कैलीफोर्निया से बेटा बोला-मेरे पिता आदर्श शिक्षक, कोई आतंकवादी नहीं
आइटीआइ में पुलिस की बर्बरता की तपिश विदेश तक पहुंची है। विदेश में रह रहे पीड़ितों के परिजनों को जैसे ही इस घटना की जानकारी मिली तो उनके फोन करनाल में परिचितों तक आने लगे। इसी बीच में आइटीआइ के प्रिसिपल बलदेव सगवाल के पुत्र हार्दिक सगवाल ने कैलीफोर्निया से दैनिक जागरण को संपर्क किया।
जागरण संवाददाता, करनाल : आइटीआइ में पुलिस की बर्बरता की तपिश विदेश तक पहुंची है। विदेश में रह रहे पीड़ितों के परिजनों को जैसे ही इस घटना की जानकारी मिली तो उनके फोन करनाल में परिचितों तक आने लगे। पीड़ित छात्र व शिक्षक इतने सहम गए थे कि वह चाह कर भी कुछ बोल नहीं पा रहे थे। कुछ के मोबाइल टूट गए थे तो कुछ के मोबाइल भागते हुए गिरे। इस वजह से परिजन उनसे संपर्क भी नहीं कर पा रहे थे। इसी बीच में आइटीआइ के प्रिसिपल बलदेव सगवाल के पुत्र हार्दिक सगवाल ने कैलीफोर्निया से दैनिक जागरण को संपर्क किया। हार्दिक कैलीफोर्निया यूनिवर्सिटी में पढ़ते हैं और पढ़ाते भी हैं। उन्हें दोपहर सवा ग्यारह बजे इस घटना का पता चला तो वह चितित हो उठे। अपने पिता के साथ हुई बदसलूकी से वह अंदर तक हिल गए।
हार्दिक ने कहा कि आइटीआइ के अंदर पुलिस के कोहराम मचाए जाने की सूचना करनाल से ही परिवार के सदस्यों ने दी। पता चला कि मेरे पिता के साथ भी पुलिस ने अमानवीय व्यवहार किया। मेरे पिता एक आदर्श शिक्षक हैं। लेकिन उनके साथ ऐसा व्यवहार किया गया, जैसे वह कोई आतंकवादी हों। शिक्षक समाज के लिए यह दिन एक काले अध्याय के रूप में याद किया जाएगा। शिक्षण संस्थान में देश के जिम्मेदार नागरिक तैयार किए जाते हैं। यदि किसी बात पर छात्रों में आक्रोश था तो उसे बातचीत के माध्यम से हल किया जा सकता था। लेकिन पुलिस ने बातचीत का रास्ता अपनाने की बजाय हिसक रूप धारण कर लिया।
इस तरह की घटना से लोगों का विश्वास पुलिस से उठता है तो साथ ही प्रशासन की छवि भी खराब होती है।
तुरंत प्रभाव से एसपी किया जाए सस्पेंड : नीरज
प्रिसिपल बलदेव सगवाल की पुत्री नीरज सगवाल ने दैनिक जागरण को बताया कि प्रदेश में पहले भी आंदोलन हुए हैं। कई आंदोलन हिसक भी होते देखे हैं, लेकिन पुलिस का ऐसा रूप पहली बार देखा है। शिक्षकों को पुलिस ने छात्रों के सामने पीटा। इससे शिक्षकों की गरिमा तार- तार हो गई है। बच्चों को हमेशा आदर्शो का पालन करने की सीख देने वाले शिक्षकों के प्रति यह रवैया घोर निदनीय है। शिक्षण संस्थान में इस तरह से पुलिस हथियार लेकर नहीं जा सकती। ऐसी कार्रवाई किसी आतंकी हमले के दौरान ही पुलिस कर सकती है। लेकिन पुलिस ने अधिकार का गलत इस्तेमाल किया है। इन्हीं शिक्षण संस्थानों में शिक्षा लेकर डीसी व एसपी आगे बढ़े हैं। इस घटना को अंजाम देने वाले पुलिस कर्मियों के साथ ही एसपी को सरकार तुरंत प्रभाव से सस्पेंड करे।