डॉक्टर बोले-ट्रेड लाइसेंस फीस ज्यादा, इस कुछ कम करें
जागरण संवाददाता, करनाल : शहर के डॉक्टरों ने ट्रेड लाइसेंस फीस पर आपत्ति जताई है। दाम वाजिब करने के ल
जागरण संवाददाता, करनाल : शहर के डॉक्टरों ने ट्रेड लाइसेंस फीस पर आपत्ति जताई है। दाम वाजिब करने के लिए मंगलवार को कमिश्नर के साथ बैठक की। उन्होंने कहा कि एक हजार रुपये प्रति बेड के हिसाब से फीस ज्यादा है। इसे कुछ कम किया जाए, ताकि सभी अस्पताल यह लाइसेंस बनवा सकें। कमिश्नर राजीव मेहता ने उनकी मांग पर विचार करने का आश्वासन दिया है।
उन्होंने कहा कि हाउस ने इसके लिए चार सदस्यीय कमेटी गठित कर रखी है। यदि आपको लगता है कि ट्रेड लाइसेंस फीस ज्यादा है तो लिखित में दें। कमेटी इस पर विचार करेगी। उन्हें यदि कोई गुंजाइश लगी तो रियायत मिलेगी। सभी रेट कमेटी ने तय किए हैं, इसलिए यह निर्णय भी उन पर ही निर्भर है।
बता दें कि पहले अस्पतालों पर 25 बेड तक पांच हजार रुपये और 25 बेड से ऊपर वाले अस्पताल से 10 हजार रुपये ट्रेड लाइसेंस फीस ली जाती थी। कमेटी ने इसे एक हजार रुपये प्रति बेड के हिसाब से तय किया था। जिस पर डॉक्टरों ने ऐतराज जताया है। ट्रेड लाइसेंस साल में एक बार बनता है। हर साल अप्रैल में इसे रिन्यू कराना होता है।
बैठक में निगम कमिश्नर राजीव मेहता, ईओ धीरज कुमार, टैक्स सुपरीटेंडेंट हरफूल ¨सह व रेंट क्लर्क जितेंद्र मलिक के अलावा शहर के डॉक्टर्स मौजूद रहे।
शिविर में रिस्पांस अच्छा, 350 ने किया आवेदन
ट्रेड लाइसेंस बनाने व प्रॉपर्टी टैक्स की वसूली के निगम ने नेहरू पैलेस मार्केट से शिविर की शुरुआत की थी। रिस्पांस अच्छा रहा और कुछ ही दिनों में यहां 350 दुकानदारों ने ट्रेड लाइसेंस के लिए अप्लाई कर दिया। 150 ने तो पैसे भी जमा करवा दिए। रेंट क्लर्क जितेंद्र मलिक ने बताया कि शिविर से पहले 500 दुकानदारों ने ही ट्रेड लाइसेंस बनवाया था। फिलहाल यह शिविर पटेल मार्केट में जारी है। ट्रेड लाइसेंस के लिए उद्योग आधार का रजिस्ट्रेशन जरूरी है। मार्केट में इसकी 500 रुपये फीस ली जाती है, लेकिन शिविर में निगम ने निशुल्क रजिस्ट्रेशन की सुविधा दुकानदारों को प्रदान की।
नामी अस्पतालों के पास भी ट्रेड लाइसेंस नहीं
शहर में 25 हजार से अधिक दुकानें हैं। ट्रेड लाइसेंस का औसत रहता है दो से ढाई हजार। इससे निगम को हर साल करोड़ों का नुकसान होता है। हालात यह हैं कि रोजाना लाखों की कमाई करने वाले नामी अस्पतालों के पास भी ट्रेड लाइसेंस नहीं है। इस बार निगम ने शिकंजा कसना शुरू किया है। इन्हें नोटिस तो फिलहाल जारी नहीं किए, लेकिन दबाव बढ़ा दिया गया है। यही वजह है कि डॉक्टरों ने फीस कम करने की मांग की है। क्योंकि ट्रेड लाइसेंस नहीं होने पर निगम दुकान को सील तक करने की पावर रखता है।