया है। उन्होंने कहा कि प्रदेश के दो संतों स्वामी रामदेव और स्वामी ज्ञानानंद ने भगवे को पूरे विश्व में विख्यात किया है। हरियाणा की मिट्टी को इन दोनों संतों पर गर्व है। स्वामी ज्ञानानंद ने विराट गीता प्रेरणा महोत्सव पर आए सभी संतों, राजनेताओं, शिक्षकों, विद्यार्थियों का स्वागत किया। उन्होंने कहा कि आज गीता के इस पावन कार्यक्रम में पहुंचकर एक ऐतिहासिक निर्णय लिया है। गीता समस्त समाज के लिए है। गीता मंदिर तक सीमित न रहकर घर-घर का श्रृंगार बने।
महिलाएं ने गीता रखी सिर पर
इस विराट महोत्सव में वाल्मीकि समाज की सैकड़ों महिलाओं ने गीता को सिर पर रखकर दो किमी तक पैदल यात्रा कर समरसता की भावनाओं को उजागर किया। स्वामी ज्ञानानंद ने कहा कि जीयो गीता संस्था नहीं, बल्कि स्वाभिमान की एक भावना है। गीता न्यायालयों में, कार्यालयों में, चिकित्सालयों में, जेल में, सचिवालयों में पहुंचे। इसके लिए जियो गीता भरसक प्रयास कर रही है। उन्होंने कहा कि नेत्रहीन विद्यालयों में नियमित रूप से गीता का पाठ किया जा रहा है और आने वाले समय में जीयो गीता से पूरे देश के नेत्रहीन विद्यालयों में गीता का पाठ कराया जाएगा। उन्होंने गीता और गाय पर राजनीति करने वाले लोगों को नसीहत देते हुए कहा कि न गाय राजनीति है और न गीता।
प्रत्येक घर में गीता पाठ हो : डॉ. कृष्ण गोपाल
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सहसर कार्यवाहक डॉ. कृष्ण गोपाल ने कहा कि देश के प्रत्येक घर में गीता का पाठ हो, जो उपदेश भगवान श्रीकृष्ण ने 5100 वर्ष पहले दिया था, वह आज भी सार्थक है। गीता ज्ञान युद्ध के दिनों में भी शांति देता है। विश्व के बड़े-बड़े वैज्ञानिकों की सफलता का कारण गीता का अध्ययन है। उन्होंने कहा कि यहां तक प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी विदेशी अतिथियों के सम्मान में उन्हें गीता की प्रति भेंट करते हैं। इस मौके पर स्वामी रामदेव, गुरु शरणानंद, जूना अखाड़ा के महामंडलेश्वर स्वामी अवेदशानंद, गुरु परमानंद, भूपेंद्र ¨सह, सतपाल ¨सह, मोलाना, जैन मुनि ने भी गीता पर प्रकाश डाला और गीता के प्रचार-प्रसार के लिए जीयो गीता संस्थान के संचालक स्वामी ज्ञानानंद महाराज को बधाई दी। प्रदेश में गीता के प्रसार के लिए सभी संतों और वक्ताओं ने मुख्यमंत्री मनोहर लाल को साधुवाद दिया।
ये रहे मौजूद : इस मौके पर विधायक घरौंडा हर¨वद्र कल्याण, नीलोखेड़ी विधायक भगवानदास कबीरपंथी, विधायक असंध बख्शीश ¨सह विर्क, मेयर रेनूबाला गुप्ता, ओएसडी अमरेंद्र ¨सह,पूर्व केंद्रीय मंत्री आईडी स्वामी, पूर्व सांसद डॉ. अर¨वद शर्मा, पूर्व मंत्री शशिपाल मेहता, भाजपा के प्रदेश महामंत्री एडवोकेट वेदपाल, जिलाध्यक्ष जगमोहन आनंद, केडीबी के सचिव अशोक सुखीजा, जिला महामंत्री योगेंद्र राणा, स्वच्छ भारत मिशन हरियाणा के कार्यकारी उपाध्यक्ष सुभाष चंद्र, जीयो गीता परिवार से श्याम बत्तरा, पंकज भारती, समाज सेवी बृज गुप्ता, कपिल अत्रेजा, एसीएस डॉ. केके खंडेलवाल, उपायुक्त डॉ. आदित्य दहिया, एसपी जेएस रंधावा आदि थे।
मुख्यमंत्री के दिल को छूआ
मुख्यमंत्री मनोहर लाल विराट गीता महोत्सव में जब अपना भाषण दे रहे थे, तो उन्होंने कार्यक्रम में हुए एक दृष्टांत को बयां किया, 'सोनीपत का एक दिव्यांग अपनी मांग लेकर मुझ से मिलना चाहता था, परंतु सुरक्षाकर्मियों ने उसे रोक लिया। मैंने उसकी व्यथा जानने के लिए स्टेज से नीचे पहुंच गया तो मेरे ओएसडी अमरेंद्र ¨सह ने मुझे बताया कि वे इसे 20 हजार रुपये की जरूरत को पूरा करना चाहता था, लेकिन इसकी मांग है कि उसे पैसे नहीं अपना काम करने के लिए गैस सिलेंडर और रेहड़ी की जरूरत है और वह उनसे अपनी चाय की दुकान करना चाहता है। दिव्यांग गीता से प्रेरित कर्म करने की भावना देखते हुए मैंने तुरंत एसडीएम को आदेश दिए कि वे उसे गैस सिलेंडर उपलब्ध कराएं, अगर ऐसा करना किसी नियम के दायरे में नहीं आता, तो मेरे करनाल स्थित आवास से मेरा निजी सिलेंडर उसे दिया जाए।'