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यहां हर पल हादसा होने का रहता डर

यहां हर शख्स हर पल हादसा होने से डरता है खिलौना है जो मिट्टी का फना होने से डरता है..! जी हां मौजूदा दौर में राजमार्गों का सफर वाकई जानलेवा हो चला है। हादसे-दर-हादसे बड़ी होती फेहरिस्त यह कड़वी हकीकत बखूबी बयां कर रही है

By JagranEdited By: Published: Mon, 13 Jan 2020 09:12 AM (IST)Updated: Mon, 13 Jan 2020 09:12 AM (IST)
यहां हर पल हादसा होने का रहता डर
यहां हर पल हादसा होने का रहता डर

पवन शर्मा, करनाल : यहां हर शख्स हर पल हादसा होने से डरता है, खिलौना है जो मिट्टी का फना होने से डरता है..! जी हां, मौजूदा दौर में राजमार्गों का सफर वाकई जानलेवा हो चला है। हादसे-दर-हादसे बड़ी होती फेहरिस्त यह कड़वी हकीकत बखूबी बयां कर रही है।

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आलम यह है कि करनाल से गुजरते एनएच-44 पर हर वर्ष सैकड़ों लोग मौत के शिकार बन रहे हैं। इसके बावजूद हाइवे पर जान बचाने के इंतजाम नाकाफी हैं। ऐसे में, केंद्रीय संसदीय समिति को हालिया रिपोर्ट में साफ तौर पर कहना पड़ा कि हाइवे पर न रखरखाव बेहतर है और न आपात व्यवस्थाएं। लिहाजा, नए हाइवे बनाने के बजाय देश में मौजूदा सड़कों के बेहतर रखरखाव को प्राथमिकता दी जाए।

करनाल के बड़े हिस्से से गुजर रहे एनएच-44 की गिनती अब देश के सबसे अधिक हादसों वाले हाइवे में की जा रही है। हरियाणा में यह हाइवे करनाल सहित मुख्यत: अंबाला, कुरुक्षेत्र, पानीपत व सोनीपत से गुजरता है। यहां साल-दर-साल हादसों का आंकड़ा बढ़ रहा है। 2018 में ही इस खूनी राजमार्ग पर हुए हादसों में 743 लोगों की जान चली गई। 2019 में भी यह सिलसिला नहीं थमा तो 2020 की शुरूआत भी बसताड़ा टोल पर बीते शुक्रवार को भीषण हादसे के साथ हुई, जिसमें दो बच्चों सहित कुल चार लोगों की जान चली गई। हाइवे पर लचर व्यवस्था का आलम यह है कि जब तक पुलिस और एंबुलेंस दुर्घटनास्थल पर पहुंची, तब तक लोग निजी वाहनों से घायलों को अस्पताल ले गए थे।

देश के सबसे लंबे व पुराने हाइवे तक पर नजर आते इतने बदतर हालात के कारण ही अब केंद्रीय इकाइयां भी गंभीर रूख अपना रही हैं। हाल में जारी रिपोर्ट में केंद्रीय संसदीय समिति ने साफ कहा कि देश में रिकॉर्ड तेजी से हाइवे बन रहे हैं मगर इनका रखरखाव बेहतर नहीं है। समिति ने यह भी कहा है कि नई सड़कें बनाने से अधिक प्राथमिकता मौजूदा सड़कों के रखरखाव को दी जाए क्योंकि खराब रखरखाव से ही सड़क हादसे होते हैं। नहीं हो रहा बेहतर रखरखाव

