पब्लिक टॉयलेट नि:शुल्क, इस्तेमाल करने पर हो रही वसूली
कर्णनगरी में सार्वजनिक शौचालयों में अवैध वसूली जोरों पर है। मजबूरी में लोग दो से पांच रुपये तक शौचालयों में लगे कर्मचारी को देकर ही आगे कदम बढ़ा पाते हैं।
अश्विनी शर्मा, करनाल :
कर्णनगरी में सार्वजनिक शौचालयों में अवैध वसूली जोरों पर है। मजबूरी में लोग दो से पांच रुपये तक शौचालयों में लगे कर्मचारी को देकर ही आगे कदम बढ़ा पाते हैं। नगर निगम का कहना है कि उनकी ओर से किसी भी शौचालय में शुल्क नहीं वसूला जा रहा है, जबकि उनके इस्तेमाल पर वसूली की जा रही है। ऐसे में सवाल खड़ा होता है कि प्रतिदिन शौचालय से अवैध वसूली से एकत्रित होने वाली राशि कौन डकार रहा है? इसके जवाब में नगर निगम के तमाम अधिकारी मौन हैं। जाहिर तौर पर उनकी खामोशी में ही इस अवैध वसूली के राज छुपे हैं।
कौन है इसका जिम्मेदार
इस सवाल के जवाब की तह में जाने पर नगर निगम के अधिकारी अपना पल्ला झाड़ लेते हैं। मेयर रेणु बाला गुप्ता को नहीं पता कि कौन शौचालयों पर वसूली कर रहा है, जबकि यह सुविधा निगम की ओर से नि:शुल्क है। उप नगर निगम आयुक्त धीरज कुमार भी इस बात से अनजान हैं कि निगम के शौचालयों पर वसूली कौन कर रहा है। सफाई निरीक्षक सुरेंद्र चोपड़ा भी पूरे मामले में अनभिज्ञता जाहिर करते हैं। ऐसे में सवाल खड़ा होता है कि आखिर कौन निगम के शौचालयों से वसूली कर रहा है। इसके पीछे कौन कौन लोग हैं।
ठेकेदार की मनमानी
शहर के शौचालय सीधे तौर पर नगर निगम के अधीन हैं, लेकिन सफाई के नाम पर बंटे चार जोन के ठेकेदार ही इनका रखरखाव कर रहे हैं। ये ठेकेदार ही अपनी मनमर्जी से शौचालयों का रखरखाव कर रहे हैं। शौचालयों में बिना वेतन पर कर्मचारी नहीं रखे गए हैं। एक तरफ बिना वेतन के कर्मचारी रखकर उनका शोषण किया जा रहा है और दूसरी तरफ इन्हीं कर्मचारियों से वसूली कराई जा रही है।
फोटो---16 नंबर है।
व्यवस्था की तह में जाना जरूरी : सुरेंद्र कुमार
राहगीर सुरेंद्र कुमार ने मुगल कैनाल स्थित शौचालय से बाहर निकलने के बाद कहा कि शौचालय के बाहर आने के बाद ही पता चलता है कि लघुशंका का शुल्क वसूला जा रहा है। लेकिन इसमें शौचालय की ड्यूटी दे रहे कर्मचारी की गलती नहीं है। यदि इस व्यवस्था की तह में जाएं तो पूरा मामला उजागर हो सकता है। फोटो---17 नंबर है।
नि:शुल्क दी जाए सुविधा : सुरेंद्र
मुगल कैनाल पर शौचालय के साथ रेहड़ी लगाने वाले सुरेंद्र ने कहा कि इस शौचालय के अंदर जाने पर शुल्क देना पड़ता है, लेकिन यह सुविधा नि:शुल्क होनी चाहिए। लोगों की मजबूरी के नाम पर शुल्क नहीं वसूला जाना चाहिए।
फोटो---13 नंबर है।
मर्जी से नहीं वसूल सकते शुल्क : धीरज
उप नगर निगम आयुक्त धीरज कुमार का कहना है कि ऐसा संभव नहीं है कि निगम के शौचालयों से कोई अपनी मर्जी से शुल्क वसूल रहा हो। निगम के अधीन शौचालय लोगों की सुविधा के लिए हैं। जब उनसे पूछा गया कि शौचालयों पर वसूली हो रही है तो उन्होंने ठेकेदार के कारिदे को उस जगह भेज दिया, जहां पहले से ही ठेकेदार के वर्कर काम रहे थे। स्वच्छ सर्वेक्षण के तहत शौचालयों के नियम
--सौ नंबर में से अगर हर शौचालय में रोशनदान है तो चार नंबर मिलेंगे, जो शहर के हर शौचालय में है।
--महिलाओं और पुरुषों के लिए शौचालय के लिए अलग- अलग व्यवस्था है, इसमें भी पांच नंबर हमारे शहर को मिलेंगे।
--शौचालय के तीन मीटर के दायरे में कोई अतिक्रमण न होने पर पांच नंबर मिलेंगे। इसमें भी पूरे पांच नंबर हमारे शहर को मिलेंगे।
-- शहर का हर शौचालय गूगल मैप पर अपलोड है। इसमें हमें दो नंबर पूरे मिलेंगे।