रावण पर लगा जीएसटी का ग्रहण : न कद बढ़ा न आतिशबाजी
सोने की लंका के राजा रावण भी जीएसटी के ग्रहण से बच नहीं पाए। जीएसटी से महंगे हुए सामान के कारण इस बार न तो रावण का कद बढ़ पाया है और न ही आतिशबाजी। हालांकि पुराने एस्टीमेट के आधार पर रावण और उसके कुनबे के पुतले तैयार कराने में भी श्री रामलीला सभा का पहले से ज्यादा खर्च आया है।
जागरण संवाददाता, करनाल : सोने की लंका के राजा रावण भी जीएसटी के ग्रहण से बच नहीं पाए। जीएसटी से महंगे हुए सामान के कारण इस बार न तो रावण का कद बढ़ पाया है और न ही आतिशबाजी। हालांकि पुराने एस्टीमेट के आधार पर रावण और उसके कुनबे के पुतले तैयार कराने में भी श्री रामलीला सभा का पहले से ज्यादा खर्च आया है।
सभा के सचिव गौरव गर्ग के अनुसार इस बाद तीन पुतले और लंका बनवाने में एक लाख रुपये का खर्च आया है जबकि वर्ष 2016 में यह खर्च करीब 70 हजार रुपये था। 2017 में भी 80 से 85 हजार रुपये में तीनों पुतले और लंका तैयार हो गई थी। यानि जीएसटी लागू होने के बाद से हर साल 15 हजार रुपये औसतन पुतलों का खर्च बढ़ा है।
यह है पुतलों का साइज
इस बार रावण का पुतला 75 फीट का है जबकि कुंभकर्ण 65 और मेघनाथ 70 फीट ऊंचे तैयार किए गए हैं। सन 2017 में भी पुतलों की हाइट इतनी ही थी। इसके अलावा 30 फीट की लंका का भी दहन होगा।
सामग्री के दामों में हुई खासी वृद्धि
कारीगर अमजद के अनुसार पुतले बनाने के लिए काम में ली जा रही कागज की पन्नी, बांस, रद्दी, मैदा तथा अन्य सामान के दामों में वृद्धि हुई है। पहले सस्ते होते थे तो पुतले भी कम पैसों में तैयार हो जाते थे। वे करनाल के अलावा तरावड़ी, नीलोखेड़ी, इंद्री और भिवानी के पुतले भी वे करनाल से तैयार करके भेजते हैं।
एक ही परिवार की तीसरी पीढ़ी 13 साल से बना रही पुतले
कारीगर अमजद के अनुसार इस बार रावण मुंह के अलावा आंखों से भी आग उगलेगा। पुतले को बनाने के लिए 22 कारीगर 19 सितंबर से लगे हुए थे। गंगोह निवासी अमजद ने बताया कि वे 13 साल से करनाल में इसी सभा के लिए पुतले तैयार कर रहे हैं। वे अपने परिवार की तीसरी पीढ़ी हैं, जो पुतले बना रही है। अमजद के दादा के बाद उसके पिता नजरहसन और अब अमजद अपने दो भाइयों के साथ पुतले बना रहे हैं।