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तनाव में धरती और दे रही चेतावनी, जान लें ये संकेत वरना पड़ेगा बहुत भारी

हमारी धरती भी तनाव में है और वह इसको लेकर चेतावनी भी दे रही है। धरती के इन संकेतों को हमने नहीं समझा अौर ध्‍यान नहीं दिया ताे बहुत भारी पड़ेगा।

By Sunil Kumar JhaEdited By: Published: Fri, 08 Feb 2019 10:25 AM (IST)Updated: Fri, 08 Feb 2019 10:31 AM (IST)
तनाव में धरती और दे रही चेतावनी, जान लें ये संकेत वरना पड़ेगा बहुत भारी
तनाव में धरती और दे रही चेतावनी, जान लें ये संकेत वरना पड़ेगा बहुत भारी

करनाल, [मनोज ठाकुर]। तनाव से हम ही परेशान नहीं है। तनाव का शिकार हमारी धरती भी हो रही है। धरती इसकी चेतावनी भी दे रही है। हमने उसके संकतों को नहीं समझा और इस पर ध्‍यान नहीं दिया तो बहुत भारी पड़ेगा। ध्‍यान नहीं देने से धरती का डिप्रेशन लगातार बड़ रहा है और इसके असर के कारण जमीन की उत्पादकता तेजी से कम हो रही है।

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केंद्रीय मृदा लवणता अनुसंधान संस्थान की स्वर्ण जयंती पर अंतरराष्ट्रीय कॉन्फ्रेंस में विज्ञानियों ने चेताया

यहां केंद्रीय मृदा लवणता अनुसंधान संस्थान की स्वर्ण जयंती पर अंतरराष्ट्रीय लवणता कॉन्फ्रेंस में विशेषज्ञों ने कहा कि हम जमीन को तनाव मुक्त करने के तरीकों पर काम ही नहीं कर रहे हैं। इससे डिप्रेशन का स्तर तेजी से बढ़ रहा है। अब भी यदि जमीन की मनोस्थिति पर ध्यान नहीं दिया तो आने वाला वक्त कृषि क्षेत्र के लिए खास चुनौतीपूर्ण हो सकता है। इसलिए अब भी वक्त है। हमें संभल जाना चाहिए।

केंद्रीय मृदा लवणता अनुसंधान संस्थान की स्वर्ण जयंती पर आयोजित कॉन्फ्रेस में वैज्ञानिक।

प्रदूषित भूजल,घटती उर्वरा शक्ति कृषि क्षेत्र में आने वाले वक्त की सबसे बड़ी चुनौती

केंद्रीय मृदा लवणता अनुसंधान संस्थान की स्वर्ण जयंती पर अंतरराष्ट्रीय लवणता कॉन्फ्रेस में आए हुए वैज्ञानिकों ने धरती की हालत की गंभीर चिंता जाहिर की। इसके साथ ही ऐसे उपाय करने पर जोर दिया जिससे जमीन की स्थिति में सुधार हो। तीन दिवसीय कांफ्रेंस का आयोजन भारतीय केंद्रीय मृदा लवणता अनुसंधान तथा भारतीय मृदा लवणता एवं जलगुणवत्ता सोसायटी कर रही है।

जमीन की अपनी तासीर होती है

वैज्ञानिकों ने बताया कि जमीन की अपनी तासीर होती है। जब यह कम होना शुरू होती है तो जाहिर है इसका असर होता है। इस असर को ही वैज्ञानिक भाषा में जमीन का तनाव बोलते हैं। इसमें बंजर जमीन, ऐसी जमीन जिसमें पानी जमा रहता है, या फिर वह जमीन जिसकी उत्पादक क्षमता कम है। तनावग्रस्त जमीन की श्रेणी में आती है।

तो क्यों जमीन डिप्रेशन में आ रही है

अफ्रीकन एशियन ग्रामीण विकास संगठन (आरडू) के महासचिव इंजीनियर वास्फी हसन एल श्रीलीन ने बताया कि शुद्ध जल की कमी इसकी सबसे बड़ी वजह है। इससे जमीन पर सबसे ज्यादा प्रतिकूल असर पड़ रहा है। उन्होंने बताया कि हमें  जमीन में नमक की मात्रा बढऩे से रोकनी होगी। भूजल को प्रदूषण से बचाना होगा। इसके लिए कृषि वैज्ञानिकों को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रयास करने होंगे। अंतरराष्ट्रीय  कृषि विज्ञान अनुसंधान केंद्र (जिरकास) जापान के अध्यक्ष  डा. मासास इवांगा ने बताया कि जमीन में नमक की मात्रा बढ़ाना बड़ा खतरा है।

नमक मापने के लिए मैप तैयार करना चाहिए

दुबई स्थित अंतरराष्ट्रीय  जैव लवणता कृषि केंद्र के महानिदेशक डा. इस्महाने एलोफी ने कहा कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर ऐसा मानचित्र तैयार किया जाना चाहिए, जो हमें यह बताए कि कहां कहां कि जमीन में नमक की मात्रा क्या है? इससे फायदा यह होगा कि नीति बनाने के साथ साथ इसे रोकने की दिशा में काम आसान हो जाएगा।

तनामुक्त होगी धरती तो होगा फायदा

नई दिल्‍ली स्‍िथत भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के सहायक महानिदेशक डाॅ. एसके चौधरी ने बताया कि यदि जमीन तनावमुक्त होगी तो किसानों की आमदनी 1.8 गुणा बढ़ सकती है। इससे हमें भी अच्छी क्वालिटी का अनाज मिलेगा। वैज्ञानिक तो जमीन को ताकतवर बनाने के लिए काम कर रहे हैं। हम सब को मिल कर भी इस दिशा में काम करना होगा। इसके लिए हम यह कर सकते हैं कि प्रदूषण कम से कम हो।

उन्‍होंने कहा कि घर हो या बाहर हर जगह वेस्ट से कंपोस्ट खाद बनाए। नदियों को प्रदूषण मुक्त रखने में सहयोग दें। हम सब मिल कर यदि इस दिशा में काम करें तो न सिर्फ हम जमीन को तनाव मुक्त कर सकेंगे बल्कि बेहतर प्रदूषण मुक्त वातावरण बनाने में भी अहम भूमिका अदा करेंगे।


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