107 साल में पहली बार करनाल में नहीं जलाया जाएगा रावण
जागरण संवाददाता करनाल श्री रामलीला कमेटी की ओर से 107 साल के इतिहास में पहली बार राव
जागरण संवाददाता, करनाल : श्री रामलीला कमेटी की ओर से 107 साल के इतिहास में पहली बार रावण व उसके कुनबे का दहन नहीं किया जाएगा। न ही इस बार कहीं दशहरे मेले का आयोजन किया जाएगा। प्रशासन की ओर से कोरोना महामारी को लेकर जारी गाइडलाइन के तहत यह निर्णय लिया गया है। अलबत्ता, घरों में अवश्य पूजा-अर्चना की जाएगी।
उपायुक्त निशांत कुमार यादव की अध्यक्षता में शुक्रवार को लघु सचिवालय स्थित उपायुक्त कार्यालय में दशहरे के आयोजन को लेकर श्रीराम लीला सभा के पदाधिकारियों के साथ विचार-विमर्श किया गया और सभा के सदस्यों ने आपसी सहमति से निर्णय लिया कि कोरोना महामारी के चलते इस वर्ष दशहरे मेले का आयोजन नही किया जाएगा और ना ही रावण दहन किया जाएगा। उपायुक्त ने श्रीराम लीला सभा के द्वारा लिए गए निर्णय के बाद निर्देश दिए कि जिले के किसी भी गांव व कस्बे में रावण दहन का कार्यक्रम आयोजित नहीं किया जाएगा। उन्होंने जिले की जनता से अपील की वह 25 अक्टूबर को दशहरे के दिन एकत्रित नहीं हों। सरकार का सहयोग करें और अपने घर पर ही दशहरे का त्योहार मनाए।
वहीं, पुलिस अधीक्षक गंगा राम पूनिया ने श्री रामलीला सभा के सदस्यों द्वारा जनहित में दशहरे मेले का आयोजन ना करने के निर्णय का स्वागत किया और आमजन से अपील की कि सुरक्षा को देखते हुए जिले में कहीं भी भीड़ नहीं करें। इस मौके पर श्रीरामलीला कमेटी के अध्यक्ष अजय जैन, पृथ्वी सिंह, गौरव गर्ग, नरेश जयसवाल व अनिरूद्ध दीवान शामिल थे।
कमेटी के अध्यक्ष अजय जैन ने बताया कि प्रशासन के निर्देशों का पालन करते हुए यह कदम उठाया गया है। कमेटी की ओर से रामलीला भवन में नवरात्रों में प्रतिदिन सुंदर कांड पाठ का आयोजन किया जा रहा है। हर साल दशहरे मेले का आयोजन करते हैं। लेकिन 107 साल में पहली बार कमेटी यह आयोजन नहीं कर पाएगी।
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निसिग में भी 63 साल में पहली बार नहीं होगा पुतला दहन
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अनिल भार्गव, निसिग
1957 से निसिग में रामलीला मंचन शुरू हुआ था। तभी से दशहरा पर्व भी धूमधाम से मनाया जाता रहा है। लेकिन इस बार कोरोना के साये ने न केवल जगह-जगह होने वाले लीलाओं के मंचन व दशहरे पर्व के दौरान पुतला दहन के आयोजन पर रोक लगाई है बल्कि अन्य धार्मिक आयोजन भी प्रभावित किए हैं। श्री सनातन धर्म शिव मंदिर के प्रधान रोशनलाल गोयल ने बताया कि कोरोना के चलते निसिग में 62 साल के बाद पहली बार न पुतले जलेंगे और न शोभायात्रा निकलेगी। मंदिर के बाहर मेले का आयोजन नहीं होगा। लोग घरों में स्वजनों के साथ श्रीराम की पूजा-अर्चना कर दशहरा पर्व मना सकेंगे। मंदिर में माता मनसा देवी के दर्शनों के लिए श्रद्धालुओं को शारीरिक दूरी बनाकर रखनी होगी, जिसमें मंदिर कमेटी के सदस्यों सहित अन्य सामाजिक लोगों का सहयोग रहेगा अग्रवाल चौक पर हुई थी निसिग में पहली रामलीला
श्री सनातन धर्म शिव मंदिर के प्रधान रोशन लाल गोयल व जय बाबा नगरखेड़ा सेवा समिति के प्रधान नरेश गर्ग के अनुसार उनके बुजुर्ग बताते थे कि निसिग में सबसे पहले रामलीला मंचन अग्रवाल चौक में हुआ था। बाबा गंगाराम की समाधि वाले स्थान पर रामलीला होती थी। 1985 के बाद मंचन शिव मंदिर में होने लगा। दर्शन कालोनी में मनता था दशहरा पर्व
कस्बे के गोंदर रोड पर बाईपास के सामने दर्शन कालोनी की खाली जगह में पुतला दहन होता था। 1973 के बाद यह आयोजन शिव मंदिर प्रांगण में मनाया जाने लगा। दस साल बाद रामलीला भी मंदिर में शुरू होने लगी। क्षेत्र में शुरू से ही निसिग का दशहरा मशहूर था। रामलीला मंचन यहीं शुरू हुआ था। बाद में आसपास के गांवों में भी मंचन होने लगा। क्षेत्र के लगभग सभी गांवों के लोग निसिग आते थे। बच्चों और कामगारों में मायूसी
कोरोना काल के चलते जिले में इस बार रामलीला देखने से तो दर्शक वंचित रहे ही, दशहरे के अवसर पर होने वाला रावण व अन्य पुतलों का दहन भी इस वर्ष नहीं होगा। शहर से लेकर ग्रामीण क्षेत्रों तक यही स्थिति है। इससे आम लोगों और खासकर बच्चों में मायूसी है तो रामलीला से लेकर दशहरे के विविध आयोजनों में अलग अलग काम के जरिए रोजी-रोटी का प्रबंध करने वाले भी बेहद निराश हैं। कोरोना काल में यह अनुभव उनके लिए काफी दुखदायी साबित हुआ है।