ये धुंध और स्मॉग है, सावधानी नहीं बरती तो हो सकते हैं बीमार
जागरण संवाददाता, करनाल सुबह पांच बजे पूरा शहर सफेद चादर से ढका था। लोग उठे तो बोले-
जागरण संवाददाता, करनाल
सुबह पांच बजे पूरा शहर सफेद चादर से ढका था। लोग उठे तो बोले- अचानक धुंध कहां से आ गई। सैर के लिए घर से पार्क के लिए निकले तो परेशानी हुई। कुछ को आंखों में जलन की शिकायत हुई तो कुछ को सांस लेने में। कुछ देर सैर-सपाटा कर पार्क में ही एक बेंच पर बैठे बुजुर्गों ने भी मौसम पर विचार रखने शुरू किए। सेक्टर-9 निवासी राधेश्याम ने बोले- अभी धुंध कहां से आ गई? यह तो प्रदूषण की देन है। अगर धुंध होती तो परेशानी नहीं होती। स्वास्थ्य पर इसका गलत असर नहीं पड़ता। अटल पार्क में लोगों ने अपने अलग-अलग विचार रखे। दैनिक जागरण ने इस मामले की गहनता से पड़ताल की। दैनिक जागरण ने केंद्रीय मृदा लवणता अनुसंधान संस्थान के मौसम विशेषज्ञ डॉ. डीएस बुंदेला ने कहा कि यह धुंध नहीं है। अचानक तापमान के बढ़ने-घटने के कारण यह स्थिति बनी। धुंध और धुएं के मिश्रण से स्मॉग बनी है। इससे लोगों को परेशानियों हुई हैं। आने वाले 24 घंटे में मौसम का हाल
केंद्रीय मृदा लवणता अनुसंधान संस्थान के मुताबिक सोमवार को अधिकतम तापमान 25.0 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया। वहीं, न्यूनतम तापमान घटकर 13.4 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया। सुबह के समय स्मॉग में दृश्यता महज पांच मीटर दर्ज की गई। सुबह के समय हवा में नमी की मात्रा 100 फीसदी दर्ज की गई जो शाम को घटकर महज 60 फीसदी रह गई। हवा 2.6 किलोमीटर प्रतिघंटा की रफ्तार से चली। आने वाले 24 घंटे में मौसम साफ रहने का अनुमान है। डॉक्टरों की सलाह, श्वास और हृदय रोगी रखें परहेज
सीनियर फिजिशयन डॉ. कमल चराया ने कहा कि स्मॉग के दुष्प्रभावों को देखते हुए श्वास और हृदय रोगी अगर घर में ज्यादा समय बिताएं तो बेहतर होगा। वातावरण में स्मॉग की मौजूदगी श्वास रोगियों के लिए सही नहीं है। स्मॉग का निर्माण कई तरह की विषैली गैसों, धूल-मिट्टी के कणों से होता है। जब इन कणों के संपर्क में श्वास रोगी आते हैं तो उन्हें श्वास प्रणाली में सूजन, रुकावट, गले में खरास, चुभन, दम घुटना, सांस लेने में दिक्कत जैसी समस्याओं का सामना करना पड़ता है। कई बार तो रोगी को अस्थमा का अटैक भी जाता है। पिछले दो-तीन दिन में स्मॉग की वजह से आंखों में होने वाली एलर्जी के काफी मरीज पहुंच रहे हैं। एलर्जी से पीड़ित आंखों में से लगातार पानी गिरने, खारिश होने, जलन, आंखें लाल होने जैसी समस्याएं बता रहे हैं। सुबह-शाम घर से बाहर जाने से बचें
बच्चों को डॉक्टरी परामर्श पर नैबुलाइजेशन कराएं
बाहर जाते वक्त मास्क, रुमाल लगाएं
हेलमेट पहनें, आंखों पर चश्मा लगाएं
अस्थमा रोगी इन्हेलर की डोज बढ़ा दें
श्वास के रोगी सुबह टहलने से बचें
हृदय रोगी विशेष सावधानी बरतें दवा का असर कम, भाप से ही आराम
बच्चों में दवा कम असर कर रही है। खांसते खांसते बच्चों का बुरा हाल हो रहा है। इसी वजह से चिकित्सक नेबुलाइजेशन को ज्यादा बेहतर बता रहे हैं। बाल रोग विशेषज्ञ डा. निधि शर्मा का कहना है कि नेबुलाइजेशन से सांस नलिकाएं साफ होती है और बच्चों को तेजी से आराम मिल जाता है।