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लाल और काली मिट्टी से बनी रसोई घर की वस्तुएं लुभा रही है पर्यटकों को

पलवल के वनचैरी गांव में रहने वाले गजराज सिंह ने बताया कि वह अंतरराष्ट्रीय गीता महोत्सव-2019 में रसोई में प्रयोग करने वाले बर्तनों को मिट्टी से तैयार करके लाए है।

By JagranEdited By: Published: Tue, 26 Nov 2019 01:00 AM (IST)Updated: Tue, 26 Nov 2019 06:15 AM (IST)
लाल और काली मिट्टी से बनी रसोई घर की वस्तुएं लुभा रही है पर्यटकों को
लाल और काली मिट्टी से बनी रसोई घर की वस्तुएं लुभा रही है पर्यटकों को

जागरण संवाददाता, कुरुक्षेत्र: पलवल के वनचैरी गांव में रहने वाले गजराज सिंह ने बताया कि वह अंतरराष्ट्रीय गीता महोत्सव-2019 में रसोई में प्रयोग करने वाले बर्तनों को मिट्टी से तैयार करके लाए है। उन्होंने बताया कि यह बर्तन वह लाल और काली मिट्टी से बनाते हैं। वह पहले इस मिट्टी को सुखाता है, फिर उसको छानकर घोलकर उसे चाक पर डाल कर आकृतियों के बर्तन बनाते हैं । एक बर्तन बनाने और उसे अंतिम रूप देने में कम से कम 15 दिन का समय लगता है।

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उन्होंने बताया कि वह अंतरराष्ट्रीय गीता महोत्सव में हर साल आते हैं। उनके बनाए हुए बर्तन पर्यटकों को बहुत ही लुभा रहे है। उन्होंने बताया कि इस बर्तन की कला के लिए पहले उसके बाबा मोहन लाल को 1998 में नेशनल अवार्ड मिला है और उसके बाद उसे हरियाणा सरकार से 2017 स्टेट अवार्ड मिला है। वह इस मेले में लाल व काली मिट्टी से बने हांडी, कढाई, भगुना, दहीं के डोंगे, तवे, कप, जग, बोतल, गिलास आदि सामान लेकर आए हैं। इस सामान की कीमत 50 से 450 रुपये तक है। उन्होंने महोत्सव में प्रशासन की तरफ से किए गए इंतजामों की भी तारीफ की है।


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