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बेटी बचाने के लिए लोगों के बढ़े कदम, 934 तक पहुंचा आंकड़ा : डॉ. राजेश

डिप्टी सिविल सर्जन फैमिली प्ला¨नग ने सप्ताह के साक्षात्कार के तहत की दैनिक जागरण से बातचीत

By JagranEdited By: Published: Mon, 21 Jan 2019 04:29 PM (IST)Updated: Tue, 22 Jan 2019 01:32 AM (IST)
बेटी बचाने के लिए लोगों के बढ़े कदम, 934 तक पहुंचा आंकड़ा : डॉ. राजेश
बेटी बचाने के लिए लोगों के बढ़े कदम, 934 तक पहुंचा आंकड़ा : डॉ. राजेश

जागरण संवाददाता, करनाल

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बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ का नारा साकार होने लगा है। करनाल के लोग बेटी बचाने के लिए आगे आए हैं, यही कारण है कि ¨लगानुपात 934 तक आ गया है। पहले के मुकाबले लोगों में जागरूकता आई है। बेटियों को बेटों के बराबर समझा जाने लगा है। जिस प्रकार बेटे के जन्म पर उत्सव मनाया जाता है उसी प्रकार बेटी के जन्म पर भी विशेष उत्सव मनाए जा रहे हैं। यह बात डिप्टी सिविल सर्जन डॉ. राजेश गौरिया ने दैनिक जागरण से सप्ताह के साक्षात्कार के तहत बातचीत में कही। उन्होंने कहा कि ¨लगानुपात की स्थिति में सुधार हुए हैं। स्वास्थ्य विभाग की टीम सभी अल्ट्रासाउंड सेंटरों और अस्पतालों या संदिग्ध स्थानों पर नजर बनाए हैं। कहीं पर भी यदि गर्भ की जांच बात सामने आती है तो टीम हरकत में आती है और पूरी मुस्तैदी के साथ काम करती है। विभाग ने ज्यादातर सफल रेड की हैं। बहुत से इस अपराध को करने वालों को जेल की सलाखों के पीछे भेजा गया है जो यह कन्या भ्रूण हत्या का पाप करते थे। उन्होंने कहा कि किसी भी सूरत में इस प्रकार का अपराध बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। अक्सर देखने में आता है कि अल्ट्रासाउंड सेंटर संदेह के घेरे में होते हैं, आप क्या कहेंगे?

बेटियों का आंकड़ा बढ़ाने के लिए स्वास्थ्य विभाग की ओर से जिले में कार्यरत 107 केंद्रों में 67 अल्ट्रासाउंड केंद्रों पर विशेष नजर रखी जा रही है। टीम द्वारा वहां पर लगातार चे¨कग की जा रही है। विभाग द्वारा इन केंद्रों पर किसी भी समय जाकर रिकॉर्ड चेक किया जा सकता हैं। इसके अलावा आइवीएफ सेंटरों पर भी स्वास्थ्य विभाग की नजर है। वहां पर होने वाली डिलीवरी का ब्योरा भी विभाग ने तलब किया हुआ है। 0 अभी तक आप अपने उद्देश्य में कितना सफल हुए हैं?

- डिप्टी सिविल सर्जन ने कहा, 100 फीसद नहीं, लेकिन मंजिल भी दूर नहीं है। अभी हमारे जिले का ¨लगानुपात एक हजार लड़कों के पीछे 934 है, लेकिन हमारा लक्ष्य है कि 66 के गैप का आंकड़ा कैसे दूर किया जाए। कहीं ना कहीं अभी भी कुछ शातिर लोग ऐसे हो सकते हैं जो गर्भ की जांच कराने से बाज नहीं आते, लेकिन वे बच नहीं पाएंगे। एक हजार लड़कों के पीछे एक हजार लड़कियों का लक्ष्य है। इसके लिए गंभीरता के साथ प्रयास किए जा रहे हैं। प्रसव हर स्थिति में अस्पतालों में ही हों, इसके लिए नजर रखी जा रही है। 0 पिछले आंकड़ों पर गौर किया जाए तो 15 जुलाई 2016 तक 27 रेड सफल रही, इसके बाद रेड तो हुई लेकिन कमी आई हैं?

बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ की दिशा में स्वास्थ्य विभाग तीव्रता से कार्य कर रहा है। विभाग की ओर से अगस्त 2015 से 15 जुलाई 2016 तक 27 सफल रेड की गई हैं। ऐसा नहीं है कि हम एक्टिव नहीं हैं, पहले के मुकाबले इस प्रकार की घटनाएं कम हुई हैं। इससे कार्रवाई का डर लगाएं या फिर बेटियों के प्रति लोगों में जागरूकता वजह दोनों भी हो सकती हैं। इसलिए रेड कम हुई हैं। जब भी इस प्रकार की सूचना हमें मिलती है हम तत्पर रहते हैं। वह लोगों से भी आग्रह करते हैं कि इस प्रकार की घटना कोई सामने आती है तो तुरंत स्वास्थ्य विभाग को सूचना दें। उसका नाम गुप्त रखा जाएगा। संक्षिप्त परिचय

डॉ. राजेश गौरिया का जन्म 31 अक्टूबर 1971 को जींद जिले के कालवा गांव में एक साधारण परिवार में हुआ है। उनकी प्राथमिक शिक्षा घरौंडा के अराईपुरा स्थित स्कूल में हुई। इसके बाद उच्च शिक्षा डीएन कॉलेज हिसार में हुई। यहां से पढ़ाई पूरी करने के बाद पीजीआइएमएस रोहतक से एमबीबीएस की। पहली पोस्टिंग दिसंबर 1997 में सोनीपत के हलालापुर स्थित पीएचसी में रही। उसके बाद कुरुक्षेत्र और पीएचसी घीड़ में अपनी सेवाएं दी। जनवरी 2016 में डिप्टी सिविल सर्जन के तौर पर पदोन्नत होकर सिविल सर्जन कार्यालय में अपनी सेवाएं दे रहे हैं। अब उन्हें फैमिली प्ला¨नग की जिम्मेदारी दी गई है।


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