Move to Jagran APP

दिल्ली और पंजाब के लिए काल बना करनाल

जीटी रोड पर करनाल और इसके आसपास कई डेथ प्‍वांइट हैं। यहां अाए दिन हादसों में लोगों की मौत हाे रही है। टोल कंपनी का सड़क सुरक्षा पर कोई ध्‍यान नहीं है। ऐसे में बड़े सवाल उठते हैं।

By Sunil Kumar JhaEdited By: Published: Tue, 19 Dec 2017 04:23 PM (IST)Updated: Tue, 19 Dec 2017 05:28 PM (IST)
दिल्ली और पंजाब के लिए काल बना करनाल
दिल्ली और पंजाब के लिए काल बना करनाल

करनाल, [मनोज ठाकुर]। अगर आप दिल्ली से पंजाब जा रहे हैं तो कर्णनगरी करनाल के पास सावधान हो जाएं। कहीं ऐसा न हो कि यहां कोई अनहोनी हो जाए। यहां आए दिन हो रहे सड़क हादसे तो इसी बात का डर पैदा कर रहे हैं। करनाल ही क्यों? पानीपत, सोनीपत, शाहाबाद और अंबाला समेत अनगिनत डेथ प्वाइंट हैं। ये यहां से गुजरने वालों के लिए काल साबित हो रहे हैं।

loksabha election banner

मौत का हाईवे

जालंधर से पानीपत तक 291 किलोमीटर लंबे जीटी रोड 4518 करोड़ रुपये खर्च करने के बाद भी एलओसी से भी ज्यादा खतरनाक साबित हो रहा है। औसतन 400 करोड़ रुपये प्रति साल कमाने के बाद भी टोल कंपनी सुरक्षा पर एक पैसा भी खर्च नहीं कर रही है।

गलत से तरीके से बने ओवरब्रिज और साइन बोर्ड न होने की वजह से चालकों के लिए इस रोड पर सफर करना बड़े जोखिम से कम नहीं है। रोड कितना खतरनाक है इसका अंदाजा इसी से लगा सकते हैं कि 11 माह में 348 लोगों की मौत हो गई। यह आंकड़़ा सिर्फ करनाल जिले के अंदर का है। यानी एक मौत रोज।

प्रसिद्ध जीटी रोड पर अनगिनत हैं डेथ प्वाइंट, जहां आए दिन होते हादसे

सैन्य सुरक्षा विशेषज्ञ डॉक्टर मेजर राजेंद्र सिंह भट्‌टी ने बताया कि यदि मौत का यह आंकड़ा देखा जाए तो इतना खतरनाक तो एलओसी भी नहीं है। हरियाणा विधानसभा में इस बार सरकार द्वारा दिए गए आंकड़े के अनुसार, औसतन चार हजार लोग हर साल सड़कों पर अपनी जान गंवा रहे हैं। इतनी मौत किसी भी अन्य अपराधिक वारदात में नहीं हुई है। इसके बाद भी सरकार और प्रशासन का ध्यान इस ओर नहीं है। रोड सेफ्टी पर कुछ भी खर्च नहीं हो रहा है।

सिर्फ टोल वसूलने पर जोर

रोड सेफ्टी विशेषज्ञ डॉक्टर हरपाल सिंह बताते हैं कि सोमा कंपनी के पास इस रोड के रखरखाव का ठेका है। कंपनी ने ही इसके चौड़ीकरण का काम किया है, लेकिन उसका पूरा ध्यान टोल वसूलने पर है। हाईवे पर सफर करने वाला हर कोई कैसे सुरक्षित रहे इस दिशा में कुछ नहीं हो रहा है। यही कारण है कि आए दिन हादसे हो रहे हैं।



गलत तरीके से खड़े ट्रक बनते हदसे की वजह

सेवा लाइफ आन रोड संस्था के मैकेनिकल इंजीनियर डॉ. दिनेश कुमार व रोड इंजीनियर राजन वर्मा ने बताया कि 30 फीसद हादसे रोड साइड गलत तरीके से खड़े किए गए ट्रकों के कारण होते हैं। यातायात पुलिस यदि नियमित जांच करे तो इस पर रोक लगाई जा सकती हैट्रक चालकों की इस आदत पर रोक लगाने की दिशा में कुछ नहीं हो रहा है। डॉ. दिनेश ने बताया कि कुछ ट्रक चालक तो टिपर तक का प्रयोग नहीं करते हैं। ऐसे में पीछे से आ रहे वाहन चालक को आगे की स्थिति का पता ही नहीं चल पाता है। इसका परिणाम हादसे के तौर पर ही सामने आता है।

