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सड़कें चौड़ी करने में सेफ्टी रूल दरकिनार

जागरण संवाददाता, करनाल : यातायात सुगम बनाने के लिए चौड़ी की जा रही सड़कों में पीडब्ल्यूड

By JagranEdited By: Published: Thu, 01 Mar 2018 06:01 PM (IST)Updated: Thu, 01 Mar 2018 06:01 PM (IST)
सड़कें चौड़ी करने में सेफ्टी रूल दरकिनार
सड़कें चौड़ी करने में सेफ्टी रूल दरकिनार

जागरण संवाददाता, करनाल : यातायात सुगम बनाने के लिए चौड़ी की जा रही सड़कों में पीडब्ल्यूडी ने सेफ्टी रूल को ही दरकिनार कर दिया। बिना संकेतक लगाए सड़कों के दोनों तरफ दो-दो फीट गहरी खाई खोद दी गई। इनमें वाहन गिरे तो बड़ा हादसा होगा। रात के अंधेरे में खतरा कई गुना बढ़ जाता है। करोड़ों के प्रोजेक्ट में सड़क सुरक्षा के नाम पर लीपापोती हो रही है। ठेकेदार नियमों का पालन नहीं कर रहे। इधर, पीडब्ल्यूडी के अधिकारी भी देखकर अनजान बने हैं। रोड सेफ्टी कमेटी के सदस्य जेआर कालडा का कहना है कि जिले की कई मुख्य सड़कों को फोरलेन व सिक्सलेन करने का काम जारी है। लेकिन इनमें सड़क सुरक्षा के नियमों का पालन नहीं किया जाता। यह तो सड़क सुरक्षा पॉलिसी से सीधा खिलवाड़ है। ऐसे लापरवाह अधिकारियों के खिलाफ तो सख्त एक्शन होना चाहिए।

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करोड़ों के प्रोजेक्ट तो सुरक्षा में चूक क्यों

जागरण की टीम ने वीरवार को शहर की मुख्य सड़कों पर चल रहे निर्माण कार्य का मुआयना किया। कहीं भी सड़क सुरक्षा के नियम पर पीडब्ल्यूडी खरा नहीं उतरता दिखाई दिया। बलडी बाईपास से इंद्री की 21 किलोमीटर लंबी सड़क को फोरलेन किया जा रहा है। 39 करोड़ के प्रोजेक्ट में सड़क सुरक्षा के नियम दूर-दूर तक दिखाई नहीं दिए। अग्रसैन चौक से बलड़ी चौक तक पौने दो किलोमीटर सड़क सात करोड़ से चौड़ी की जा रही है। हांसी चौक से बड़ौता तक की सड़क को फोरलेन करने पर 25 करोड़ रुपये पीडब्ल्यूडी खर्च कर रहा है। इस पर तो अभी तक संकेतक लगाए ही नहीं गए हैं। पश्चिमी यमुना नहर से काछवा तक की सड़क को फोरलेन करने में भी सेफ्टी नियम दरकिनार किए जा रहे हैं।

तारकोल में भी गोलमाल : जेआर कालडा

रोड सेफ्टी कमेटी के सदस्य जेआर कालडा ने कहा कि पीडब्ल्यूडी के अधिकारी सुरक्षा के नियमों पर कहीं भी खरा नहीं उतरते हैं। उन्होंने आरोप लगाया कि तारकोल में भी बड़े स्तर पर गोलमाल हो रहा है। सड़कों में रिफाइनरी का तारकोल इस्तेमाल होना चाहिए। लेकिन जिले की अधिकतर सड़कों में रिफाइनरी के आस-पास बनी अवैध फैक्ट्रियों के घटिया तारकोल का इस्तेमाल किया जाता है। यही वजह है कि बनने के कुछ दिन बाद ही यह टूटने लगती हैं। इसके बाद इनकी मरम्मत के नाम पर यातायात को प्रभावित किया जाता है। स्मार्ट सड़क को ही देख लीजिए इसकी हालत अब से पहले ही खराब होने लगी है। जिले में बन रही मुख्य सड़कों की तो बारीकी से जांच होनी चाहिए। करोड़ों के प्रोजेक्ट के बाद सड़कों में घटिया सामग्री लगाने वालों पर सख्त कार्रवाई हो।

सीएम का ड्रीम प्रोजेक्ट ही सेफ नहीं

शहर निवासी राजेश, लोकेश, ब¨लद्र, विनोद व प्रिया का कहना है कि 57 करोड़ की लागत से बनाया जा रहा है पश्चिमी बाईपास मुख्यमंत्री का ड्रीम प्रोजेक्ट है। लेकिन यह ही सेफ नहीं है। इस पर दो लेयर बिछ चुकी हैं। लेकिन सड़क पर बजरी उखड़ चुकी है। इसे हालात का अंदाजा लगाया जा सकता है। बीते दिनों क्रेश बैरियर में भी लीपापोती सामने आई। उच्च अधिकारियों को चाहिए कि बड़े प्रोजेक्ट की तो कम से कम प्राथमिकता के आधार पर जांच की जाए। ताकि आने वाले दिनों में यह सड़कें खूनी न बनें। सड़क बनाते समय भी सेफ्टी रूल का पालन हो, ताकि हादसे का ग्राफ रोका जा सके।

वर्जन

सड़कों को चौड़ा करने में सड़क सुरक्षा नियमों का पालन किया जाना चाहिए। इसकी जांच करेंगे। चूक मिली तो संबंधित ठेकेदार से जवाब मांगा जाएगा।

वीरेंद्र जाखड़, एसई, पीडब्ल्यूडी, करनाल

वर्जन

नियम के अनुसार सड़क पर निर्माण कार्य जारी है तो सेफ्टी के संकेतक लगाना जरूरी है। ताकि वाहन चालक पहले ही सावधान हो जाएं। रात के अंधेरे में रिफ्लेक्टर से इसका पता चलता है। कहीं चूक है तो उसे दुरुस्त करेंगे।

वाईएम मेहरा, एक्सईएन, पीडब्ल्यूडी, करनाल


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