सीएम सिटी करनाल की आबोहवा को स्वच्छ रखने की पहल, 12 बिंदुओं पर फोकस
सीएम सिटी में आबोहवा की स्वच्छता के लिए 12 बिंदुओं पर फोकस किया जाएगा। सभी विभागों के अधिकारियों को कचरा प्रबंधन पौधारोपण जल संरक्षण और स्वच्छता के निर्देश दिए गए हैं। अधिकारियों को जिला पर्यावरण योजना पर काम करना होगा।
करनाल, जागरण संवाददाता। आबोहवा को स्वस्थ करने के लिए प्रशासनिक अधिकारियों की ओर से जिला पर्यावरण योजना पर काम किया जा रहा है। मौजूदा दौर में पर्यावरण सरंक्षण एक महत्वपूर्ण विषय है और एनजीटी के निर्देशों का इंतजार न करके प्रशासनिक अधिकारी अपने स्तर पर वातावरण की सुरक्षा की पहरेदारी में जुटे हैं। जिले में प्रत्येक गली, मोहल्ला, कस्बा व शहर साफ-सुथरा करने की योजना बनाई गई है। इसके अलावा नेशनल हाईवे पर कूड़े के ढेरों को खत्म किया जाएगा।
गांवों में तालाबों के जल को शत प्रतिशत ट्रीट करके माईक्रो इरीगेशन में लिया गया है। 75 ऐसे गांव हैं जिनमें नए सिरे से तालाब तैयार किए जा रहे हैं, ताकि उनमें एकत्र पानी का भूमिगत संचरण किया जा सके। इसके अलावा सभी उद्योगों के परिसरों में हानिकारक अपशिष्ट के अस्थाई भंडार बनाकर उसका निस्तारण किया जा रहा है।
जल और वायु की सुरक्षा को विभाग सतर्क
जिला पर्यावरण योजना के तहत प्रशासनिक अधिकारियों की ओर से जल और वायु की सुरक्षा के लिए 12 बिंदुओं पर काम किया जा रहा है। उपायुक्त अनीश यादव ने बताया कि ठोस अपशिष्ट का पृथ्थीकरण, मैन्यूअल व मशीनों से सफाई, वाहनों में अपशिष्ट एकत्रीकरण के लिए अलग-अलग भाग, अपशिष्ट का परिवहन, कम्पोस्ट पिट, लिगेसी वेस्ट का निस्तारण, गारबेज वल्ररेबल पायट की पहचान कर उनको खत्म करना, प्लास्टिक वेस्ट क्लैक्शन सेंटर, सीएंडडी वेस्ट मैनेजमेंट, हानिकारक व अन्य वेस्ट मैनेजमेंट, वायु व जल गुणवत्ता प्रबंधन, अंडर ग्राउंड सीवरेज नेटवर्क, ध्वनि प्रदूषण को रोकना, गुड प्रैक्टिसस व इन्वेंटरी के लिए अलग-अलग विभागों के अधिकारियों को आदेश दिए गए हैं।
पार्कों में गीले अपशिष्ट के प्रबंधन के लिए कम्पोस्ट पिट
नगर निगम के अतिरिक्त आयुक्त गौरव कुमार ने बताया कि बल्क में वेस्ट उत्सर्जन करने वाले जितने भी संस्थान हैं, वे अपने स्तर पर ही वेस्ट की प्रोसेसिंग कर रहे हैं। पार्कों व ग्रीन बैल्ट में गीले अपशिष्ट के प्रबंधन के लिए कम्पोस्ट पिट बनाई गई है, ड्राई वेस्ट के लिए 9 एमआरएफ सेंटर स्थापित हैं। करनाल में कूड़ा बीनने वालों की संख्या 298 है और सभी नगर निगम में रजिस्टर्ड हैं। उन्होंने बताया कि प्लास्टिक वेस्ट के प्रबंधन के लिए भिन्न-भिन्न कम्पनियों के ब्रैंड मालिक, नगर निगम का सहयोग करेंगे, इसकी प्रक्रिया चल रही है। पोल्यूशन कंट्रोल बोर्ड की थर्ड पार्टी के जरिए, उत्पादक कर्ताओं को ऐसे वेस्ट की मार्केटिंग की जिम्मेदारी दी गई है। प्रतिदिन शहर से तीन टन प्लास्टिक वेस्ट निकलता है, इसके डिस्पोजल के लिए सोनीपत की एक एजेंसी के साथ एग्रीमेंट किया गया है। सीएंडडी वेस्ट के बिंदू को लेकर सैक्टर-32 और पिंगली डेयरी स्थल पर सी एंड डी वेस्ट भेजा जा रहा है।
हानिकारक अपशिष्ट के अस्थाई भंडार बनाकर उसका निस्तारण
प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के क्षेत्रीय अधिकारी शैलेन्द्र अरोड़ा ने बताया कि 319 अस्पताल हैं, सभी में बार कोडिंग हैं, जिससे यह पता लगता है कि किस अस्पताल से कितना बायोमेडिकल वेस्ट निकला है। इसकी सूचना एचएसआईडीसी, प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड और अस्पताल की साईट पर जाती है। बायोमेडिकल वेस्ट का निस्तारण जिला के बजीदा स्थित हाट सुप्रीम वेस्टेक प्राईवेट लिमिटेड एजेंसी कर रही है। उन्होंने बताया कि हानिकारक वेस्ट प्रबंधन नियम 2016 के तहत सभी उद्योगों के परिसरों में हानिकारक अपशिष्ट के अस्थाई भंडार बनाकर उसका निस्तारण किया जा रहा है। ऐसे कचरे के वैज्ञानिक निस्तारण के लिए श्रमिकों को तकनीकी प्रशिक्षण दिया गया है। जिला में कहीं भी गैर कानूनी ढंग से ईस्ट वेस्ट की रिसाइकलिंग और डिस्मैंटिलिंग नहीं की जा रही। वायु गुणवत्ता प्रबंधन के बिन्दू पर उन्होंने बताया कि करनाल के सैक्टर-12 और नमस्ते चौक तथा 4 एमएलडी एसटीपी इन्द्री में सतत परिवेशी वायु गुणवत्ता निगरानी स्टेशन स्थापित हैं। इस तरह के दो अन्य स्टेशन भी स्थापित किए जाने की योजना है। उन्होंने बताया कि नायज जोन में ध्वनि प्रदूषण को रोकने के लिए साईन बोर्ड लगाए गए हैं।
तालाबों के जल को ट्रीट करके माइक्रो इरीगेशन में लिया
जल गुणवत्ता प्रबंधन पर पंचायती राज के एक्सईएन परमिंदर सिंह ने बताया कि जिला के 67 गावों में प्रदूषित जल के प्रबंधन की स्कीमें लागू हैं। इसके तहत तालाबों के जल को शत प्रतिशत ट्रीट करके माइक्रो इरीगेशन में लिया गया है, 75 ऐसे गांव हैं, जिनमें नए सिरे से तालाब तैयार किए जा रहे हैं, ताकि उनमें एकत्र पानी का भूमिगत संचरण किया जा सके। एसटीपी और अपशिष्ट प्रबंधन प्लांटों की जगहों पर पौधारोपण करवाया गया है। शहर में तीन हाट-स्पाट चिन्हित किए गए थे, वहां पर भी पौधारोपण करवाया गया है।