पिछले साढ़े पांच वर्ष में तेजी से नेशनल हाइवे बनाने के तमाम दावे किए जा रहे हैं। 2018-19 में ही 30 किलोमीटर प्रतिदिन का नया रिकॉर्ड बना। इसके बावजूद एनएच का समुचित रखरखाव नहीं हो रहा। इसका मुख्य कारण आवंटित बजट का बहुत कम होना है। हाल के वर्षों में सरकार ने राष्ट्रीय राजमार्गों के रखरखाव के लिए जितने फंड की जरूरत है, उसका महज 35 प्रतिशत ही आवंटित किया। इसे लेकर रोड ट्रांसपोर्ट एंड हाइवेज मिनिस्ट्री का कहना है कि सरकार उन एनएच के स्ट्रेच मेंटनेंस के लिए फंड देती है, जिन्हें किसी प्रोग्राम के तहत कवर नहीं किया गया है या फिर स्ट्रेच ऐसा है, जहां रखरखाव की जिम्मेदारी ठेकेदार की नहीं है।

पर्याप्त बजट के संकट से जूझ रहे

एनएच-44 समेत देश भर के नेशनल हाइवे रखरखाव के लिए पर्याप्त बजट के संकट से जूझ रहे हैं। आंकड़े परखें तो पता चलता है कि 2016-17 में तमाम राष्ट्रीय राजमार्गों के रखरखाव के लिए लगभग 7000 करोड़ रुपये के अनुमानित बजट के मुकाबले महज 2847 करोड़ रुपये आवंटित हुए। इसी तरह 2017 में 8500 करोड़ के सापेक्ष 2967 करोड़ रुपये और 2018-19 में 8600 करोड़ रुपये की जरूरत के सापेक्ष केवल 3017 करोड़ रुपये ही आवंटित किए गए।

टोल पर भी इंतजाम नाकाफी

जिले में हाइवे के साथ टोल पर भी सुरक्षा इंतजाम की अनदेखी से हादसों का खतरा हमेशा बना रहता है। यहां से गुजर रहे एनएच-44 का दायरा ही करीब 45 किमी. तक फैला हुआ है, जिस पर पानीपत तक जाने में ही दो जगह टोल से गुजरना पड़ता है। इनमें एक टोल करनाल जिले की सीमा में बसताड़ा टोल कहलाता है तो दूसरा पानीपत शहर में एंट्री से पहले आता है। करनाल से प्रतिदिन हजारों लोग इन दोनों टोल से गुजरते हैं, जिन्हें पर्याप्त सुरक्षा इंतजाम नहीं होने के कारण हमेशा हादसों का डर सताता है।

सुरक्षा के पहलू पर सवाल

करनाल में अब नए टोल भी अस्तित्व में आ रहे हैं। जल्द ही यहां करनाल से जींद व भिवानी को जोड़ने वाले हाइवे पर टोल बनाने की तैयारी है। यह टोल करनाल-असंध राजमार्ग पर प्यौंत और पक्काखेड़ा गांवों के बीच तेजी से बन रहा है। यहां चार लेन का टोल बनाया जाएगा। हालांकि, इसे लेकर अभी से विरोध हो रहा है।

भारतीय किसान यूनियन से लेकर कांग्रेस विधायक शमशेर गोगी तक साफ तौर पर टोल का विरोध कर रहे हैं। इसके बावजूद निर्माण एजेंसियां इसी वर्ष अप्रैल तक इस टोल का निर्माण पूरा कर लेने का दावा कर रही हैं। पर्याप्त सुरक्षा इंतजाम की स्थिति को लेकर यहां भी जिले की परिधि में आने वाले अन्य टोल और हाइवे की तर्ज पर तमाम सवाल यथावत खड़े हैं।

क्या कहते हैं अधिकारी

देखिए, हाइवे और टोल पर सुरक्षा इंतजाम सुनिश्चित करने के लिए पूरी सजगता से कदम उठाए जाते हैं। करनाल-असंध राजमार्ग पर बन रहे नए टोल के निर्माण में भी इस पहलू का बखूबी ध्यान रखा गया है। यहां एंबुलेंस, निरीक्षण वाहन और इससे संबंधित स्टाफ के साथ आपात स्थितियों से निपटने की भी पुख्ता व्यवस्था रहेगी।

-अरुण कटारिया, आरई, एनएचएआई कंसलटेंसी यूनिट, करनाल।


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