रोडवेज में टिकट मामले की जांच शुरू, विजिलेंस टीम ने रिकॉर्ड खंगाला
अक्टूबर 2018 में रोडवेज की अनिश्चितकालीन हड़ताल के वक्त निजी प्रेस से स्थानीय अधिकारियों ने 94.17 लाख रुपये के टिकट छपवाने के मामले में जींद विजिलेंस टीम ने रिकार्ड को कब्जे में लेकर जांच की है। विजिलेंस डीजी ने जींद विजिलेंस को यह जांच सौंपी है।
जागरण संवाददाता, करनाल : अक्टूबर 2018 में रोडवेज की अनिश्चितकालीन हड़ताल के वक्त निजी प्रेस से स्थानीय अधिकारियों ने 94.17 लाख रुपये के टिकट छपवाने के मामले में जींद विजिलेंस टीम ने रिकार्ड को कब्जे में लेकर जांच की है। विजिलेंस डीजी ने जींद विजिलेंस को यह जांच सौंपी है। मंगलवार को तीन सदस्यीय टीम करनाल रोडवेज कार्यालय में पहुंची। टीम में इंसपेक्टर बलवान सिंह, सब-इंसपेक्टर बलजीत सिंह, जगबीर सिंह शामिल हैं।
हरियाणा रोडवेज वर्कर्स यूनियन के जिला प्रधान सुखविद्र उर्फ सुक्का, महासंघ प्रधान काला राम, ईश्वर सिंह भी विजिलेंस टीम से मिले। यूनियन नेताओं ने टीम को बिना नंबर की टिकटों की प्रतियां दी और साथ ही हड़ताल के दौरान आउटसोर्सिग पॉलिसी के तहत लगाए परिचालकों की वे-बिल की प्रतियां जमा कराई। उन्होंने आरोप लगाया कि हड़ताल के दौरान फर्जी टिकटें छपवाकर लाखों रुपए की गड़बड़ी की गई है। इसमें विभाग के कई सीनियर अधिकारी भी मिले हुए हैं। बताया जा रहा है कि हड़ताल के दौरान जो 94.17 लाख रुपये की टिकट छपवाई गई थी, इनके 58 लाख रुपये तो जमा करा दिए, बाकी रकम जमा नहीं हुई। इस तरह से 36-37 लाख रुपये का अंतर आ रहा है।
प्रदेश के 24 डिपो और 12 सब डिपो में चल रही जांच
अनिश्चितकालीन हड़ताल के दौरान प्रशिक्षण, आउटसोर्सिंग पर लगे स्टाफ को कंडक्टर का काम सौंपा। इनको रोडवेज के टिकट इसलिए नहीं दे पाए कि ऑनलाइन सिस्टम में स्थाई कर्मचारियों के नाम से ही टिकट इश्यू होती हैं। बुकिंग ब्रांच ने रोडवेज टिकटों को जारी नहीं किया। ऐसे में स्थानीय अधिकारियों ने लोकल स्तर पर टिकटों को छपवा लिया।
जीएम रोडवेज का हो गया था तबादला
मामला प्रकाश में आते ही विवादों में आए उस वक्त के जीएम अश्विनी डोगरा का ट्रांसफर कर दिया है। रविद्र पाठक को नया जीएम लगाया गया है। इस मामले की जांच पहले विभागीय स्तर पर हुई। इसके बाद मंत्री ने विजिलेंस जांच के निर्देश दिए थे।