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किसान अवशेष ना जलाएं, कृषि विभाग की पूरी निगरानी है : आदित्य

धान के अवशेषों को ना जलाने के लिए कृषि विभाग लगातार किसानों के बीच जाकर उनको बता रहा है कि यह पर्यावरण के खिलाफ है।

By JagranEdited By: Published: Mon, 07 Oct 2019 08:39 AM (IST)Updated: Mon, 07 Oct 2019 08:39 AM (IST)
किसान अवशेष ना जलाएं, कृषि विभाग की पूरी निगरानी है : आदित्य
किसान अवशेष ना जलाएं, कृषि विभाग की पूरी निगरानी है : आदित्य

जागरण संवाददाता, करनाल

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धान के अवशेषों को ना जलाने के लिए कृषि विभाग लगातार किसानों के बीच जाकर उनको बता रहा है कि यह पर्यावरण के खिलाफ है। अवशेष जलाने से जमीन के सेहत भी खराब होती है ओर लोगों की भी। फिर क्यों अवशेषों को आग के हवाले करना। हमने धान के अवशेषों के उचित प्रबंधन के बारे में किसानों को बताया है, जागरूक किसानों ने उसको स्वीकार भी किया है। इसका असर यह रहा है कि आग लगाने के मामलों में काफी कमी दर्ज की गई है। पिछली साल की तुलना में अब तक 50 फीसद कम किसानों ने धान के अवशेषों को जलाया है। यह बात कृषि विभाग के उप कृषि निदेशक डॉ. आदित्य प्रताप डबास ने दैनिक जागरण से सप्ताह के साक्षात्कार के दौरान कही। आगे भी लोगों को जागरूक करने की प्रक्रिया जारी रहेगी। 0 लोग चुनावी माहौल में हैं, ऐसे में धान अवशेषों को जलाने की घटनाओं के बढ़ने की संभावना है?

- डीडीए आदित्य प्रताप डबास ने कहा कि लोग ये ना समझें की चुनाव है, हमारी टीमें लगातार निगरानी कर रही हैं। किसान धान के अवशेषों को आग लगाने के बजाय विभाग की ओर से बताए समुचित प्रबंध करें। जो किसान अवशेषों को आग लगाएगा कार्रवाई के लिए उसकी जिम्मेदारी होगी। 0 विभाग की तरफ से फसल अवशेष प्रबंधन के लिए क्या प्रयास किए हैं?

-फसल अवशेष प्रबंधन के लिए प्रदेश सरकार कृषि यंत्रों पर सब्सिडी उपलब्ध करा रही है। कस्टम हायरिग सेंटर खोलने की सरकार ने मंजूरी दी थी। इनमें से ज्यादातर खोले जा चुके हैं। इसमें आठ तरह के कृषि यंत्र उपलब्ध कराए जा रहे हैं। स्ट्राबेलर, रिपर, एसएमएस और कंबाइन जैसे उपकरणों की कीमत लगभग 10 लाख रुपये है। छोटे किसान इतने महंगे उपकरण खरीदने में सक्षम नहीं होते हैं। केंद्र सरकार की इस नई स्कीम के तहत महंगे उपकरण समूहों में लेने में आसानी होगी। किसान किराये पर लेकर लौटा देंगे। 0 इस मुद्दे को सुलझाने के लिए किसानों के बीच कितने गए?

- हमारी टीम किसानों के लिए ही काम कर रहे हैं। समय की पाबंदी नहीं है। किसान की हर समस्या के समाधान के लिए हम काम कर रहे हैं। किसानों को इस मामले को समझाने का प्रयास निरंतर कर रहे हैं कि पराली जलाना हल नहीं है। लोग जागरूक भी हुए हैं। पराली जलाने के कम मामले सामने आ रही हैं। किसानों के हर समाधान के लिए हमारी टीम निरंतर प्रयासरत है।


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