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किसानों से मुंह मोड़ गई कंपनी और नहीं मिला फसल का मुआवजा

प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना का लाभ किसानों तक पहुंचाने के लिए सरकार के बड़े दावे सामने आ चुके हैं। लेकिन तस्वीर का दूसरा पहलू यह है कि फसल बीमा योजना के लिए अधिकृत की गई कंपनी के मुंह मोड़ लेने से किसानों को मुआवजा नहीं मिल सका। यह भी उस स्थिति में जब कृषि विभाग की ओर से सर्वे भी करा लिया गया और किसान मुआवजे की इंतजार में ही रहे। लिहाजा कंपनी की वजह से किसानों को मुआवजा नहीं मिला तो उनमें रोष पैदा हुआ।

By JagranEdited By: Published: Thu, 28 Mar 2019 08:12 AM (IST)Updated: Thu, 28 Mar 2019 08:12 AM (IST)
किसानों से मुंह मोड़ गई कंपनी और नहीं मिला फसल का मुआवजा
किसानों से मुंह मोड़ गई कंपनी और नहीं मिला फसल का मुआवजा

किसानों से मुंह मोड़ गई कंपनी और नहीं मिला फसल का मुआवजा

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जागरण संवाददाता, करनाल : प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना का लाभ किसानों तक पहुंचाने के लिए सरकार के बड़े दावे सामने आ चुके हैं। लेकिन तस्वीर का दूसरा पहलू यह है कि फसल बीमा योजना के लिए अधिकृत की गई कंपनी के मुंह मोड़ लेने से किसानों को मुआवजा नहीं मिल सका। यह भी उस स्थिति में जब कृषि विभाग की ओर से सर्वे भी करा लिया गया और किसान मुआवजे की इंतजार में ही रहे। लिहाजा कंपनी की वजह से किसानों को मुआवजा नहीं मिला तो उनमें रोष पैदा हुआ।

कंपनी ने अभी तक नहीं दी मुआवजे की राशि : कलेक्टर सिंह

निसिग खंड के राहड़ा गांव के किसान कलेक्टर सिंह ने कहा कि पिछले जीरी के सीजन में छह एकड़ फसल खराब हो गई थी। इसका सर्वे कृषि विभाग की ओर से किया गया। बीमा राशि भी उसकी कटी है। लेकिन कंपनी ने उसे मुआवजा अभी तक नहीं दिया है। जब यह योजना शुरू हुई तो इससे बहुत उम्मीद थी। कृषि विभाग ने भी सर्वे करा दिया था। अब सरकार को चाहिए कि वह कंपनी को इस योजना को सही ढंग से लागू करने के निर्देश दे।

नहीं मिला आलू की फसल खराब होने का मुआवजा : मलखान

निसिंग खंड के कतलाहेड़ी गांव निवासी मलखान सिंह राणा ने कहा कि पिछले सीजन में आलू की फसल बरसात से तबाह हो गई थी। लेकिन मुआवजे के तौर पर एक रुपया भी नहीं मिला। ऐसे में उनके लिए योजना के कोई मायने नहीं है।

किसानों के साथ धोखा किया जा रहा है : मान

भारतीय किसान यूनियन के प्रदेशाध्यक्ष रतन मान ने कहा कि योजना के अनुसार बीमा कंपनियां एक एकड़ को इकाई मानकर किसानों से प्रीमियम ले रही हैं, लेकिन बीमे का लाभ पूरे गांव की फसल बर्बाद होने पर देने का प्रावधान है। यह किसानों के साथ सरासर धोखा है। सरकार ने योजना को अनिवार्य कर दिया है। इससे कर्जदार किसानों के समक्ष और कोई विकल्प नहीं बचता और उन्हें बीमा करवाना ही होता है।

ये है आंकड़ों में योजना की स्थिति

कृषि विभाग के अनुसार प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के तहत वर्ष 2016 में खरीफ सीजन में जिला के 42467 किसानों ने बीमा करवाया जिसके तहत करीब 12 करोड़ 23 लाख रुपये की राशि प्रीमियम के रूप में प्राप्त हुई। इस सीजन में 72 गांवों के किसानों को 15 करोड़, 17 लाख रुपये की राशि मुआवजे के रूप में प्राप्त हुई व 2 किसानों को 78 हजार 518 रुपये की राशि मुआवजे के रूप में मिली है। इसी प्रकार, रबी सीजन में 41 हजार 93 किसानों ने बीमा करवाया और 6 करोड़ 11 लाख 46 हजार की राशि प्रीमियम के रूप में प्राप्त हुई, उक्त सीजन में 2500 लाभ पात्रों को करीब 2 करोड़, 24 लाख रुपये की राशि मुआवजे के रूप में मिली है। वर्ष 2017 में खरीफ सीजन में 43034 किसानों ने फसल बीमा करवाया, जिसके तहत 10 करोड़ 22 लाख रुपये का प्रीमियम प्राप्त हुआ तथा रबी सीजन में 38550 किसानों ने फसल बीमा कराया, जिसके तहत 5 करोड़ 60 लाख रुपये का प्रीमियम प्राप्त हुआ। वर्ष 2017-18 की रबी की फसल में जिले के 38,553 ऐसे किसान रहे, जिन्होंने बैंकों से ऋण लिया और 212 ऐसे किसान जिन्होंने किसी भी बैंक से ऋण नहीं लिया। इन सभी 38,745 किसानों की 61432 हेक्टेयर भूमि को प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के तहत बीमित किया गया।


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