किसानों को जागरूक करना समय की जरूरत : डॉ. अर्जुन ¨सह
जागरण संवाददाता, करनाल : कृषि एवं किसान कल्याण विभाग की ओर से स्थानीय बागवानी प्रशिक्षण संस्
जागरण संवाददाता, करनाल : कृषि एवं किसान कल्याण विभाग की ओर से स्थानीय बागवानी प्रशिक्षण संस्थान उचानी में करनाल, जींद, पानीपत व रोहतक के खंड कृषि अधिकारियों और कृषि विकास अधिकारियों की एक दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया गया। इसकी अध्यक्षता बागवानी विभाग के निदेशक डॉ. अर्जुन ¨सह सैनी ने की।
कार्यशाला में कृषि एवं कल्याण विभाग की विभिन्न योजनाओं के बारे में अधिकारियों को जानकारी दी गई व योजनाओं का लाभ संबंधित किसानों तक सुचारू रूप से पहुंचे इसके तौर-तरीके भी बताएं गए है। स्कीमों को कारगर और पारदर्शी तरीके से लागू करने संबंधी विषय को लेकर भी उनकी सलाह ली गई। डॉ. अर्जुन ने कहा कि विभाग की सभी स्कीमों की जानकारी किसानों तक पहुंचाएं। किसानों के साथ सही तालमेल स्थापित करें। किसानों को नई तकनीक की मशीनरी रखना, प्लांट तैयार करवाना, नई-नई किस्म के बीजों के बारे में जागरूक करने के लिए विशेष कार्यक्रम आयोजित करना इत्यादि विषय प्राथमिकता के आधार पर लागू करने होंगे। किसानों को खेती के साथ-साथ पशुपालन, मछलीपालन, मुर्गी पालन, मधुमक्खी पालन जैसे खेती से जुड़े व्यवसाय अपनाने के लिए प्रेरित करने की भी जरूरत है।
उन्होंने बताया कि आधुनिक युग साइंस एवं तकनीक का युग है। किसानों को जागरूक करना समय की जरूरत है। किसानों को गेहूं व चावल की फसल की लगातार बुआई न करके फसल चक्र विधि को अपनाने के लिए प्रेरित करें। बैठक में प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के बारे में विस्तार से चर्चा की गई। विभाग के अतिरिक्त निदेशक डॉ. वीएस रापडि़या ने कहा कि प्रत्येक खंड कृषि अधिकारी के पास अपने क्षेत्र के किसानों के संपर्क सूत्र होने चाहिए। किसानों को विभाग द्वारा चलाई गई टोल फ्री सुविधा, एसएमएस, इलेक्ट्रोनिक व प्रिंट मीडिया व सोशल मीडिया से भी अधिक से अधिक जागरूक कर संचार क्रांति में उन्हें शामिल किया जा सकता है। उन्होने ने भूमि सरंक्षण शाखा द्वारा चलाई जा रही सभी योजनाओं से अधिकारियों को अवगत कराया व कृषि यंत्रों पर अनुदान की जानकारी दी।
अंधाधुंध केमिकल का प्रयोग न करें किसान : प्रदीप मील
उप कृषि निदेशक डॉ. प्रदीप मील ने बताया कि सरकार ने अधिकतर योजनाएं ऑनलाइन क्रियान्वित की हैं। किसानों को अंधाधुंध केमिकल फर्टिलाइजर के प्रयोग से रोकने के लिए जागरूक करने की जरूरत है। बाढ़, सूखा, ओलावृष्टि सहित प्राकृतिक आपदा से हुए नुकसान की भरपाई किसानों को निर्धारित मापदंड के तहत हो सके, इसके लिए सरकार ने प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना चलाई है। उन्होने डीबीटी से भविष्य में होने वाले फायदों से अधिकारियों को अवगत कराया।