सुबह ही तो उठी थी मैयत मेरी, शाम होते-होते मेरा गम पुराना हो गया : अंजू शर्मा
करनाल क्लब में कारवाने-अदब की महफिल सजी। जिसमें करनाल शहर तथा आसपास से पधारे शायरों कवियों व साहित्यकारों ने अपनी रचनाओं के माध्यम से अपनी प्रस्तुति दी। महफिल के आगाज से पहले सभी ने राष्ट्रगान गाकर देश में आपसी भाईचारा कायम होने तथा सुख समृद्धि की कामना की। इसके साथ ही सभी को होली की बधाई दी गई और अखंड भारत की कामना की गई।
जागरण संवाददाता, करनाल : करनाल क्लब में कारवाने-अदब की महफिल सजी। जिसमें करनाल शहर तथा आसपास से पधारे शायरों, कवियों व साहित्यकारों ने अपनी रचनाओं के माध्यम से अपनी प्रस्तुति दी। महफिल के आगाज से पहले सभी ने राष्ट्रगान गाकर देश में आपसी भाईचारा कायम होने तथा सुख समृद्धि की कामना की। इसके साथ ही सभी को होली की बधाई दी गई और अखंड भारत की कामना की गई। कवि मित्र अपना विचार मंच के संस्थापक पीडी कपूर के अचानक निधन पर उनकी आत्मा की शांति के लिए प्रार्थना की गई तथा दो मिनट का माने रखा। कार्यक्रम की अध्यक्षता दिल्ली से पधारी राखी गिबरानी ने की। विशिष्ट अतिथि सुमेर चंद शर्मा तथा अभि अहसास रहे। मंच संचालन भारत भूषण वर्मा ने किया।
डा. एसके शर्मा ने कहा तू जिदा है तो जिदगी की जीत में यकीन कर, अगर कहीं है स्वर्ग तो उतार ला जमीन पर, अंजु शर्मा ने कहा सुबह ही तो उठी थी मैयत मेरी, शाम होते-होते मेरा गम पुराना हो गया। भारत भूषण वर्मा ने कहा रखवालों को मार कर पत्थर कैसी घाटी चाहते हो, हर पल रोती लहुलुहानी ऐसी माटी चाहते हो। सुरेंद्र मरवाहा ने कहा फितरत में नहीं था हमारी तमाशा करना, बहुत कुछ जानते थे मगर खामोश रहे।
शशी शर्मा ने कहा ये जो तुम मुझ से पूछते हो कैसे हो तुम, बड़ा ही मुश्किल सवाल पूछते हो। जय भारद्वाज ने कहा वो आये यहां रोशनी आ गई, उनके आने पर सब का भला हो गया। राखी गिबरानी ने कहा मिट्टी का तन, मस्ती का मन क्षण भर जीवन मेरा जीवन परिचय, अभि अहसास ने कहा खता जो हुई तो माफ कर, है आदमी खुदा नहीं, भुला दो गर खता को तो वो इतना भी बुरा नहीं।
समयनियता चौधरी ने कहा मौत ने चुपके से कानों में कुछ ऐसा कहा कि जिन्दगी खामोश सी हो गई। परवीन जन्नत ने कहा एक दूजे के दिल को दिल से मिला लीजिए, दिल की हर नफरत की होली जला लीजिए। सुभाष मेहरचंद ने कहा कुछ कहने की बजाय कुछ करके दिखाओ। एचडी मदान ने कहा खुदा हमको ऐसी खुदाई ना दे, कि अपने सिवा कुछ दिखाई ना दे। मुन्नी राज शर्मा ने कहा फागुन हम खेले रंग, घोल-घोल कर प्रीत के रंग, हरबंस पथिक ने कहा क्या खूब निभाया आपने दस्तूरे मोहब्बत, हम उन्हें सजदा करें, वो हमे रुसवा करें।