वर्ल्ड-10 का ऑडिट करेगी कैग, मांगा रिकार्ड
खेल : मैराथन के लिए करनाल में 15 और कुरुक्षेत्र में 35 लाख रुपये दिये गए थे जागरण संवाद
खेल : मैराथन के लिए करनाल में 15 और कुरुक्षेत्र में 35 लाख रुपये दिये गए थे जागरण संवाददाता, करनाल
वर्ल्ड-10 के रन लिए दिए गए फंड का ऑडिट अब कैग करेगी। कार्यालय प्रधान महालेखाकार (लेखा परीक्षा) ने खेल विभाग से इस बारे में दस्तावेज मांगे हैं। नौ जुलाई को जारी पत्र में खेल विभाग से पूछा गया है कि यह प्राइवेट आयोजन क्यों और किसके आदेश से हुआ? जागरण ने इस मुद्दे को प्रमुखता से उठाया था। इसके बाद स्थानीय अधिकारी भी अलर्ट हो गए थे। हाइटाइम सोल्युसंस एंड वीमन स्पोर्ट्स फाउंडेशन के सीईओ पीयूष सचदेवा हरियाणा के कई जिलों में मैराथन करवा चुके हैं। करनाल व कुरुक्षेत्र में मैराथन के नाम पर सरकार से 50 लाख ले चुके हैं। करनाल में 15 लाख और कुरुक्षेत्र में 35 लाख मैराथन के लिए इस प्राइवेट फर्म को दे दिए गए। विवाद बढ़ने के बाद सरकार ने जगदीप ¨सह को पद से हटा दिया था। फाइल नहीं रुकती तो फिर 40 लाख ले जाते
पीयूष सचदेवा करनाल में तीसरी बार 27 मई 2018 को मैराथन कराने जा रहा था। इसकी लगभग सभी तैयारियां पूरी कर ली गई थी। खिलाड़ियों ने रजिस्ट्रेशन फीस तक जमा करवा दी थी। प्राइवेट आयोजन के बावजूद मैराथन के लिए विभाग से इस बार फिर आर्थिक मदद मांग ली गई। 40 लाख की फाइल को तत्कालीन डायरेक्टर जगदीप ¨सह ने पास भी कर दिया। यह फाइल एसीएस अशोक खेमका के पास गई तो उन्होंने जवाब तलब कर लिया। बाद में सरकार ने भी इसे रिजेक्ट कर दिया। पहले एएफआइ ने लेटर लिखा फिर एसीएस हुए सख्त
मई में कुछ एथलीट्स ने करनाल में हो रही वर्ल्ड-10 के रन नाम की मैराथन की शिकायत एएफआइ को की थी। इसके बाद एथलेटिक्स फेडरेशन ऑफ इंडिया ने जांच की और एक लेटर जारी किया। इसमें कहा गया था कि एएफआइ इस मैराथन को मान्यता नहीं देता। जैसे ही यह लेटर खेल विभाग के पास पहुंचा तो एसीएस अशोक खेमका ने तुरंत सभी जिलों के डीएसओ को पत्र जारी कर दिया। चेताया कि खेल विभाग और हरियाणा सरकार का इससे कोई लेना-देना नहीं है। इसलिए इससे दूर रहें। वर्जन
कार्यालय प्रधान महालेखाकार (लेखा परीक्षा) की ओर से लेटर आया है। इसमें 28 मई 2017 को सेक्टर-32 में हुई वर्ल्ड-10 के रन का पूरा रिकॉर्ड मांगा गया है। 15 लाख कहां से और किसके कहने पर दिए गए। हम सभी ऑर्डर की कॉपी प्रधान महालेखाकार को भेजेंगे।
अनिल कुमार, डीएसओ, करनाल