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आग बनी दावानल, आपदा प्रबंधन फेल, दहशत में रहे लोग, ना अधिकारी पहुंचे ना बचाव कर्मी

निगदू क्षेत्र के 10 किलोमीटर के दायरे में फैली आग ने जिले के अधिकारी नेताओं और आपतकालीन प्रबंधन को कठघरे में खड़ा कर दिया।

By JagranEdited By: Published: Sat, 11 May 2019 09:02 AM (IST)Updated: Sat, 11 May 2019 09:02 AM (IST)
आग बनी दावानल, आपदा प्रबंधन फेल, दहशत में रहे लोग, ना अधिकारी पहुंचे ना बचाव कर्मी
आग बनी दावानल, आपदा प्रबंधन फेल, दहशत में रहे लोग, ना अधिकारी पहुंचे ना बचाव कर्मी

जागरण संवाददाता, करनाल : निगदू क्षेत्र के 10 किलोमीटर के दायरे में फैली आग ने जिले के अधिकारी, नेताओं और आपतकालीन प्रबंधन को कठघरे में खड़ा कर दिया। आग फैलती गई और लोग मदद के लिए चिलाते रहे। लेकिन डीसी से लेकर आपदा प्रबंधन अधिकारी में से किसी ने भी सुध नहीं ली। डीसी आफिस में जब ग्रामीणों ने फोन किया, तब तब उन्हें जवाब मिला साहब चुनाव में व्यस्त हैं। तेजी से आगे बढ़ती आग को देखकर ग्रामीणों के होश उड़ गए। आनन-फानन में ग्रामीणों ने अपने स्तर पर ही बचाव कार्य शुरू किया। फायर ब्रिगेड के पहुंचने से पहले अपने मवेशियों को सुरक्षित स्थानों तक पहुंचाया। लेकिन तूड़ी कूप उनकी आखों के सामने जल गए। शाम छह बजे लगी आग देर रात करीब 11 बजे तक शात हुई। इसके बाद भी कहीं कहीं हवा के साथ आगे फिर से फैलने का खतरा बना रहा। दूसरी ओर जुंडला, इंद्री व असंध क्षेत्र के खेतों में भी तेज आधी के साथ आग लगने की घटना होने ने ग्रामीणों को डर के साये में रखा। फायर ब्रिग्रेड की 16 गाड़िया आग बुझाने के लिए एक क्षेत्र से दूसरे क्षेत्र में दौड़ती रही।

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जिले में 80 जगह आग लगने की सूचनाएं आई

शुक्रवार की शाम को तेज आधी चलने के साथ ही आग के भयंकर रूप धारण करने की सूचनाएं आने लगी। एक साथ खेतों में आग लगने की घटनाएं होने से फायर ब्रिगेड के भी हाथ पाव फूल गए। क्योंकि फायर ब्रिगेड के पास महज 16 गाड़िया, लेकिन आग लगने की घटनाएं ज्यादा हो गई। भयंकर आग पर काबू पाने के फायर ब्रिगेड के इंतजामों की भी पोल खोल गई। शाम के समय एक के बाद एक करके फायर ब्रिगेड आफिस में करीब 80 जगह आग लगने की सूचनाएं आई। इसके बाद फायर ब्रिगेड की गाड़िया लगातार दौड़नी शुरू हो गई।

निगदू क्षेत्र में ज्यादा आग ने मचाया सबसे ज्यादा ताडव

निगदू से करीब तीन किलोमीटर दूर स्थित गाव दयानगर के खेतों में रात करीब सात बजे आग लगने की बात सामने आई। आग लगने की सूचना ग्रामीणों ने तुरंत फायर ब्रिगेड को दी, लेकिन फायर ब्रिगेड की मदद पहुंचने से पहले आग काबू से बाहर होती चली गई। इसके बाद आग पस्ताना, निगदू, बुटेड़ा, पतनपुरी, मुखापुरी, हथिरा व हैबतपुर गाव के खेतों तक पहुंच गई। आग ने खेतों में कूपों को चपेट में ले लिया। आग बढ़ने की सूचना तेजी से एक गाव से दूसरे गाव तक पहुंची तो ग्रामीण चौकन्ने हो गए। प्रशासनिक मदद का इंतजार करने के बजाय ग्रामीण खुद ही खेतों की ओर चले गए और अपने मवेशियों को सुरक्षित स्थान तक पहुंचाया।

