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मैं ही हूं वो डिस्पेंसरी, जो दिल्ली तक सियासत का कारण बन गई

पबाना हसनपुर गांव की डिस्पेंसरी की जुबानी डिस्पेंसरी की कहानी। यहां पर दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को आने नहीं दिया गया। इसके बाद से राजनीति बढ़ गई।

By Edited By: Published: Sun, 18 Nov 2018 01:56 AM (IST)Updated: Mon, 19 Nov 2018 12:26 PM (IST)
मैं ही हूं वो डिस्पेंसरी, जो दिल्ली तक सियासत का कारण बन गई
मैं ही हूं वो डिस्पेंसरी, जो दिल्ली तक सियासत का कारण बन गई

करनाल [अश्विनी शर्मा ] । मैं ही हूं वो डिस्पेंसरी, जो चंडीगढ़ से दिल्ली की सियासत की नजर में चढ़ी हूं। 35 साल की उम्र में बूढ़ी हो चुकी हूं। मुझमें ऐसा कुछ भी नहीं है कि जो किसी को भी पसंद आए। मैं अपने गांव के लोगों के स्वास्थ्य की देखभाल भी ढंग से नहीं कर पा रही।
मन में यह ख्याल आता है कि चिंता किसी को मेरे रंग रूप की नहीं, बल्कि मेरे साथ बंधे मरीजों के वोट की है। मेरे मरीजों का मर्ज दूर करने की दवा दिल्ली से नहीं आई। लेकिन पड़ोसी सल्तनत से राजनीति की हवा उसके आंगन में खूब आ रही है। मेरी जीर्ण-शीर्ण हालत ही आप की नजर में खास हो सकती है, तभी दिल्ली के हाकिम मिलना चाह रहे हैं। मेरा मर्ज दूर हो न हो, लेकिन अपनी राजनीति की दवा का घूंट जरूर पिलाना चाह रहे हैं। पबाना हसनपुर गांव की डिस्पेंसरी की जुबानी यही कहानी है।

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1985 में गांव आदर्श बना था तो बनी थी डिस्पेंसरी
80 के दशक की शुरुआत के बाद इस गांव का जो विकास हुआ था, वह आज तक नहीं दोहराया गया। 1985 में इस गांव को सरकार की ओर से आदर्श गांव का दर्जा मिला था। उस समय के सरपंच लक्ष्मी नारायण कपूर ने गांव में खूब विकास कार्य कराए। उन्होंने गांव में डिस्पेंसरी बनवाई। इसके साथ ही पटवारखाना, पंचायत भवन महिला आश्रम, बस स्टैंड और गलियों का निर्माण कराया। इनमें से पटवारखाने और बस स्टैंड का अस्तित्व ही खत्म हो गया। बाकी भवन कंडम घोषित हो गए।

डिस्पेंसरी का भवन कंडम 
डिस्पेंसरी का भवन दो साल पहले कंडम घोषित हो गया था। इसके बाद डिस्पेंसरी को यहां से हटा दिया गया। डिस्पेंसरी को पशु अस्पताल के भवन में स्थानांतरित किया गया। इस भवन में उसे दो कमरे मिले। वह भी कभी खुलते हैं और कभी बंद रहते हैं। मरीजों को समय पर दवा उपलब्ध नहीं होती। डिस्पेंसरी में दो एएनएम और एक मलेरिया कर्मचारी का पद स्वीकृत है। इनमें से मलेरिया कर्मचारी का रिक्त है। जब से भी दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के यहां आने की बात सामने आई, तब स्वास्थ्य विभाग ने इस ओर ध्यान दिया, लेकिन धरातल पर स्थिति में ज्यादा सुधार नहीं कर सके।

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ये हुआ एक दिन पहले, केजरीवाल नहीं देख सके अस्पताल 
दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल करनाल के गांव बाल रांगडान में न तो जनसभा कर सके और न ही डिस्पेंसरी देखने पहुंच पाए। वह दिल्ली से चले और पानीपत में आकर रुक गए। यहां उन्होंने दावा किया कि प्रशासन ने उन्हें आगे जाने से मना कर दिया है। भाजपा कार्यकर्ताओं ने जाम लगा रखा था। करीब तीन घंटे इंतजार के बाद अरविंद केजरीवाल डिस्पेंसरी देखे बिना ही वह वापस दिल्ली चले गए। उन्होंने सवाल किया कि क्या हरियाणा सरकार इतनी लाचार हो गई कि एक मुख्यमंत्री को सुरक्षा नहीं दे सकती।इस संबंध में पूछे जाने पर पानीपत की डीसी सुमेधा कटारिया ने कहा कि शनिवार को ग्र्रुप डी की परीक्षा थी। हमने केवल सलाह दी थी कि ट्रैफिक व्यवस्था न बिगड़े, इसलिए दिल्ली के सीएम अपना कार्यक्रम स्थगित कर लें। प्रशासन ने उनका रास्ता नहीं रोका। वह जब चाहें आ सकते हैं।


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