कर्ण स्टेडियम में चार रेन हार्वेस्टिग सिस्टम से होगा भू-जल रिचार्ज
प्रतिवर्ष भूजल स्तर नीचे गिरता जा रहा है। करनाल ब्लॉक का आंकड़ा देखें तो इस बार जिले में जलस्तर 0.96 अर्थात तकरीबन एक मीटर नीचे चले गया है।
जागरण संवाददाता, करनाल : प्रतिवर्ष भूजल स्तर नीचे गिरता जा रहा है। करनाल ब्लॉक का आंकड़ा देखें तो इस बार जिले में जलस्तर 0.96 अर्थात तकरीबन एक मीटर नीचे चले गया है। गिरते जलस्तर के मद्देनजर जिला प्रशासन ने कर्ण स्टेडियम में वाटर हार्वेस्टिग सिस्टम लगाने का निर्णय लिया है। भू-जल रिचार्ज के लिए चार वर्षाजल संरक्षण (रेन वाटर हार्वेस्टिग) सिस्टम लगेंगे। उपायुक्त के आदेश के बाद टीम ने निरीक्षण कर जल बचाव के लिए प्रोजेक्ट पर काम करना शुरू कर दिया है। स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट के तहत वर्षा आने से पहले यह काम पूरा कर लिया जाएगा। सात करोड़ रुपये की लागत से बने सिथेटिक ट्रैक के चारों तरफ ड्रेन बनाई गई है और निकासी निगम के नाले के साथ जोड़ी गई है। प्रोजेक्ट के तहत अब नाले से कनेक्शन अलग करके भू-जल रिचार्ज करने की योजना बनाई गई है। हजारों लीटर वर्षा के पानी से होगी रिचार्ज प्रक्रिया
सिथेटिक ट्रैक निर्माण से पहले आसपास के क्षेत्र से स्टेडियम का ग्राउंड लेवल डाउन होने के कारण बरसात में यहां काफी मात्रा में पानी जमा हो जाता था। जमा पानी को मोटर से निकालना पड़ता था, बावजूद कई दिन तक ग्राउंड सूख्ता नहीं था। प्रत्येक वर्ष बरसात के दिनों में हजारों लीटर पानी बर्बाद हो रहा था। मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने खिलाड़ियों की सुध लेते हुए यहां आधुनिक सिथेटिक ट्रैक निर्माण की घोषणा की। सात करोड़ रुपये की लागत से बने सिथेटिक ट्रैक और फुटबाल ग्राउंड का लेवल ठीक करके चारों तरफ ड्रेन बनाई गई ताकि ट्रैक पर निकासी दुरुस्त रहे। पिछले दिनों उपायुक्त ने अपने दौरे के दौरान भू-जल रिचार्ज के लिए हार्वेस्टिग सिस्टम लगाने के आदेश दिए। हार्वेस्टिग सिस्टम लगाने से स्टेडियम का पानी व्यर्थ होने की बजाए भू-जल रिचार्ज हो सकेगा। उपायुक्त ने बताया कि स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट में शहर की विभिन्न लोकेशन पर नए रेन वाटर हार्वेस्टर बनाए जाने हैं, उनमें से चार हार्वेस्टर कर्ण स्टेडियम परिसर में बनाए जाएंगे। जिला खेल अधिकारी सूबे सिंह ने बताया कि एक माह के भीतर काम चालू होने की उम्मीद है। जल संरक्षण के लिए होना होगा गंभीर : नूतन
भू-जल संरक्षण मुहिम से जुड़ीं नूतन नारंग ने बताया कि आज की दुनिया में पानी का उपयोग घर, कृषि और व्यापार के क्षेत्र में अत्यधिक उपयोग में लाया जाने लगा है। अब ज्यादातर ग्रामीण क्षेत्रों में भी अत्यधिक बोरवेल स्थापित हो जाने पर भी मिट्टी के अंदर जल स्तर कम होने लगा है। ऐसे में पानी को संरक्षित यानी कि जल संरक्षण के विषय में हमें जल्द से जल्द सोचना होगा क्योंकि जल ही जीवन है। आज ना सिर्फ ग्रामीण क्षेत्रों में बोरवेल बल्कि शहरी क्षेत्रों में कई बड़े कल कारखानों में पानी का उपयोग होने के कारण भी पानी की किल्लत होने लगी है। ऐसे में घरेलू और व्यावसायिक उपयोग के लिए वर्षा जल को संरक्षित करना सबसे आसान और बेहतरीन तरीका माना जाता है। भगवान की कृपा से प्रतिवर्ष थोड़ी बहुत वर्षा हर क्षेत्र में होती है ऐसे में कुछ चीजों का ध्यान और प्रक्रियाओं के माध्यम से हम वर्षा के जल को संरक्षित करके रख सकते हैं।