बरसात व ओलावृष्टि के बाद सताने लगी पीला रतुआ की चिता
गेहूं की फसल को लेकर क्षेत्र के किसान इन दिनों चितित नजर आ रहे हैं। कई क्षेत्रों में गेहूं पर पीला रतुआ का प्रकोप दिख रहा है।
संवाद सूत्र, जलमाना : गेहूं की फसल को लेकर क्षेत्र के किसान इन दिनों चितित नजर आ रहे हैं। कई क्षेत्रों में गेहूं पर पीला रतुआ का प्रकोप दिख रहा है। पहले जहां ठंड कम पड़ने से किसानों को गेहूं के उत्पादन में कमी का डर सता रहा था उसके बाद बरसात व ओलावृष्टि से फसल की तबाही से चितित किसान अब गेहूं पर फैलने वाली विभिन्न बीमारियों से परेशान है। फसल को बचाने के लिए जहां किसान पेस्टीसाइड्स का स्प्रे करने में जुटे हैं, वहीं विभागीय अधिकारियों की टीम खेतों में जाकर स्थिति का जायजा ले रही है।
मौसम व परिस्थितियां इस बार गेहूं की फसल के अनुकूल नहीं दिखाई दे रही हैं। खास बात यह है कि अगेती व पछेती दोनों किस्मों में कीट का प्रकोप देखा जा रहा है। विभागीय जानकारी के मुताबिक कहीं-कहीं गेहूं की फसल में पीला रतुआ के लक्षण सामने आए हैं। पीली पड़ जाती हैं पत्तियां
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किसान बलविद्र सिंह ठरवा का कहना है कि गेहूं की फसल पर पीला रतुआ नामक रोग काफी असर डालता है। पीला रतुआ एक बीमारी है, जिससे फसल की पैदावार पर बुरा असर पड़ता है। पीले रतुआ से गेहूं की फसल की पत्तियां पीली पड़ जाती हैं। यह ज्यादातर 2851 गेहूं में देखने को मिला है जिन किसानों ने इस नम्बर की गेहूं की उपज उगाई है वह समय पर रोकथाम कर सकते हैं। बीज का उपचार जरूरी
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सतीश कुमार का कहना है कि चाहे किसान ने दवाई का प्रयोग कर बीमारी पर काबू पा लिया हो। माहिरों के अनुसार पीला रतुआ से फसल बचाने के लिए किसानों को फसल बीजने के समय बीज का उपचार करना चाहिए। रतुआ रोग गेहूं की एक विशेष किस्म में ज्यादा आता है। इसलिए उस किस्म का किसान बिजाई करने से बचे। दर्शन सिंह उपलानी का कहना है कि गेहूं के पत्तों पर पीले रंगे के निशान गेहूं के खेत में गुजरते समय कपड़ों से लग जाते हैं। इससे बीमारी की पहचान कोई भी कर सकता है। गेहूं फसल में रतुआ की बीमारी पीली धारियों से शुरू होती है, लेकिन जल्द ही पूरा पौधा पीला होने लगता है। इससे पौधों का विकास रुक जाता है। एक बार रतुआ रोग फसलों में आने के बाद भी करीब 30 प्रतिशत तक उत्पादन कम हो जाता है। कृषि विभाग पूरी तरह मुस्तैद
कृषि विकास अधिकारी श्याम सिंह ने बताया कि गांव जलमाना, कुरलन, ठरवा, चोरकरसा, उपलानी के किसानो को गेहूं फसल में पीला रतुआ बीमारी के लक्षणों सम्बंधित जानकारी दी। उन्होंने स्वयं टीम के साथ खेत का दौरा किया और इस बीमारी को नियंत्रित करने के लिए किसानों के लिए अनुदान पर उपलब्ध दवा का छिड़काव करवाया। इस बीमारी की फंफूदनाशक दवाई प्रोपिकोनाजोल 25 ईसी 50 प्रतिशत सब्सिडी पर उपलब्ध करा रहा है। एक किसान 5 एकड़ तक का लाभ ले सकता है। कृषि विभाग के कार्यालय तथा एचएलआरडीसी के काउंटरों पर यह दवाई उपलब्ध है। गेहूं की फसल में पीला पाउडरनुमा पदार्थ दिखने पर 0.1 प्रतिशत घोल 200 एमएल दवा 200 लीटर पानी के साथ स्प्रे की जानी है। जरूरत पड़ने पर स्प्रे दोबारा किया जा सकता है। कृषि विकास अधिकारी ने किसानों से अपील की है कि खेतों का दौरा करते रहें और बीमारी आने की सूचना कृषि विभाग के कार्यालय में तुरंत दें।