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गुलिया परिवार का नाम लिम्का बुक ऑफ व‌र्ल्ड रिकॉर्ड में दर्ज

मन में हौसला हो और किसी काम को करने का जुनून हो तो सफलता कदम चूमने लगती है। सैनिक स्कू

By Edited By: Published: Mon, 25 Jul 2016 05:19 PM (IST)Updated: Mon, 25 Jul 2016 05:19 PM (IST)
गुलिया परिवार का नाम लिम्का बुक ऑफ व‌र्ल्ड रिकॉर्ड में दर्ज

मन में हौसला हो और किसी काम को करने का जुनून हो तो सफलता कदम चूमने लगती है। सैनिक स्कूल कुंजपुरा के हॉस्टल वार्डन जेएस गुलिया व उसके परिवार के सदस्य की ऐसी ही हकीकत है। सबसे सफल पर्वतारोही होने के कारण पूरे परिवार का नाम लिम्का बुक ऑफ रिकार्ड में भी दर्ज हो गया। गुलिया परिवार ने वर्ष 1996 में एक साथ गढ़वाल हिमालय के अंदर जोशी मठ के साइड में सेना बार्डर के साथ पर्वत की चोटी पर चढ़ाई की। इस चोटी का कोई नाम नहीं है। इंडियन माउंटेन¨रग फाउंडेशन न्यू दिल्ली के अनुसार इस चोटी पर चढ़ने वाला यह पहला परिवार है। इस मुकाम को हासिल करने के बाद जेएस गुलिया ने इन पर्वत की चोटियों का नाम अपनी मां रतनी को समर्पित किया। जिसका नाम रतनी वन व रतनी टू नाम दिया गया। आइएमएफ न्यू दिल्ली के पत्र के आधार पर लिम्का बुक आफ रिकार्ड में परिवार का नाम दर्ज किया गया है। इस चोटी पर चढ़ने के लिए किसी भी सदस्य ने हिम्मत नहीं जुटाई थी।

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पति-पत्नी ने किया है कोर्स

जेएस गुलिया परिवार के मुखिया हैं। जो सैनिक स्कूल कुंजपुरा में होस्टल वार्डन हैं। पत्नी रेखा गुलिया करनाल के सेक्टर छह स्थित समरोक इंटरनेशनल स्कूल में ¨प्रसिपल हैं। इसेक अलावा उनका बेटा अमन गुलिया दुबई की एक कंपनी में जॉब करता है। परिवार के सदस्यों ने पर्वत की चोटी पर चढ़ाई करने से पहले कलाइं¨बग के बेसिक, एडवांस, मैथड ऑफ इंस्ट्रक्शन, रिसर्च एंड रेस्क्यू कोर्स किए। इसके बाद उन्होंने यह मुकाम हासिल किया। जिस समय सफल पर्वतारोही के रूप में उन्होंने चढ़ाई की थी उस समय अमन की उम्र महज साढ़े नौ साल थी।

सैनिक स्कूल कुंजपुरा में शुरू करवाया कोर्स

लिम्का बुक ऑफ रिकार्ड में नाम दर्ज होने के बाद गुलिया का नाम इतना रोशन हुआ कि स्कूल में ही उनको बच्चों को कलाइबिंक सिखाने का मौका मिला। उन्होंने कलाइबिंक के लिए स्कूल में अलग से एक दीवार का निर्माण करवाया। जिस पर वह बच्चों को ट्रे¨नग देते हैं। जेएस गुलिया के नेतृत्व में यह कोर्स शुरू करने वाला सैनिक स्कूल कुंजपुरा देश का पहला सैनिक स्कूल है। बकौल गुलिया हर साल इस स्कूल से चार से पांच बच्चों का चयन नेशनल कलाइ¨बग चैंपियनशिप के लिए होता है। दो साल पहले इसी स्कूल के तीन बच्चों का चयन एशियन कलाइबिंक चैंपियनशिप इराक के लिए भी हुआ था। वर्तमान में स्कूल में पढ़ रहे छात्र गो¨बद ने भी नेशनल में ब्रांज मेडल जीता है।

सफल बच्चों को दिया नाम

बकौल गुलिया बच्चों को कलाइं¨बग सिखाने का काम लगातार जारी है। अभी तक हमने स्कूल के बच्चों के साथ तीन वर्जिन पिकस की हैं। जो लेह क्षेत्र में है। सफलता के बाद उनको कुंजियन वन, कुंजियन टू व कुंजियन थ्री का नाम दिया है।


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