ओवर स्पीड भी बन रही वजह

साफ सुथरा रोड देख कर चालक ओवर स्पीड पर चल रहे हैं। पंजाब के रोड सेफ्टी विशेषज्ञ नवदीप असीजा ने इस हाइवे पर ओवर स्पीड को लेकर एक रिसर्च कीइसमें उन्‍होंने पाया कि 120 किलोमीटर की स्पीड होने पर वाहन चालक साइन बोर्ड सही से नहीं पढ़ पाता। हाइवे पर सौ मीटर की दूरी से ही वाहन चालक को पता चल जाना चाहिए कि आगे क्या हैलेकिन जब ओवर स्पीड होती है तो इससे रफ्तार होने की वजह से चालक सौ मीटर की दूरी से सही से देख नहीं पाता। जब तक उसे समझ में आता है वह हादसा प्वाइंट तक पहुंच जाता है। नवदीप ने बताया कि हाईवे पर ओवर स्पीड हादसों की 40 फीसद वजह है।



नशे और नींद में गाड़ी चलाना

नवदीप के रिसर्च में सामने आया है कि 55 प्रतिशत ट्रक चालक बिना पूरी नींद किए ही गाड़ी चलाते हैं। वे सही तरह से आराम नहीं करते हैं। इस कारण ट्रक चालक खुद के साथ रोड पर चल रहे दूसरे वाहन चालकों के लिए भी हादसे की वजह बन रहे हैं।

नवदीप के सर्वे के अनुसार, ट्रक चालकों से सबसे ज्यादा हादसे सुबह चार बजे से लेकर सात बजे तक होते हैं। इस समय सबसे अधिक नींद के झोंके आते हैं। इसी तरह से नशा भी हादसों की बड़ी वजह बन कर उभर रहा है। नशे की वजह से चालक ओवर स्पीड और गलत तरीक ओवरटेक करते हैं। जो हादसे की वजह बनता है। इस पर रोक लगान के लिए भी हाईवे अथारिटी को कड़े कदम उठाने चाहिए।

हेलमेट न पहनना भी मौत का बड़ा कारण

नवदीप के अनुसार, दोपहिया वाहन चालक के हादसों में 70 प्रतिशत मौत की वजह हेलमेट न पहनना होता है। इन मौतों को टाला जा सकता है। इसके लिए जागरूक अभियान चलाया जाना चाहिए। इसके साथ ही सख्ती भी होनी चाहिए। बस हम सब को मिल कर इस दिशा में प्रयास करने होंगे। विशेषज्ञों ने बताया कि हेलमेट की क्वालिटी भी अच्छी होनी चाहिए। गुणवत्ता यदि अच्छी नहीं है तो हेलमेट बचाव नहीं कर सकता। इस वजह से भी हादसे में मौत हो सकती है।

साल में 400 करोड़ रुपये का टोल जुटाते हैं

टोल प्‍लाजा टोल कंपनी और सरकार के लिए पैसा उगाने का बड़ा जरिया बने हुए हैं। स्थिति यह है कि पंजाब के शंभू बेरियर और करनाल टोल से कंपनी हर साल औसतन 400 करोड़ रुपये की उगाही कर रही है। इतना पैसा जुटाने के बाद भी हाईवे पर सुरक्षित सफर की गारंटी नहीं मिल रही है।

विशेषज्ञों का कहना है कि टोल कंपनियों के एजेंडे में सेफ्टी नहीं है। आम आदमी भी इस बारे में जागरूक नहीं है। हर हादसे के लिए टोल कंपनी भी किसी न किसी तरीके से जिम्मेदार है। उसकी जिम्मेदारी तय होनी चाहिए। कंपनी को सुरक्षा को लेकर अपनी नीतियों में बदलाव करना चाहिए।



कट भी हादसों का बड़ा कारण

जीटी रोड पर करनाल के अासपास कई कट सालों से हादसों की वजह बन रहे हैं, लेकिन इन्हें आज तक बंद करने या सुरक्षित बनाने की दिशा में कुछ नहीं हुआ है। जानकारों का कहना है कि कट के पीछे भी बड़ा भ्रष्टाचार है। इसमें कुछ कट तो नेताओं की मेहरबानी से खुले हैं। कुछ कट के पीछे यातायात पुलिस को कुछ के पीछे एनएच अथारिटी है। यहीं वजह है कि कट बंद करने की दशा में कुछ नहीं हो रहा है।



डीसी भी लाचार, सिर्फ हिदायत दे सकते हैं

करनाल के डीसी आदित्य दहिया ने बताया कि एनएच अथारिटी और टोल कंपनी को सख्त हिदायत दी गई कि कट बंद करने की दशा में उचित कदम उठाए। रोड सेफ्टी को लेकर जो अगली मीटिंग हो रही है, इसमें भी इस पर चर्चा की जाएगी। क्योंकि यह देखा गया कि कट हादसों की वजह बन रहे हैं। इसलिए इन्हें बंद किया जाना चाहिए। डीसी ने बताया कि हाईवे एनएच अथारिटी और टोल कंपनियों के अंडर आता है। इस वजह से वे उन्हें हिदायत ही दे सकते हैं।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.