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गरीबों का सहारा बनकर खड़े होते गौरव

जरूरतमंदों गरीबों व असहायों की मदद करने के लिए समाजसेवी गौरव खुराना हमेशा आगे रहते हैं। सामाजिक सरोकार से बचपन से जुड़ाव रहने की वजह से प्रतिमाह अपनी कमाई का एक हिस्सा गरीबों की मदद के लिए देते हैं।

By JagranEdited By: Published: Thu, 15 Aug 2019 07:55 AM (IST)Updated: Thu, 15 Aug 2019 07:55 AM (IST)
गरीबों का सहारा बनकर खड़े होते गौरव
गरीबों का सहारा बनकर खड़े होते गौरव

जागरण संवाददाता, करनाल : जरूरतमंदों, गरीबों व असहायों की मदद करने के लिए समाजसेवी गौरव खुराना हमेशा आगे रहते हैं। सामाजिक सरोकार से बचपन से जुड़ाव रहने की वजह से प्रतिमाह अपनी कमाई का एक हिस्सा गरीबों की मदद के लिए देते हैं। फिर चाहे सर्दी में गरीबों को गर्म कपड़े वितरित करने हों या गर्मियों में छबील लगानी हो। जरूरतमंदों की मदद के लिए झोंपड़ियों में जाकर उनकी समस्याएं भी जानते हैं। उनका कहना है कि गरीबों की मदद करके ही बेहतर समाज का निर्माण किया जा सकता है।

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भारत विकास परिषद की श्रीराधा-कृष्ण शाखा के लगातार तीन साल तक अध्यक्ष रहे गौरव खुराना ने अपने कार्यकाल में कई प्रकल्प ऐसे चलाए, जिनकी सराहना परिषद की राज्य कार्यकारिणी के साथ ही शहर की सामाजिक संस्थाओं ने भी की। उन्हें प्रदेश कार्यकारिणी की ओर से आठ बार सम्मानित किया जा चुका है। जबकि शहर की प्रमुख सामाजिक संस्थाओं ने भी उन्हें चार बार सम्मान दिया है।

गौरव खुराना को परिवार से हमेशा दीनदुखियों की मदद करने के संस्कार मिले। उनके पिता स्वर्गीय मदन लाल खुराना भी शहर में समाजसेवा के कार्य प्रमुखता के साथ करते थे। पिता से मिले संस्कारों पर आगे बढ़ते हुए उन्होंने गरीब बच्चों की मदद करनी शुरू की। शाखा के अध्यक्ष रहते हुए उन्होंने चार दिव्यांग बच्चों को व्हील चेयर दी। कई स्कूलों में 350 से भी अधिक बच्चों को जूते वितरित किए। तपन पुर्नवास केंद्र के बच्चों को जूते व कपड़े वितरित किए। कई चिकित्सा शिविर के दौरान निशुल्क दवाइयां वितरित करने का बीड़ा उठाया। इसके साथ ही यदि उन्हें यह पता चलता है कि किसी गरीब परिवार की कन्या का विवाह हो रहा है तो वह खुद उनके घर जाकर मदद करते हैं। सामूहिक विवाह समारोह में भी वह मदद करने के लिए तैयार रहते हैं।

गौरव खुराना का कहना है कि गरीबी की मदद करने से सुकून मिलता है। गरीब को सही समय पर मदद दी जाए तो इससे उसके जीवन स्तर में सुधार आता है। वह आगे बढ़ सकता है। समाज में सबको बराबर लाने के लिए भी गरीबों की मदद करना जरूरी है। पिता से मिली सीख और संस्कारों की वजह से वह हमेशा सामाजिक कार्यो से जुड़े रहते हैं। इसके साथ ही पर्यावरण संरक्षण व सामाजिक बुराइयों के खिलाफ भी अपनी संस्था के माध्यम से लोगों को जागरूक करते हैं। समय समय पर शिक्षण संस्थाओं में भी जागरूकता कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं।


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