Move to Jagran APP

शहरों की तर्ज पर विकास के दावे गांव राहड़ा में खोखले साबित

कस्बे के गांव राहड़ा में समस्याओं के अंबार लगे हुए हैं। गांव में कोई सुविधा नहीं हैं। लोग नारकीय जीवन जीने को मजबूर हैं। हलके के बड़े गावों में राहड़ा का नाम आता है। जितना बड़ा गांव है समस्या भी उतनी ही ज्यादा है।

By JagranEdited By: Published: Mon, 04 Mar 2019 08:17 AM (IST)Updated: Mon, 04 Mar 2019 08:17 AM (IST)
शहरों की तर्ज पर विकास के दावे गांव राहड़ा में खोखले साबित
शहरों की तर्ज पर विकास के दावे गांव राहड़ा में खोखले साबित

जसबीर राणा, असंध : कस्बे के गांव राहड़ा में समस्याओं के अंबार लगे हुए हैं। गांव में कोई सुविधा नहीं हैं। लोग नारकीय जीवन जीने को मजबूर हैं। हलके के बड़े गावों में राहड़ा का नाम आता है। जितना बड़ा गांव है समस्या भी उतनी ही ज्यादा है। मूलभूत सुविधाओं से जूझ रहा गांव वर्षो से किसी विकासशील पुरुष की बाट ढो रहा है। हर बार पंचायत बनती है और ग्रामीणों को विकास आश्वासन दिया जाता है। कुर्सी संभालने के बाद जनप्रतिनिधि और अधिकारी सब कुछ भूल जाते हैं। लोग कहां जाएं, किसे शिकायत करें इसे रोजमर्रा के कार्यों में शामिल कर चुके हैं।

loksabha election banner

जिले में सांसद या विधायक चुनाव में गांव की राजनीति में भी अच्छी भागेदारी है बावजूद विकास यहां आश्वासनों पर टिका हुआ है। यहां निकासी की सबसे बड़ी समस्या है। वैसे तो गांव के चारों तरफ बड़े-बड़े तालाब हैं लेकिन वो भी ओवरफ्लो होने के कारण पानी सड़कों व गलियों में जाने लगा है।

ग्रामीण जगरूप, रिकल, जगमिदर, राकेश, ऋषि, सुभाष, रामफल, मनोज, सूरजभान, रामबीर आदि ने बताया कि गांव की बदहाली के लिए सफाई की व्यवस्था न होना, निकासी का उचित प्रबंध न होना है। भाजपा नेता शहर की तर्ज पर गांव के विकास की बात करते हैं लेकिन यहां सभी दावे हवा हवाई नजर आते हैं। यहां विकास जमीनी स्तर पर नहीं बल्कि जुबानी स्तर पर हुआ है। सरकारी स्कूलों की दशा दहनीय

ग्रामीणों ने बताया कि गांव में 12वीं तक का सरकारी स्कूल है। स्कूल की बिल्डिग भी कंडम हो चुकी है। स्कूल में बच्चों के लिए कोई सुविधा नहीं है जिसकी सूचना कई बार अधिकारियों को लिखित में की जा चुकी है लेकिन आज तक समस्या का समाधान नहीं हुआ। बच्चे कंडम भवन में ही शिक्षा प्राप्त करने में मजबूर है। गलियों और नालियों में भरा रहता है पानी

वीर शिरोमणि महाराणा प्रताप सभा के प्रधान रणबीर राणा ने बताया कि गांव में पानी की निकासी का उचित प्रबंध न होने के कारण गांव की सड़कों और गलियों में पानी जमा रहता है। बरसात के दिनों में गांव की गलियां तालाब का रूप धारण कर लेती हैं। शिकायत उच्चाधिकारियों तक कर चुके हैं लेकिन समस्या का कोई समाधान नहीं हुआ। निकासी न होने के कारण पानी पास लगते खेतों में जाने लगता है। खेलने के लिए स्टेडियम नहीं

रिकल ने बताया कि गांव के सैकड़ो युवा आर्मी और पुलिस विभाग में अपनी सेवाएं दे रहे हैं। लेकिन गांव में कोई भी खेल स्टेडियम नहीं है। युवा सुबह और शाम ऐसे ही सड़कों पर भाग दौड़ करते हैं, जिससे कभी भी कोई हादसा हो सकता है। खेल स्टेडियम की मांग काफी पुरानी है अभी तक इसकी और कोई ध्यान नहीं दिया गया। बिजली व्यवस्था भी चौपट

खुशीराम ने बताया कि सरकार गांवों में शहर की तर्ज पर विकास की बात करती है, जबकि यहां दिन के समय केवल 2 घंटे ही बिजली आती है। 24 घंटे बिजली न सही, कम से कम 5 घंटे बिजली जरूर आनी चाहिए। जिससे लोगो को राहत मिल सके। चारों तरफ जमा गंदा पानी

शेखर राणा ने बताया कि गांव में जोहड़ की संख्या ज्यादा है। अधिकतर जगह गंदा पानी इक्ट्ठा होने से बीमारी फैलने का डर बना रहता है। आज कल बदलते मौसम में डेंगू, मलेरिया जैसी जानलेवा बीमारी होने की आशंका है। गांव में अभी तक कोई फॉगिग भी नहीं की गई। सरकार के अधिकारियों को इसकी ओर ध्यान देना चाहिए। गांव में हो रहा विकास

सरपंच सुनील कुमारी ने कहा कि गांव में लगभग चार गलियों में मिस्त्री लगे हुए हैं। लगभग 25 लाख रुपये की लागत से कार्य चल रहे हैं जिसका फायदा गांव को मिल रहा है। उन्होंने बताया कि गांव के सरकारी स्कूल के लिए भी प्रस्ताव भेज दिया गया है। जल्द ही स्कूल में कमरों की मरम्मत, पानी की टंकी आदि की जो कमी है वह पूरी करवा दी जाएगी। इतिहास और महत्व

आजादी से पहले बसे गांव की जनसंख्या लगभग 24000 है और वोट लगभग 8500 है। बाबा नखी का डेरा है जिस पर हर वर्ष दो बार मेला लगता है। मेले में काफी संख्या में श्रद्धालु दर्शन करने पहुंचते हैं। इस दौरान लगने वाले अखाड़े में पहलवान दमखम दिखाते हैं। इसके अलावा, दुधाधारी डेरे की मान्यता दूर-दूर तक है। गांव के अधिकतर लोग कृषि से जुड़े हुए हैं। साक्षरता रेसो 65-70 फीसदी है।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.