110 तूड़ी के कूप और बाइक जली

जलमाना के गाव उपलानी में शाम छह बजे आधी के साथ खेतों में लगी आग ने तूड़ी के कूपों को चपेट में ले किया। सरपंच सुरेंद्र कुमार, पंच जगदीश, दर्शन सिंह ने बताया कि माइवाड़ा स्थान पर ग्रामीण तूड़ी के कूप बनाए जाते हैं। यहा कम से कम 110 तूड़ी के कूप थे, सभी में आग लग गई। ग्रामीणों ने अपने स्तर पर पशुओं को आग से दूर किया, लेकिन एक मोटरसाइकिल आग की चपेट में आ गई। इसके अलावा, आग लगने के तीन घटे बाद भी फायद ब्रिगेड की गाड़ी न पहुंचने के कारण तूड़ी के 110 कूपों को बचाया नहीं जा सका।

जुंडला में आग की दहशत

जुंडला क्षेत्र में तूड़ी के तीन कूपों में आग लग गई। तरावड़ी व निसिंग के क्षेत्र से दो फायर ब्रिगेड की गाड़ियों ने आग पर काबू पाया। जुंडला निवासी राहुल गुर्जर ने बताया कि शाम को अचानक खाली खेतों में तेज हवा से आग लग गई। जब खेत में जा कर देखा तो तूड़ी के तीन कूप आग की चपेट में आ चुके थे। ग्रामीणों ने अपने स्तर पर आग बुझाने का प्रयास किया, लेकिन आग काफी फैल चुकी थी। फायर ब्रिगेड की दो गाड़ियों ने मौके पर पहुंच कर आग पर काबू पाया।

दहशत की कहानी ग्रामीणों की जुबानी

निगदू क्षेत्र के किसान सुखविंद्र सिंह, रामलाल व मलखान सिंह ने कहा कि शाम छह बजे से लेकर रात 11 बजे तक ग्रामीणों ने दहशत में गुजारे। प्रशासन की मदद के बजाय ग्रामीण भगवान से हवा की गति कम होने की ज्यादा उम्मीद लगाए हुए थे। हवा मंद होने के साथ साथ ग्रामीणों ने अपने स्तर पर भी बचाव कार्य शुरू कर दिए। सबसे ज्यादा चिंता इस बात की थी कि आग के शोले कहीं गाव की ओर रुख नहीं कर ले। इस चिंता के बीच ग्रामीण जहा जहा आग लगी थी, वहा वहा डटे रहे। ग्रामीणों ने पूरे साल साल की तूड़ी संभाल कर रखी थी, जोकि आग की चपेट में आ गई।

चुनाव की चिंता करने वालों हम भी वोटर हैं

लोकसभा चुनाव की चिंता में नेता भी हैं और अधिकारी। दोनों को ही वोटर की चिंता। नेता चाहते हैं कि उनके पक्ष में मतदान हो और अधिकारी चाहते हैं कि ज्यादा मतदान हो। लेकिन चुनाव की चिंता करने वाले गाव के इन वोटर को भूल गए, जो मतदान से एक दिन पहले की रात आग से डर के साये में रहे। पाच घटे तक एक एक मिनट उनकी आखों के सामने मुश्किल से गुजरा। लेकिन वोटरों के पास कोई नहीं पहुंचा। तर्क यही था कि अब हर कोई चुनाव में व्यस्त है।

कहा है आपदा प्रबंधन

फिर एक बार आपदा प्रबंधन को लेकर सवाल खड़े हुए हैं। आग तेजी से बढ़ने के पीछे यह बहाना कहा जा सकता है कि तेज आधी की वजह से आग पर काबू नहीं पाया जा सका। लेकिन यदि यही आग खेतों से आबादी देह इलाके की ओर रुख कर लेती तो क्या फिर भी यही बहाना सामने रखा जाता। जिस जगह से आग शुरू हुई थी, उसी जगह पर समय पर फायर ब्रिगेड और आपदा प्रबंधन के अधिकारी पहुंच जाते और आग को शात कर दिया जाता तो आग का यह रूप नहीं देखना पड़ता। अलबत्ता आपदा प्रबंधन के इंतजामों को लेकर नए सिरे से सोचने पर पर मजबूर होना पड़ेगा।

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