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मेडिकल कॉलेज के सामने घरेलू सिलेंडर में लगी आग, एक्सपायरी फायर सिलेंडर से बुझाई

कल्पना चावला राजकीय मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल के मुख्य गेट के साम

By JagranEdited By: Published: Fri, 09 Mar 2018 06:49 PM (IST)Updated: Fri, 09 Mar 2018 06:49 PM (IST)
मेडिकल कॉलेज के सामने घरेलू सिलेंडर में लगी आग, एक्सपायरी फायर सिलेंडर से बुझाई
मेडिकल कॉलेज के सामने घरेलू सिलेंडर में लगी आग, एक्सपायरी फायर सिलेंडर से बुझाई

जागरण संवाददाता, करनाल : कल्पना चावला राजकीय मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल के मुख्य गेट के सामने चाय की रेहड़ी पर रखे घरेलू सिलेंडर में आग लग गई। जब तक दुकानदार संभलते तब तक आस-पास खड़ी तीन रेहड़ियां भी धधक उठीं। इससे वहां हड़कंप मच गया। हादसा शुक्रवार को करीब तीन बजकर 20 मिनट पर हुआ।

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रेहड़ी संचालक ने छोटे सिलेंडर को सड़क के बीच में फेंककर आग बुझाने का प्रयास किया, लेकिन नाकाम रहा। इस दौरान पास ही चौक पर खड़ी पुलिस ने वाहन चालकों को रोक दिया। करीब पांच मिनट तक सिलेंडर धू-धूकर जलता रहा। रेहड़ी संचालक ने उस पर गीला कपड़ा फेंका तो आग और बढ़ गई। संयोग से मेडिकल कॉलेज में फायर प्रोटेक्शन इंजीनियर्स के फायर कंसल्टेंट विशाल ¨सह अपने सहायक देशराज के साथ एक्सपायरी फायर सिलेंडर लेने आए थे। दोनों ने हिम्मत दिखाई और फायर सिलेंडर से आग बुझा दी।

खत्म हो चुकी थी अवधि

गौरतलब है कि जिस फायर सिलेंडर से आग बुझाई गई, वह 28 फरवरी 2017 को एक्सपायर हो चुका था। विशाल ने बताया कि वह मेडिकल कॉलेज में एक्सपायर हो चुके 110 फायर सिलेंडर लेने आए थे। ताकि इन्हें दोबारा भर सकें। यह फायर सिलेंडर तीन प्रकार के होते हैं। ए, बी व सी। ए सामान्य आग बुझाने के काम आता है। बी से पेट्रोल व डीजल की आग को काबू किया जा सकता है, जबकि सी मल्टीपर्पज होता है। इससे एलपीजी में और बिजली के शॉर्ट सर्किट की आग को आसानी से बुझाया जा सकता है।

सिलेंडर फटता तो बड़ा हादसा को सकता था

जिस स्थान पर सिलेंडर में आग लगी, वहां दिन के समय काफी चहल-पहल होती है। मेडिकल कॉलेज में रोजाना हजारों की संख्या में लोग आते हैं। गेट के ठीक सामने ई-रिक्शा व ऑटो चालकों का भी जमावड़ा रहता है। यहां रेहड़ियों की भी लंबी कतार है। सड़क के साथ-साथ दवाइयों की दुकानों की भरमार है। सिलेंडर फटता तो बड़ा हादसा हो सकता था।

लोगों ने थपथपाई पीठ

सिलेंडर में लगी आग को सभी लोग दूर से देख रहे थे। विशाल व देशराज ने इसे बुझाया तो सभी सक्रिय हो गए। किसी ने सिलेंडर पर रेत डाला तो किसी ने आसपास रेहड़ियों में लगी आग को बुझाने में मदद की। लोगों ने विशाल व देशराज की पीठ थपथपाई। विशाल ने बताया कि ऐसी घड़ी में अफरा-तफरी के बजाय दिमाग से काम लेना चाहिए। फायर सिलेंडर नहीं है तो सिलेंडर की आग को तुरंत गीली बोरी से ढक दें ताकि इसमें ऑक्सीजन न जा सके। इससे आग खुद ब खुद बुझ जाएगी।


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