हरियाणा व उत्तर प्रदेश अपनाएंगे Odd-Even Formula, सुलझाएंगे यह बड़ा विवाद
हरियाणा व उत्तर प्रदेश की सीमा पर फसल को लेकर दशकों पुराने विवाद का स्थायी हल निकालने के लिए अब नया फॉर्मूला आजमाया जा रहा है।
करनाल [पवन शर्मा]। हरियाणा व उत्तर प्रदेश की सीमा पर फसल को लेकर दशकों पुराने विवाद का स्थायी हल निकालने के लिए अब नया फॉर्मूला आजमाया जा रहा है। दोनों राज्यों के विभिन्न जिलों में शामिल कुल 234 गांवों की सीमा पर ऑड-ईवन नंबरों के पिलर लगाए जाएंगे। माना जा रहा है कि दोनों राज्यों में सीमा विवाद निस्तारण के इस बेहद अहम प्रस्ताव पर जल्द मुहर लग जाएगी।
दोनों प्रदेशों के किसानों के बीच यमुना बेल्ट में शामिल खेतों को लेकर अर्से से विवाद है। कई बार यह तनातनी खूनी संघर्ष में तब्दील हो चुकी है। राजनीतिक स्तर पर भी मामले की गूंज अक्सर सुनाई देती है। इसके बावजूद समस्या का स्थायी समाधान नहीं हो पा रहा है।
नतीजतन, तगड़ी माथापच्ची के बाद दोनों राज्यों की सीमा पर ऑड-ईवन फॉर्मूला (Odd-even formula) लागू करने की पहल हो रही है। इसके लिए मेरठ में बैठक के बाद यमुना बेल्ट में शामिल उत्तर प्रदेश के जिलों के तहत नदी में पहले लगे पिलरों के विलुप्त, क्षतिग्रस्त व वास्तविक स्थिति की गणना कराई गई। चंडीगढ़ में प्रस्तावित उच्चस्तरीय बैठक के बाद इस फॉर्मूले को मंजूरी मिलने के पुख्ता आसार हैं।
हरियाणा में लगेंगे ऑड नंबर के पिलर
फॉर्मूला लागू हुआ तो हरियाणा के गांवों में ऑड व उत्तर प्रदेश में ईवन नंबर के पिलर लगेंगे। पिलर लगाने में आने वाला खर्च दोनों राज्य समान रूप से वहन करेंगे। इससे पूर्व दोनों राज्यों के प्रशासनिक अधिकारी नदी और जमीन से जुड़े विवाद आपस में मिल-बैठकर सुलझाने का भी भरसक प्रयास करेंगे।
इतने गांव आएंगे जद में
दोनों राज्यों के 234 गांव यमुना सीमा से सटे हैं। हरियाणा में करनाल के 33, यमुनानगर के 22, पानीपत के 13, सोनीपत के 17, पलवल के सात व फरीदाबाद के 10 गांव इस सूची में शामिल हैं। जबकि, उत्तर प्रदेश में सहारनपुर के 34, शामली के 32, बागपत के 27, गौतमबुद्धनगर के 32 व अलीगढ़ के सात गांवों पर यह फॉर्मूला लागू होगा।
दशकों पूर्व लागू हुआ अवार्ड
पूर्व केंद्रीय मंत्री उमाशंकर दीक्षित ने 1974-75 में यमुना नदी की गहरी धारा को हरियाणा व उत्तर प्रदेश की स्थायी सीमा के रूप में चिन्हित किया था। इसे दीक्षित अवार्ड कहा गया है। अवार्ड के तहत निर्धारित सीमा पर भारतीय सर्वेक्षण विभाग की निशानदेही के आधार पर पिलर लगे थे। इस व्यवस्था के अनुसार ऐसी भूमि पर उसी किसान का स्वामित्व माना जाता है जो पहले से वहां काबिज हो यानि पहले से स्वामी हो। स्वामित्व के इसी पहलू पर दोनों राज्यों के लाखों किसानों में विवाद है।
महत्वपूर्ण कदम
करनाल के सांसद संजय भाटिया का कहना है कि यह निस्संदेह महत्वपूर्ण कदम है। इससे दोनों राज्यों के किसानों के बीच अर्से से कायम फसली सीमा विवाद सुलझाने में कारगर मदद मिलेगी। पूरी प्रक्रिया को आगे बढ़ाने में सक्रिय सहयोग किया जाएगा।
मिलेगी बड़ी राहत
उत्तर प्रदेश के कैराना लोकसभा क्षेत्र के सांसद प्रदीप चौधरी का कहना है कि दोनों राज्यों के किसानों को फॉर्मूला लागू होने पर बड़ी राहत मिलेगी। आपसी विवाद का स्थायी रूप से समाधान निकालने के लिए यह सराहनीय पहल है। उम्मीद की जानी चाहिए, इस पर जल्द अमल होगा।
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