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यहां स्नान के बाद सोना दान करते थे कर्ण

पूर्व मुख्यमंत्री बंसी लाल ने अपने कार्यकाल में कर्ण ताल की स्थिति को सुधारा था लेकिन इसके बाद यह लगातार अनदेखी का शिकार होता गया। बरसों बाद सीएम मनोहर लाल ने इसकी सुध ली और वादे अनुसार इसका जीर्णोद्धार करवाया।

By JagranEdited By: Published: Wed, 25 Sep 2019 09:09 AM (IST)Updated: Wed, 25 Sep 2019 09:09 AM (IST)
यहां स्नान के बाद सोना दान करते थे कर्ण
यहां स्नान के बाद सोना दान करते थे कर्ण

जागरण संवाददाता, करनाल : शहर के मध्य में स्थापित कर्ण ताल को देखते ही करनाल का इतिहास आंखों के सामने आने लगता है। यह वही जगह है, जहां कर्ण स्नान करने के बाद सोना दान करते थे। ताल के साथ ही स्थित झारखंडी मंदिर में भगवान शिव की पूजा अर्चना करते थे। बताते हैं कि कड़ी तपस्या के बाद मंदिर में राजा कर्ण को भगवान शिव ने दर्शन दिए थे। धार्मिक दृष्टि से भी इस मंदिर और कर्ण ताल की मान्यता है।

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क्यों है पर्यटन स्थल के रूप में विकसित करने की संभावना

कर्ण ताल को देखने के लिए लोग दूर-दूर से आता है। वह उस स्थल को देखना चाहते हैं, जहां राजा कर्ण सोना दान करते थे। लिहाजा इस ताल की प्रसिद्धि को भुनाकर इसे पर्यटन स्थल के रूप में विकसित किया जा सकता है। यहां आकर लोग अपना समय व्यतीत कर सकते हैं।

सीएम मनोहर लाल ने करवाया जीर्णोद्धार

पूर्व मुख्यमंत्री बंसी लाल ने अपने कार्यकाल में कर्ण ताल की स्थिति को सुधारा था, लेकिन इसके बाद यह लगातार अनदेखी का शिकार होता गया। बरसों बाद सीएम मनोहर लाल ने इसकी सुध ली और वादे अनुसार इसका जीर्णोद्धार करवाया। जीर्णोद्धार होते ही कर्ण ताल में फिर लोगों की रौनक लौटनी शुरू हो गई। यहां सुविधाएं बढ़ाई गई तो साथ ही म्यूजिकल फाउंटेन की स्थापना की गई। शाम के समय संगीत और रंग-बिरंगी लाइटों के बीच थिरकता फव्वारा लोगों के आकर्षण का केंद्र है।

अभी बाकी है रेस्टोरेंट का निर्माण

करीब साढ़े तीन एकड़ क्षेत्र में फैले कर्ण ताल में 2280 वर्ग मीटर की वाटर बॉडी बनाई गई है। ताकि ताल का स्वरूप बना रहे। इसके अतिरिक्त बच्चों के मनोरंजन के लिए भी यहां झूल लगाए हैं। यहां पर एक रेस्टोरेंट और संग्रहालय बनाने की योजना भी है। संग्रहालय में महाभारत से जुड़ी काष्ठ निर्मित मूर्तियों और पुस्तकों को रखा जाएगा। इस समय लोगों के लिए आकर्षण का केंद्र दानवीर राजा कर्ण की विशाल प्रतिमा भी है। लोग वीक एंड पर कर्ण ताल में परिवार सहित आते हैं। इसके साथ ही घर पर कोई रिश्तेदार आने के बाद उसे बड़े चाव से कर्ण ताल घुमाने के लिए भी लेकर आते हैं।


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