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समावेशी शिक्षा दिव्यांगजनों के विकास का सशक्त माध्यम: डा. सुनील

दिव्यांगजनों के विकास के बिना देश का पूर्ण विकास संभव नहीं है। इसमें समावेशी शिक्षा एक महत्वपूर्ण एवं आधुनिक आयाम है। यह बात राजकीय कन्या महाविद्यालय पलवल कुरुक्षेत्र के सहायक प्रोफेसर डा. सुनील थुआ ने कही।

By JagranEdited By: Published: Fri, 03 Dec 2021 05:41 PM (IST)Updated: Fri, 03 Dec 2021 05:41 PM (IST)
समावेशी शिक्षा दिव्यांगजनों के विकास का सशक्त माध्यम: डा. सुनील
समावेशी शिक्षा दिव्यांगजनों के विकास का सशक्त माध्यम: डा. सुनील

जागरण संवाददाता, करनाल: दिव्यांगजनों के विकास के बिना देश का पूर्ण विकास संभव नहीं है। इसमें समावेशी शिक्षा एक महत्वपूर्ण एवं आधुनिक आयाम है। यह बात राजकीय कन्या महाविद्यालय पलवल कुरुक्षेत्र के सहायक प्रोफेसर डा. सुनील थुआ ने कही। वे शुक्रवार को पंडित चिरंजी लाल शर्मा राजकीय महाविद्यालय में मैत्री क्लब कमेटी द्वारा अंतरराष्ट्रीय दिव्यांग दिवस पर दिव्यांगजनों के सशक्तीकरण में समावेशी शिक्षा की आवश्यकता व महत्व विषय पर आयोजित विस्तार व्याख्यान में बोल रहे थे। प्राचार्या डा. राजेश रानी ने मुख्य अतिथि का स्वागत किया।

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डा. सुनील थुआ ने कहा कि दिव्यांगों के पांव जरूर लडखड़ाते हैं, लेकिन हौसले मजबूत होते हैं। दिव्यांगजनों के विकास के लिए समाज में चेतना और संवेदना का जागृत होना बहुत जरूरी है। आमजन में दिव्यांगों के प्रति सहानुभूति नहीं, सहयोग व समानता का भाव होना चाहिए। अलग शिक्षा का प्रावधान दिव्यांगों को समाज की मुख्य धारा से दूर ले जाता है।

इस मौके पर उन्होंने कहा कि पहले समाज के कई पूर्वाग्रह दिव्यांगों को आगे बढ़ने से रोकते थे। उनके अंदर जन्म से ही हीन भावना भर दी जाती थी। वैश्विक स्तर पर दिव्यांगजनों को समान अधिकार देने का शुरुआत की गई तो हमारे देश में भी समानता का अधिकार मिलना शुरू हुआ। इसके बाद कई दिव्यांगों ने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर देश का परचम लहराया है।

इस मौके पर डा. किरण दलाल, डा. ममता भारद्वाज, डा. विजय लक्ष्मी, डा. बलवान, डा. आदर्श, डा. सुनील दत्त, डा. सितेन्द्र, डा. चरण सिंह, डा. मीनू, डा. आशु गर्ग, डा. नीरज, सोम सिंह, डा. विकास व डा. राजेश्वर उपस्थित थे।


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