एनर्जी केन बंजर भूमि को बनाएगी उपजाऊ, खोई से तैयारी होगी बिजली, वेस्ट से बनेगा कागज
एनर्जी केन। गन्ने की ऐसी प्रजाति जो बंजर भूमि को उजपाऊ बनाएगी। इसे इस तरह से तैयार किया गया है कि बंजर जमीन में भी आसानी से उगेगी।
करनाल [मनोज ठाकुर]। एनर्जी केन। गन्ने की ऐसी प्रजाति जो बंजर भूमि को उजपाऊ बनाएगी। इसे इस तरह से तैयार किया गया है कि बंजर जमीन में भी आसानी से उगेगी। गन्ना प्रजनन संस्थान कोयम्बटूर ने यह प्रजाति तैयार की है। हालांकि इस गन्ने में जूस कम है, लेकिन इसमें खोई (वेस्ट) ज्यादा निकलती है। यह बिजली टर्बाइन और कागज मिल के लिए खासी उपयोगी मानी जा रही है।
संस्थान के निदेशक डॉ. बक्शी राम ने बताया कि गन्ने की यह किस्म बंजर जमीन में उगने में सक्षम है। इसका उत्पादन तो कम है, लेकिन बंजर जमीन में आय का जरिया जरूर बनेगी। एनर्जी गन्ने का तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश, महाराष्ट्र और कर्नाटक के मिलों से टाइअप किया गया है।
कर्नाटक के समीर वाड़ी स्थित पेपर मिल के साथ मिलकर इस दिशा में काम किया गया था, जो लगभग सफल रहा। अब किसानों को इसे अपनाने के लिए प्रेरित किया जा रहा है। हरियाणा, उत्तर प्रदेश, पंजाब और बिहार सहित कई इलाकों की जलवायु में गन्ने की यह प्रजाति कामयाब है। डॉ. बक्शी गन्ना प्रजनन केंद्र में प्रवास के दौरान दैनिक जागरण से बातचीत कर रहे थे।
लगातार इसे उगाने के बाद दूसरी फसल भी ले सकेंगे
यदि बंजर भूमि में गन्ने की इस प्रजाति की खेती की जाए तो किसान की अच्छी आमदनी हो सकती है। इससे कुछ समय बाद खेत की उपजाऊ शक्ति भी बढ़ने लगती है। लंबे समय तक इस गन्ने की खेती करने के बाद उस जमीन में दूसरी फसल भी ली जा सकती है।
एक बार बुआई कर भूल जाएं
निदेशक डॉ. बक्शी राम के मुताबिक बंजर जमीन में एनर्जी केन की फसल की बुआई बरसाती सीजन में करें। इसके बाद यह अपने आप बढ़ेगी। एक बार बुआई की गई फसल सात से आठ बार उत्पादन दे सकती है। हालांकि अन्य किस्मों के मुकाबले इसमें रस कम और खोई अधिक है, इसलिए पेपर मिल या केन एनर्जी प्लांट में भी इसका लाभ ले सकेंगे।
मिल बेचेंगे बिजली, किसान को मिलेगा फसल का दाम
जिन मिलों से टाइअप किया गया है वे किसानों की एनर्जी केन फसल को खरीदेंगे। मिल इस फसल की खोई से बिजली तैयार करेगा और राष्ट्रीय पावर ग्रिड को बिजली बेचकर लाभ लेगा। पेपर मिलों से भी टाइअप किया जा रहा है। इससे पेपर भी बन सकेगा।
वह क्षारीय और लवणीय भूमि जहां कामयाब होगी ये फसल
जिला | लवणीय भूमि | क्षारीय हेक्टेयर में |
अंबाला | 842 | 4222 |
भिवानी | 3005 | 12953 |
फतेहाबाद | 4414 | 7200 |
फरीदाबाद | 7244 | 1393 |
गुडग़ांव | 9314 | 0 |
हिसार | 33375 | 870 |
कैथल | 871 | 9812 |
करनाल | 21 | 19162 |
कुरुक्षेत्र | 0 | 15873 |
जींद | 3170 | 8635 |
झज्जर | 33784 | 7762 |
मेवात | 7532 | 1302 |
पानीपत | 0 | 7514 |
रेवाड़ी | 7293 | 0 |
पलवल | 5590 | 4453 |
रोहतक | 21999 | 10634 |
सिरसा | 0 | 30311 |
सोनीपत | 6600 | 28477 |
एनर्जी केन बंजर क्षेत्र में किसानों को संजीवनी का काम करेगी
गन्ना प्रजनन संस्थान, कोयम्बटूर तमिलनाडु के निदेशक डॉ. बक्शी राम का कहना है कि एनर्जी केन बंजर क्षेत्र में किसानों को संजीवनी का काम करेगी। जहां फसलें नहीं होती, वहां फसल किसानों की आमदनी का साधन बनेगी। हमारी रिसर्च कामयाब रही है। इसे धरातल पर उतारा जा रहा है। महाराष्ट्र, कर्नाटक, आंध्र प्रदेश और तमिलनाडु के मिलों से टाइअप हो चुका है।