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गीता श्रीकृष्ण के मुख से निकला दिव्य मूल मंत्र : रमेश कौशिक

जागरण संवाददाता, करनाल : जिला स्तरीय गीता जयंती महोत्सव में दूसरे दिन गीता का सार विषय पर से

By JagranEdited By: Published: Wed, 29 Nov 2017 05:27 PM (IST)Updated: Wed, 29 Nov 2017 05:27 PM (IST)
गीता श्रीकृष्ण के मुख से निकला दिव्य मूल मंत्र : रमेश कौशिक
गीता श्रीकृष्ण के मुख से निकला दिव्य मूल मंत्र : रमेश कौशिक

जागरण संवाददाता, करनाल : जिला स्तरीय गीता जयंती महोत्सव में दूसरे दिन गीता का सार विषय पर सेमिनार का आयोजन किया गया। प्रशासन की ओर से आयोजित कार्यक्रम में बुधवार को सोनीपत के सांसद रमेश कौशिक ने बतौर मुख्यातिथि शिरकत की। वहीं मुख्य वक्ता के रूप में पुरुषोत्तम दत्त वशिष्ठ उपस्थित रहे। उन्होंने दीपशिखा प्रज्वलित कर विधिवत रूप से सेमिनार का उद्घाटन किया। इस दौरान गीता पर आधारित प्रश्नोत्तरी प्रतियोगिता का भी आयोजन किया गया। जिसमें विभिन्न स्कूलों की टीमों ने भाग लिया।

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सांसद रमेश कौशिक ने कहा कि श्रीमद भगवद गीता केवल एक धार्मिक ग्रंथ ही नहीं, अपितु भगवान श्रीकृष्ण के मुख से निकला ऐसा दिव्य मूल मंत्र है। जो जीवन को कर्म से निरंतर जोड़ता है। गीता से हमें कर्म करने का संदेश मिलता है। गीता शांति, सछ्वावना एवं मानव कल्याण को समर्पित है। उन्होंने कहा कि जीवन एक संग्राम है, इसमें प्रत्येक दिन संघर्ष करना पड़ता है। हर समस्या के समाधान के लिए गीता ज्ञान जरूरी है, क्योंकि गीता जीवन जीने की कला सिखाती है। गीता की महत्ता के मद्देनजर सरकार द्वारा कुरुक्षेत्र में अंतरराष्ट्रीय गीता महोत्सव मनाया जा रहा है। इस अवसर पर उपायुक्त डा. आदित्य दहिया, एडीसी निशांत कुमार यादव, एसडीएम नरेंद्र पाल मलिक, सेमिनार के नोडल अधिकारी एवं इंद्री के एसडीएम प्रदीप कौशिक, नगराधीश ईशा कांबोज व निफा के चेयरमैन प्रीतपाल पन्नू मौजूद रहे।

प्रबुद्ध वक्ताओं ने की गीता ज्ञान की वर्षा

सेमिनार में गीता ज्ञान को जानने वाले प्रबुद्ध वक्ताओं द्वारा अपना वक्तव्य रखा गया। मुख्य वक्ता के रूप में पहुंचे पुरुषोत्तम दत्त वशिष्ठ ने कहा कि गीता अच्छे विचारों का पुष्प गुच्छ है। जिससे हमें अहंकार, लोभ व भय त्याग कर कर्म की राह पर आगे बढ़ने का संदेश मिलता है। उन्होंने कहा कि गीता में मनुष्य को दुर्बल व कायर ना मानकर एक ऐसा प्राणी बताया गया है जिसमें बहुत-सी शक्तियां विद्यमान हैं, इन सब शक्तियों का प्रयोग करते हुए मनुष्य अपने भाग्य का विधाता स्वयं बन सकता है। दूसरे वक्ता राजेंद्र शर्मा ने संस्कृत भाषा में गीता के कई श्लोकों का उच्चारण करते हुए उनका अर्थ स्पष्ट किया और कहा कि सभी धर्मों के पवित्र ग्रंथों से गीता के ही संदेश मिलते हैं। वहीं वक्ता राधेश्याम शर्मा ने कहा कि गीता में भगवान श्रीकृष्ण को गुरु के रूप में प्रस्तुत किया गया है जिसने अर्जुन रूपी शिष्य के मन में उठने वाले हर संशय को दूर करने का काम किया है और दूसरी ओर अर्जुन ने भी एक अच्छे शिष्य का परिचय देते हुए गुरु के बताए मार्ग पर चलने का प्रण किया है। इसके अलावा डा. अवतार ¨सह व महाबीर शास्त्री ने भी अपना वक्तव्य दिया।

प्रश्नोत्तरी प्रतियोगिता में तीन स्कूल रहे प्रथम

गीता जयंती महोत्सव के दूसरे दिन प्रश्नोत्तरी प्रतियोगिता का भी आयोजन किया गया। प्रतियोगिता में विभिन्न स्कूलों की टीमों ने बढ़-चढ़कर भाग लिया। प्रतियोगिता काफी रोमांचक और ज्ञानवर्धक रही। बुद्धिमता के कारण तीन स्कूलों की टीमों ने बराबर स्कोर बनाए। जिसमें राजकीय सीनियर सेकेंडरी स्कूल नि¨सग, काछवा व बस्तली स्कूल की टीम प्रथम रही। वहीं दून इंटरनेशनल पब्लिक स्कूल की टीम द्वितीय स्थान पर रही। इसके अलावा ब्रह्मानंद पब्लिक स्कूल नि¨सग को सांत्वना पुरस्कार मिला। विजेता टीमों को स्मृति चिन्ह देकर सम्मानित किया गया। प्रतियोगिता में बीईओ सपना जैन व प्राध्यापिका कविता रानी ने टीमों से सवाल पूछे। वहीं निर्णायक की भूमिका आचार्य राजेंद्र शर्मा व पुरुषोत्तम दत्त वशिष्ठ ने अदा की।

ई-दिशा केंद्र के स्टाल पर लोगों ने बनवाए आधार कार्ड

गीता जयंती महोत्सव में लगी प्रदर्शनी में दूसरे दिन भी विभिन्न सामाजिक संस्थाओं और सरकारी विभागों द्वारा स्टाल लगाए गए। ई-दिशा केंद्र के स्टाल पर लोगों के आधार कार्ड बनाने की व्यवस्था की गई। जहां काफी संख्या में लोग आधार कार्ड बनवाने पहुंचे। इसके अलावा अन्य सरकारी विभागों के स्टाल पर भी लोगों को संबंधित विभाग की सेवाओं और उपलब्धियों से लोगों को रूबरू कराया गया।


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